चीन को घेरने के लिए अब भारत और जापान की सेनाएं आपस में तालमेल से काम करेंगी. दोनों देशों ने एक-दूसरे के सैनिक बलों को सेवाओं और सामान की आपूर्ति का एक अहम समझौता किया है. भारत की ओर से रक्षा सचिन डॉक्टर अजय कुमार और जापान की ओर से राजदूत सुज़ुकी सतोशी ने इस एग्रीमेंट पर साइन किए. ये क़रार होने के बाद अब भारत की तीनों सेनाएं और जापान की सेल्फ डिफेंस फोर्सेज़ एक दूसरे को ज़रूरत पड़ने पर ज़रूरी सामान और सर्विसेज़ दे सकेंगे.
ये एग्रीमेंट होने के बाद अब जापान और भारत द्विपक्षीय युद्धाभ्यासों, ट्रेनिंग कार्यक्रमों, संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों और मानवीय मदद के अंतरराष्ट्रीय अभियानों के दौरान एक दूसरे की मदद करेंगे. इस क़रार से दोनों देशों की सेनाएं आपस में और अधिक तालमेल से काम कर सकेंगी. दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा. इसे जापान और भारत के बीच विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी की दिशा में एक बड़ा क़दम माना जा रहा है.
#India and #Japan signs agreement on Reciprocal Provision of Supplies and Services between Forces of both countries
— PIB India (@PIB_India) September 10, 2020
This agreement establishes the enabling framework for closer cooperation between the Armed Forces of India and Japan
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भारत और जापान की सेनाएं और ख़ास तौर से नेवी नियमित रूप से साझा युद्धाभ्यास करते रहे हैं. ये समझौता होने पर दोनों ही देशों की नौसेनाएं अब और अधिक तालमेल के साथ ऑपरेट कर सकेंगी. ख़ास तौर से इंडो पैसिफिक और साउथ चाइना सी के इम्पॉर्टेंट ट्रेड रूट पर भारत और जापान की नौसेनाएं ज़्यादा तालमेल के साथ गश्त लगा सकेंगी. ताकि दोनों देशों का समुद्री व्यापार निर्बाध गति से चलता रहे.
भारत और जापान दोनों ही चीन को बड़ा ख़तरा मानते हैं. ऐसे में अगर दोनों देशों की सेनाएं आपसी तालमेल से काम करेंगी, तो वो चीन की दादागीरी का बेहतर ढंग से मुक़ाबला कर सकेंगी. चीन, जापान के सेनकाकू द्वीपों पर अपना दावा ठोकता रहा है. चीन के विमान और जंगी जहाज़ अक्सर जापान की जल सीमा और वायु सीमा में घुसपैठ करते रहे हैं. वहीं, लद्दाख में भारत और चीन की सेनाएं आमने सामने हैं. चीन के सैनिक लगातार भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं, जिसे भारत हर बार नाकाम कर देता है.
भारत और जापान, हिंद प्रशांत क्षेत्र में नौसैनिक सहयोग करते रहे हैं, जो सामरिक रूप से बहुत अहम इलाक़ा है. दोनों देश चतुर्भुज गठबंधन यानी QUAD एलायंस के भी सदस्य हैं, जिसमें अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं.
QUAD को चीन के प्रभुत्व को इंडो-पैसिफिक में चुनौती देने वाला गठबंधन कहा जाता है. जापान और भारत मिल कर अमेरिका के साथ नियमित रूप से नौसैनिक युद्धाभ्यास करते रहे हैं, जिसे मलाबार एक्सरसाइज़ कहा जाता है.
【Indo-Southeast Asia Deployment 2018】
— Japan Maritime Self-Defense Force (@jmsdf_pao_eng) October 14, 2018
(13, Oct) ISEAD2018 is conducting “ Japan India Maritime Exercise ( JIMEX )2018 ” with Indian Navy Vessels in the Bay of Bengal
Task Group conducted various tactical exercises including Anti-Submarine Warfare and Replenishment at Sea(RAS). pic.twitter.com/QqT3sawGsy
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और जापान के बीच सामरिक साझेदारी बढ़ी है. जापान के पीएम शिंजो आबे के साथ नरेंद्र मोदी के निजी संबंध भी काफ़ी अच्छे रहे हैं. हालांकि आबे ने पीएम पद छोड़ने का एलान कर दिया है.
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