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लॉकडाउन, कोविड-19 से एक चौथाई घट गई देश की अर्थव्यवस्था!

Atit

नई दिल्‍ली 01 Sep, 2020 12:09 am

इस साल अप्रैल से जून तक यानी वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. सरकार की ओर से जारी आंकड़े इस बात का साफ़ इशारा करते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था जो कोरोना वायरस के प्रकोप से पहले ही सुस्ती की शिकार थी, वो लॉकडाउन के कारण पूरी तरह से पटरी से उतर गई. सरकार के मुताबिक़, इन तीन महीनों में देश के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में 39.3 प्रतिशत की गिरावट आई.

अर्थव्यवस्था से जुड़े ताज़ा आंकड़ों में राहत की ख़बर सिर्फ़ एक है कि कृषि क्षेत्र में इन तीन महीनों में 3.4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखी गई. जबकि, पिछले वित्तीय वर्ष में इसी दौरान कृषि क्षेत्र की विकास दर तीन प्रतिशत रही थी. वहीं, पिछले साल की पहली तिमाही की जीडीपी के आंकड़ों की बात करें, तो पिछले साल अप्रैल से जून के बीच अर्थव्यवस्था की विकास दर 5.2 फ़ीसद रही थी. लॉकडाउन के दौरान सबसे अधिक नुक़सान निर्माण क्षेत्र को हुआ, जिसका काम 50.3 प्रतिशत घट गया. वहीं खदान क्षेत्र का विकास पिछले साल इसी तिमाही के मुक़ाबले 23.3 प्रतिशत घट गया. 

वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य ज़रूरी सेवाओं के विकास में भी सात फ़ीसद की गिरावट देखी गई. जबकि पिछले साल इसी तिमाही में इस सेक्टर में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी.

लॉकडाउन के तीन महीनों में कारोबार, होटल, परिवहन, और प्रसारण से जुड़े सर्विस सेक्टर में 47 प्रतिशत की गिरावट आई. इसके अलावा वित्तीय क्षेत्र, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं के विकास में भी 5.3 फ़ीसद की गिरावट आई. तो लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में भी दस प्रतिशत से ज़्यादा की गिरावट दर्ज की गई है.

राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान ने ये आंकड़े जारी करते हुए कहा कि, 'कोविड-19 की महामारी की रोकथाम के लिए तमाम आर्थिक गतिविधियों पर पाबंदियां लगा दी गई थीं. ख़ास तौर से जिन सेवाों को ग़ैर ज़रूरी कहा गया था. इसके अलावा 25 मार्च से लोगों की आवाजाही पर भी रोक लगा दी गई थी. हालांकि अब ये पाबंदियां धीरे-धीरे हटाई जा रही हैं. लेकिन, लॉकडाउन के प्रतिबंधों के चलते देश में आर्थिक गतिविधियों पर विपरीत प्रबाव पड़ा. इसके अलावा अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़े जुटाने में भी दिक़्क़तें आईं.'

NSO ने अपने बयान में कहा कि, 'इन मुश्किल हालात में हमने अर्थव्यवस्था के आंकड़े जुटाने के लिए पारंपरिक स्रोतों के बजाय जीएसटी कलेक्शन और पेशेवर संस्थाओं से बातचीत का सहारा लिया. ज़ाहिर है, ये संवाद भी बेहद सीमित था.'

एनएसओ का ये बयान बेहद डराने वाला है. क्योंकि ये आंकड़े सिर्फ़ जीएसटी और लोगों से बातचीत पर आधारित हैं. यानी वास्तविक स्तर पर देश की अर्थव्यवस्था और भी भयावाह स्थिति में हो सकती है.

वैसे तो ज़्यादातर रेटिंग एजेंसियों और विश्व बैंक, नोमुरा और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा था कि पहली तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी. लेकिन, जीडीपी में इतनी भारी गिरावट की आशंका किसी को नहीं थी.

भारत के मुक़ाबले, चीन की अर्थव्यवस्था में अप्रैल से जून की तिमाही में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. जबकि इससे पहले की तिमाही यानी जनवरी से मार्च 2020 के दौरान चीन की अर्थव्यवस्था में क़रीब सात प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी.

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