भारत और जापान की नौसेनाओं का ज्वाइंट नेवल एक्सरसाइज़ JIMEX आज से अरब सागर में शुरू हो गया है. नौसेना के प्रवक्ता ने जानकारी दी है कि ये युद्ध अभ्यास नो कॉन्टैक्ट होगा.
India-Japan Maritime bilateral exercise ‘#JIMEX’ begins in North Arabian Sea.https://t.co/ZnzMK7QvQe
— All India Radio News (@airnewsalerts) September 26, 2020
इस युद्धाभ्यास के दौरान दोनों देशों के जहाज़ और नौसैनिक आपस में मिलकर किसी सैन्य ऑपरेशन को अंजाम देने का अभ्यास करेंगे. इसमें हथियारों की फ़ायरिंग, एक दूसरे के जहाज़ पर हेलीकॉप्टर की लैंडिंग और दूसरी समुद्री गतिविधियां की जाएंगी. इस दौरान समुद्र में हवाई युद्ध की एक्सरसाइज़ भी की जाएगी. जिससे कि समय आने पर भारत और जापान की नेवी मिलकर किसी साझा दुश्मन के ख़िलाफ़ मिशन को अंजाम दे सकें. भारत-जापान का ये युद्धाभ्यास तीन दिन का होगा.
#JIMEX, Japan-India Maritime Exercise, will be commenced on 26 Sep 2020. Another example of bilateral efforts to secure a free, open, and inclusive #IndoPacific.https://t.co/A0UrReaUCv pic.twitter.com/OZABZs5GUS
— Embassy of Japan in India (@JapaninIndia) September 25, 2020
भारत में जापान के दूतावास ने एक बयान में कहा है कि दोनों देश मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र के पक्षधर हैं. और ये नौसैनिक अभ्यास भी इसी को सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है.
अभी हाल ही में भारत ने ऑस्ट्रेलिया की रॉयल नेवी के साथ भी नो-कॉन्टैक्ट युद्धाभ्यास किया था.
जापान और इंडियन नेवी नियमित रूप से नौसैनिक अभ्यास करते रहे हैं. दोनों नौसेनाओं का पिछला युद्धाभ्यास वर्ष 2018 में विशाखापत्तनम के पास हुआ था.
हाल ही में भारत और जापान ने एक दूसरे को लॉजिस्टिकल सपोर्ट देने का समझौता भी किया है. जिसके तहत युद्ध या किसी अन्य आपात काल में भारत और जापान एक दूसरे को सैन्य संसाधन उपलब्ध करा सकेंगे. जैसे कि विमानों की लैंडिंग या जहाज़ों को पोर्ट पर डॉक करने की सुविधा.
भारत और जापान के बढ़ते सामरिक संबंधों के पीछे सबसे बड़ी भूमिका पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की रही है. 2007 में प्रधानमंत्री बनने के बाद शिंजो आबे जब 2008 में भारत आए थे, तो उन्होंने संसद में अपने भाषण में कहा था कि हिंद प्रशांत क्षेत्र का सामरिक सहयोग असल में दो महासागरों का संगम है.
शिंजो आबे के शासन काल में ही जापान ने भारत के साथ सिविल न्यूक्लियर डील भी की थी.
जापान और भारत के संबंध मज़बूत होने की बड़ी वजह चीन की पूरे क्षेत्र में बढ़ती दादागीरी भी है. चीन, जापान के सेनकाकू द्वीपों पर अपना हक़ जताता रहा है. चीन के फाइटर प्लेन अक्सर जापान की सीमा में घुसपैठ करते रहे हैं.
लद्दाख में भारत और चीन के साथ सीमा विवाद में जापान ने खुलकर भारत का साथ दिया है.
हाल ही में जापान के प्रधानमंत्री बने योशीहिदे सुगा से प्रधानमंत्री मोदी ने कल ही बात की थी. दोनों नेताओं ने भारत और जापान के संबंधों को हर क्षेत्र में मज़बूत बनाने पर सहमति जताई थी.
We agreed that stronger India-Japan ties would help meet the challenges of the current regional and global situation.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 25, 2020
I look forward to working with PM Suga to further strengthen our all-round partnership.
जापान, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है. और भारत के साथ उसके पुराने संबंध रहे हैं. लेकिन, न्यूक्लियर डील समेत कई मसलों पर दोनों देशों के बीच मतभेद भी रहे. हालांकि, शिंजो आबे के प्रधानमंत्री बनने के बाद दोनों देश काफ़ी क़रीब आए हैं.
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