जितिया (Jitiya) या जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika) संतान विशेषकर पुत्रों के लिए रखा जाता है. इस दिन माताएं लगभग 36 घंटे तक निर्जला रहकर उपवार करती हैं. यह व्रत तीन दिन तक चलता है. मुख्य दिन यानी कि अष्टमी को विधि-विधान से पूजा करने के बाद व्रत कथा पढ़ी या सुनी जाती है. कहते हैं कि कथा पढ़ने से व्रती महिला को पुत्र, पौत्रों का वरदान मिलता है. साथ ही पुत्र समृद्धि और आरोग्य को प्राप्त करते हैं.
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