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इंडिया-चाइना कोर कमांडर्स मीटिंग, ड्रैगन आर्मी को पीछे जाना ही होगा

Suresh Kumar

नई दिल्‍ली 21 Sep, 2020 12:42 pm

सीमा पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के कोर कमांडर्स की बैठक हो रही है. ये बैठक, LAC पर मोल्दो मीटिंग प्वांइंट पर हो रही है. जिसमें भारत की ओर से इंडियन आर्मी की 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह भाग ले रहे हैं. तो, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की ओर से साउथ शिन्जियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कोर कमांडर मेजर जनरल लियू लिन बात कर रहे हैं. 

दोनों देशों के कोर कमांडर्स के बीच सीमा विवाद को लेकर ये छठवीं मीटिंग है. दोनों कमांडर्स के बीच पिछली बैठक 2 अगस्त को हुई थी. जिसके बाद से LAC पर ज़बरदस्त तनाव बरक़रार है. 

ऐसा पहली बार है जब कोर कमांडर्स की इस मीटिंग में भारत की ओर से एक डिप्लोमैट भी हिस्सा ले रहे हैं. विदेश मंत्रालय के एक ज्वाइंट सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी कोर कमांडर्स की मीटिंग में शामिल हैं. कोर कमांडर्स की मीटिंग में भारत ने अपने डिप्लोमैट को इसलिए भेजा है, जिससे कि ड्रैगन के पाखंड को उजागर किया जा सके.

इससे पहले कूटनीतिक स्तर पर तो चीन ये विवाद बातचीत से सुलझाने की हामी भरता रहा था. लेकिन, उसके सैनिक अधिकारी पीछे जाने से इन्कार कर देते थे.

11 सितंबर को मॉस्को में जब भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की मुलाक़ात हुई थी. तब सीमा पर तनाव कम करने के फाइव प्वाइंट फॉर्मूले पर सहमति बनी थी. अब चीन इस फॉर्मूले पर मिलिट्री लेवल पर क़ायम रहता है या नहीं, इसे मॉनिटर करने के लिए इंडिया ने एक डिप्लोमैट को भी कोर कमांडर्स की बैठक में भेजा है.

इंडियन आर्मी के मुख्य ऑब्जेक्शन पैंगॉन्ग लेक के फिंगर 4 से 8 एरिया के बीच पीएएल की मौजूदी को लेकर है. इंडिया इसे अपने अधिकार का हिस्सा बताता रहा है. और यहां तक इंडिया के सैनिक पहले गश्त लगाते रहे हैं. लेकिन, मई महीने से क़रीब पांच हज़ार चाइनीज़ सैनिकों ने इस इलाक़े में डेरा जमा हुआ है.

वहीं, आस पास की चोटियों पर इंडिया के सैनिकों ने भी मोर्चेबंदी कर रखी है. चाइना फिर चाहे मुकपारी का इलाक़ा हो या फिर रेचिन ला और स्पैंगुर गैप. 

29/30 अगस्त की रात को जब चीन के सैनिकों ने इंडिया में घुसपैठ करके इन चोटियों पर क़ब्ज़ा करने की कोशिश की थी, उसके बाद ही इंडियन आर्मी ने अपनी उन सभी फॉरवर्ड पोस्ट पर फिर से मोर्चेबंदी कर ली थी. जहां से भारत जुलाई में तब पीछे हटा था, जब भारत के NSA अजित डोवाल और चाइना के स्टेट काउंसलर वैंग यी के बीच वीडियो कॉल पर हुई बातचीत में डिसएंगेजमेंट पर सहमति बनी थी.

मई महीने के पहले हफ़्ते में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने इंडिया के परसेप्शन वाली LAC को पार कर के पैंगॉग लेक, गोगरा, हॉट स्प्रिंग, खुरनाक फोर्ट, डेपसांग प्लेन्स और गलवान घाटी के इलाक़ों में डेरा जमा लिया था. कोर कमांडर्स के बीच बातचीत के बाद, दोनों देशों के सैनिक थोड़ा पीछे हटे थे. लेकिन, जब डिसएंगेमेंट की प्रक्रिया चल ही रही थी, तब चाइनीज़ आर्मी ने गलवान घाटी में दोबारा डेरा जमाने की कोशिश की. जिसके बाद 15 जून की रात दोनों सेनाओं में हिंसक संघर्ष हुआ था. इस संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. अमेरिकी पत्रिका न्यूज़वीक ने ख़बर दी थी कि गलवान घाटी में चाइना के 60 सैनिक मारे गए थे.

इसके बाद जुलाई में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल और स्टेट काउंसलर वैंग यी के बीच सहमति बनी थी कि दोनों देश अपनी अपनी सेनाएं फ्रिक्शन प्वाइंट से पीछे हटाएंगे. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ.

इसके बाद इंडियन आर्मी ने भी आक्रामक पोस्चरिंग शुरू कर दी. और बॉर्डर पर चाइना के साथ हर फ्रिक्शन प्वाइंट पर बराबर तादाद में हथियार गोला-बारूद और सैनिक तैनात कर दिए.

भारत ने LAC पर पचास हज़ार से अधिक सैनिक तैनात किए हुए हैं. इसके अलावा इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) के जवान भी फॉरवर्ड लोकेशन की निगरानी कर रहे हैं. 

अगस्त महीने में चीन के सैनिकों के जब रात के अंधेरे में भारत की सीमा में घुसने की कोशिश की. तो, इंडियन आर्मी के जवानों ने हर फॉरवर्ड पोस्ट पर ज़बरदस्त मोर्चेबंदी कर ली.

इससे खीझे चीन के सैनिकों ने 7,8,9,10 सितंबर को भारतीय चौकियों के पास आकर हवा में गोलियां भी चलाईं. 1975 के बाद ये पहली बार था जब भारत और चीन सीमा पर गोलियां चली थीं. 

इससे पहले सितंबर के पहले हफ़्ते में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंघे के बीच मॉस्को में मीटिंग हुई थी. जिसमें चीन ने मांग की थी कि इंडियन आर्मी फॉरवर्ड पोस्ट से पीछे जाए. लेकिन, भारत ने ऐसा करने से साफ़ इनकार कर दिया था.

जिसके बाद विदेश मंत्री डॉक्टर जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वैंग यी के बीच 11 सितंबर को मॉस्को में मुलाक़ात हुई थी. क़रीब तीन घंटे चली इस मीटिंग के बाद डिसएंगेजमेंट पर सहमति बनी थी. और ये काम स्थानीय कोर कमांडर्स पर छोड़ दिया गया था.

इसीलिए, इंडिया ने कोर कमांडर्स की मीटिंग में अपना एक डिप्लोमैट को भी शामिल किया है. ताकि, इस बात की मॉनिटरिंग की जा सके कि चीन ने विदेश मंत्रियों की बैठक में जो कमिटमेंट किए हैं, उन्हें कोर कमांडर्स की बैठक में मान रहा है या नहीं.

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