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चीन ने की घुसपैठ की कोशिश, भारत के पलटवार से भागा ड्रैगन

Atit

नई दिल्‍ली 01 Sep, 2020 10:06 pm

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने मंगलवार को भी भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की थी. लेकिन, भारतीय सेना के फ़ौरी एक्शन से ड्रैगन उल्टे पांव भागने को मजबूर हो गया. 

सेना के सूत्रों के मुताबिक़, चीन के सैनिक 7-8 भारी गाड़ियों के साथ भारत के चुमार इलाक़े में घुसने की फ़िराक़ में थे. लेकिन, जैसे ही पीएलए का ये घुसपैठी जत्था अपने चेपुज़ी कैम्प से भारत की सीमा की ओर बढ़ा, भारतीय सैनिकों ने तेज़ी दिखाते हुए अपने इलाक़े की घेरेबंदी कर ली. जिसके बाद चीन के सैनिकों ने अपनी गाड़ियों का रुख़ वापस अपनी सीमा की ओर मोड़ लिया.

इससे पहले चीन ने पूर्वी लद्दाख में भारत की सीमा में 31 अगस्त को भी घुसपैठ की कोशिश की थी. लेकिन, भारतीय सैनिकों ने चीन की कोशिश को नाकाम कर दिया. चीन और भारत के बीच कल चुशूल के मोल्डो मीटिंग प्वाइंट पर जब ब्रिगेडियर स्तर की बातचीत चल रही थी, ठीक उसी दौरान चीन के सैनिक, वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार करके भारत की सीमा में दाख़िल होने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन, भारत के जवानों ने चीन के सैनिकों को पीछे जाने पर मजबूर कर दिया.

ये जानकारी विदेश मंत्रालय ने दी है. अपने बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत के सैनिकों ने सही समय पर उचित क़दम उठाकर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उसने, चीन के साथ बातचीत में उसके सैनिकों की इस उकसावे वाली कार्रवाई की शिकायत की है. और चीन से कहा है कि वो भारत के इलाक़े में दाख़िल होने से बाज़ आए. और अपनी सीमा पर तैनात सैनिकों को क़ाबू में रखे. 

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि भारत, चीन के साथ सीमा विवाद को सैनिक और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत से सुलझाने की कोशिश कर रहा है. पिछले तीन महीने से दोनों देशों के कमांडरों और कूटनीतिक अधिकारियों के बीच लगातार बातचीत हो रही है, ताकि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पैदा हुआ विवाद सुलझाया जा सके. 

हालांकि, चीन की हरकतों को देख कर ऐसा नहीं लगता कि चीन, अपनी घुसपैठ की हरकतों से बाज़ आने वाला है. इसलिए भारतीय सेना ने सीमा पर अपनी मोर्चेबंदी को बढ़ा दिया है. भारतीय सैनिक अब दिन रात चौकसी कर रहे हैं. चीन की कोशिश है कि वो पैंगॉन्ग सो में ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप जैसी भारतीय सीमा में आने वाली चोटियों पर काबिज़ हो जाए. जिससे कि उसे वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के ऊपर बढ़ हासिल हो जाए.

चीन के आक्रामक रुख़ को देखते हुए, भारत ने फ़ैसला किया है कि शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भारत और चीन के रक्षा मंत्री के बीच कोई सीधी बातचीत नहीं होगी. शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भाग लेने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बुधवार को रूस की राजधानी मॉस्को के लिए रवाना होंगे. मॉस्को में राजनाथ सिंह, शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के अलावा रूस के रक्षा मंत्री सर्जेई शोइगू के साथ सीधी बातचीत भी करेंगे. 15 जून को गलवान घाटी में चीन और भारत के सैनिकों के हिंसक संघर्ष के बाद, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ये दूसरी रूस यात्रा होगी. इससे पहले वो 24 जून को जर्मनी के ऊपर रूस की जीत की 75वीं सालगिरह के मौक़े पर मॉस्को में विक्ट्री डे परेड में शामिल हुए थे


इसके अलावा रक्षा मंत्री का रूस के अन्य बड़े सैन्य अधिकारियों से भी मुलाक़ात का कार्यक्रम है. रूस के अधिकारियों से बातचीत में रक्षा मंत्री, रूस से भारत को मिलने वाले हथियारों की सप्लाई जल्द से जल्द करने के तरीक़ों पर चर्चा करेंगे. लेकिन, रक्षा मंत्री का चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंघे से मुलाक़ात का कोई कार्यक्रम नहीं है. हालांकि, मुख्य कार्यक्रम में दोनों देशों के रक्षा मंत्री अन्य सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ होंगे.

शंघाई सहयोग संगठन में भारत, रूस, चीन, कज़ाख़िस्तान, किर्गीज़िस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान शामिल हैं. इसके अलावा, अफ़ग़ानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया इस संगठन के ऑब्ज़र्वर देश हैं.

SCO की बैठक ऐसे समय पर हो रही है, जब चीन और भारत के बीच सीमा पर ज़बरदस्त तनाव है. और कई मोर्चों पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने टकराव की स्थिति में हैं. रक्षा मंत्रियों की बैठक के बाद शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की भी बैठक होगी. जिसके लिए रूस ने भारत के विदेश मंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर को भी न्यौता दिया है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर के पांच सितंबर को इस बैठक के लिए रूस रवाना होने की संभावना है.

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