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चीन के ख़िलाफ़ भारत और अमेरिका का दो दूनी चार वाला एलायंस

Suresh Kumar

नई दिल्‍ली 27 Oct, 2020 09:53 pm

भारत और अमेरिका ने आपसी सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के एक अहम समझौते पर दस्तख़त किए हैं. दोनों देशों के बीच BECA यानी Basic Exchange and Co-operation Agreement for Geo-Spatial Co-operation नाम की संधि हुई है. जिसके बाद भारत, अमेरिका के सैटेलाइट नेटवर्क से दुश्मन के ठिकानों, मिसाइल के टारगेट, जंगी जहाज़ों के मूवमेंट की सटीक जानकारी हासिल कर सकेगा.

आज दोनों देशो के बीच 2+2 डायलॉग की तीसरी मीटिंग हुई. 2+2 यानी भारत और अमेरिका के विदेश मंत्रियों व रक्षा मंत्रियों के बीच एक साथ संवाद. 

दोनों देशों के बीच ये तीसरा 2+2 डायलॉग था, जिसकी शुरुआत साल 2018 में हुई थी. BECA के समझौते के साथ ही भारत और अमेरिका के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सुरक्षा सहयोगी बनने के लिए ज़रूरी चार समझौतों की शर्त पूरी हो गई है.

इससे पहले भारत और अमेरिका, जिन अन्य बुनियादी समझौतों पर दस्तख़त कर चुके हैं, वो इस तरह हैं-

LEMOA यानी Logistics Exchange Memorandum of Agreement. दोनों देशों ने वर्ष 2016 में इस समझौते पर दस्तख़त किए थे. जिसके तहत भारत और अमेरिका दुनिया में कहीं भी एक दूसरे के सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल कर सकते हैं. जैसे कि विमान ठहर सकते हैं. या जंगी जहाज़ रसद के लिए डेरा डाल सकते हैं. भारत को इससे ये फ़ायदा होगा कि दुनिया भर में फैले अमेरिका के मिलिट्री बेस का उसे भी फ़ायदा मिल सकेगा. 

COMCASA यानी Communication Compatiability and Security Agreement भारत और अमेरिका ने इस समझौते पर साल 2018 में दस्तख़त किए थे. इस समझौते के बाद भारत और अमेरिका एक दूसरे के कूट यानी गोपनीय संदेश शेयर कर सकते हैं. ख़ुफ़िया जानकारियां जुटाने के लिए एक दूसरे के उपकरणों और सिस्टम का फ़ायदा उठा सकते हैं. इससे। भारत को चीन और पाकिस्तान के बारे में ख़ुफ़िया जानकारी जुटाने में मदद मिलती है.
BECA यानी Basic Exchange and Co-operation Agreement for Geo-Spatial Co-operation. दोनों देशों के बीच 2+2 डायलॉग में इस बार इसी समझौते पर दस्तख़त किए गए हैं. जिसके बाद, भारत जियो-स्पैटियल यानी सैटेलाइट और जीपीएस के ज़रिए, दुश्मन के बिल्कुल सटीक निशानों का पता लगा सकता है. मिसाइल अटैक के लिए सही टारगेट तय कर सकेगा. और समुद्र में जंगी जहाज़ों की आवाजाही की निगरानी में भी उसे मदद मिलेगी.     

भारत और अमेरिका के बीच 2+2 डायलॉग में आपसी कूटनीतिक सहयोग और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी है.

नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से ही भारत ने अमेरिका के प्रति ज़्यादा झुकाव रखने वाली नीति पर चलना शुरू किया था. हालांकि, इसकी शुरुआत अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान ही हो गई थी. इस नीति को मनमोहन सरकार ने भी जारी रखा था. जब 2008 में दोनों देशों के बीच सिविल न्यूक्लियर डील हुई थी. 

अब चीन के बढ़ते ख़तरे को देखते हुए भारत के लिए अमेरिका का सहयोग बेहद महत्वपूर्ण हो गया है. क्योंकि, रूस और चीन के क़रीबी संबंध जगज़ाहिर हैं.

लद्दाख में चीन की घुसपैठ के बाद अमेरिका ने लगातार भारत के समर्थन में बयान दिया है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो विवाद के समधान के लिए दोनों देशों के बीच मध्यस्थता का भी प्रस्ताव दिया था.

वहीं, अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो तो चीन के ख़िलाफ़ बहुत मुखर बयानबाज़ी करते रहे हैं. 

2+2 डायलॉग के लिए माइक पॉम्पियो के साथ अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर भी भारत आए हैं. अमेरिका के दोनों नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाक़ात की.

VIDEO: चीन के ख़िलाफ़ भारत और अमेरिका का दो दूनी चार वाला एलायंस

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