सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर किसानों के विरोध स्थल पर हिंसा को कवर करते हुए गिरफ्तार किए गए फ्रीलांस पत्रकार मनदीप पुनिया (Mandeep Punia) को दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को जमानत दे दी. आपको बता दें कि विरोध स्थल पर SHO के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार करने के बाद पुलिस ने शनिवार को पुनिया को गिरफ्तार कर लिया था.
मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सतवीर सिंह लांबा ने कुछ शर्तों के तहत उन्हें जमानत देते हुए कहा कि कथित हाथापाई शाम 6:30 बजे के आसपास हुई, लेकिन एफआईआर अगली रात 1:21 बजे दर्ज की गई.
अदालत ने अपने फैसले में स्थापित न्यायिक सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा है कि जमानत देना नियम है और जेल भेजना अपवाद है. इसके अलावा पूनिया को जमानत देने में मुकदमा दर्ज करने में दिल्ली पुलिस की ओर से की गई देरी को भी आधार बनाया गया है. इसके साथ ही अदालत ने दिल्ली पुलिस की उन दलीलों को भी सिरे से ठुकरा दिया, जिसमें कहा गया था कि अगर पुनिया को जमानत दी गई तो वह मामले को गवाह को प्रभावित कर सकते हैं.
इसके साथ ही कहा गया कि इस मामले में शिकायतकर्ता पुलिस अधिकारी हैं और सभी गवाह भी पुलिस वाले हैं, ऐसे में इस बात की कोई संभावना नहीं है कि अगर पुनिया को जमानत पर रिहा किया गया तो वह गवाहों को प्रभावित करेगा. अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि पुनिया को जमानत पर रिहा करना न्याय के हित में रहेगा.
अदालत ने उन्हें सशर्त जमामत दी है, जिसमें कहा गया है कि वह अनुमति के बगैर विदेश नहीं जा सकते. साक्ष्यों को प्रभावित नहीं कर सकते और उन्हें जांच में सहयोग करना होगा. वहीं पुनिया के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को झूठे मामले में फंसाया गया है.
दूसरी ओर, अतिरिक्त लोक अभियोजक ने इस आधार पर जमानत का पुरजोर विरोध किया कि अभियुक्त के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं.
यह भी दलील दी गई कि अभियुक्त फिर से प्रदर्शनकारियों को उकसाने के लिए अलग-अलग लोगों के समूह के साथ विरोध स्थल पर जा सकते हैं.
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