भारत का अगला बड़ा स्पेस मिशन यानी चंद्रयान-3 वर्ष 2021 की शुरुआत में लॉन्च होगा. ये जानकारी केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने दी है. जितेंद्र सिंह ने बताया कि, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO का ये मून मिशन चंद्रयान-2 जैसा ही होगा. जिसमें, चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए एक लैंडर और घूम-फिर कर डेटा जुटाने के लिए एक रोवर होगा. लेकिन, चंद्रयान-2 से अलग हटकर एक बात ये होगी कि इस बार इसरो के मिशन में ऑर्बिटर नहीं होगा. ऑर्बिटर वो अंतरिक्ष यान होता है, जो चंद्रमा का चक्कर लगाता है. चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर और रोवर के साथ-साथ ऑर्बिटर भी शामिल था.
इसरो का पिछला मून मिशन, चंद्रयान-2 पिछले साल 22 जुलाई को लॉन्च किया गया था. इसमें ऑर्बिटर के साथ-साथ विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर भी शामिल थे. ये अंतरिक्ष यान 20 अगस्त 2019 को चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया था. लेकिन, 6 सितंबर को विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के बजाय, क्रैश हो गया था. ऐसा सॉफ्टवेयर की ख़राबी के कारण हुआ था.
भारत ने अपना पहला मून मिशन वर्ष 2008 में चंद्रयान-1 के रूप में भेजा था. जो पूरी तरह सफल रहा था. जिसके बाद भारत ने विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के साथ, चंद्रयान-2 को पिछले वर्ष रवाना किया था. हालांकि, ये मिशन पूरी तरह सफल नहीं रहा था.
अब, भारत अपने तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 के रूप में अगले साल एक बार फिर, चंद्रमा पर स्पेसक्राफ्ट लैंड करने की कोशिश करेगा.
इस बीच, भारत के पहले मून मिशन चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की कुछ ऐसी तस्वीरें भेजी हैं, जिनसे चांद पर पानी और ऑक्सीजन होने के पक्के सबूत मिले हैं.
Images sent by #Chandrayaan-1 indicate the possible impact of Earth's atmosphere on the Moon
— PIB India (@PIB_India) September 6, 2020
Read here: https://t.co/FBE8CDzXpp
चंद्रयान द्वारा भेजी गई तस्वीरों में चांद पर ज़ंग लगती दिख रही है. यानी चंद्रमा की सतह पर ऑक्सिडाइज़्ड आयरन की परत दिखी है. चांद पर आयरन होने के सबूत तो इंसान को पहले भी मिल चुके थे. इसके अलावा उसके ध्रुवों पर बर्फ़ होने के सबूत भी चंद्रयान ने तस्वीरों के रूप में भेजे थे. लेकिन, अब चंद्रयान ने जो तस्वीरें भेजी हैं, उसमें ऑक्सिडाइज़्ड आयरन मिलने से अंतरिक्ष वैज्ञानिक बहुत उत्साहित हैं.
केंद्रीय मंत्री, डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि, चांद की परत पर ज़ंग लगने से कुछ बातें एकदम साफ़ हो जाती हैं. वो ये कि चांद पर काफ़ी मात्रा में लोहा मौजूद है. और यही नहीं, लोहे पर ज़ंग लगने के लिए ज़रूरी ऑक्सीजन और पानी भी चंद्रमा के वातावरण में मौजूद है. तभी, चंद्रयान ने चांद पर ज़ंग लगने की तस्वीरें भेजी हैं.
डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने बताया कि चंद्रयान ने चंद्रमा की जो तस्वीरें भेजी हैं, उनके हिसाब से चांद के ध्रुवों पर ज़ंग लग रही है.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के वैज्ञानिकों ने कहा है कि चांद पर ज़ंग लगने का एक मतलब ये भी है कि धरती का वायुमंडल भी चंद्रमा की हिफ़ाज़त कर रहा है.
Our Moon is rusting. Using data from a @NASAJPL instrument aboard @ISRO's Chandrayaan-1 orbiter, scientists were surprised to find evidence of a form of iron oxide, or rust, produced when iron is exposed to oxygen and water: https://t.co/gxupT31bFI pic.twitter.com/mPoRPhjWoF
— NASA (@NASA) September 6, 2020
अब भारत के पहले मून मिशन से एक बात तो एकदम साफ़ हो गई है कि चांद के ध्रुवों पर पानी है.
अब इसके आगे की जानकारी, भारत के अगले मून मिशन यानी चंद्रयान-3 से मिलने की संभावना है.
इसके अलावा भारत अपने पहले मानव स्पेस मिशन, गगनयान की तैयारियों में भी जुटा हुआ है. इसके लिए अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग का काम तय शेड्यूल के अनुसार ही चल रहा है.
हालांकि, कोविड-19 के कारण भारत की तैयारियों पर कुछ असर ज़रूर पड़ा है. लेकिन, डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसरो के वैज्ञानिक दिन रात काम कर रहे हैं, ताकि गगनयान को पहले से तय टाइमलाइन के अनुसार वर्ष 2022 में लॉन्च किया जा सके.
Leave Your Comment