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कितने तरह की होती है छठ पूजा? जानें इसके विशेष प्रकार

PujaPandit Desk

13 Aug, 2020 08:14 pm

दीपावली के तुरंत बाद छठ पूजा का त्योहार शुरू हो जाता है. छठ पूजा कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से लेकर कार्तिक शुक्ल षष्ठी तक रहती है. ये तो आप जानते ही हैं कि छठ पूजा को छठ, छठ मैय्या और डाला जैसे नामों से बुलाया जाता है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि चार दिनों तक चलने वाली इस पूजा के कई अलग-अलग रूप भी हैं. जी हां, आज हम आपको ऊब छठ, चैती छठ और ललही छठ के अलग-अलग रूपों के बारे में बताएंगे.

छठ पूजा को इसीलिए छठ कहा जाता है क्योंकि ये दीपावली के ठीक छठे दिन मनाई जाती है. हालांकि छठ पूजा का विधान 2 दिन पहले से ही शुरू हो जाता है. इस बार छठ पूजा का विधान 31 अक्टूबर से शुरू हो रहा है और छठ पूजा 2 नवंबर को की जाएगी. चलिए जानते हैं छठ पूजा के अलग स्वरूपों के बारे में.

ऊब छठ

ऊब छठ का व्रत और पूजा आमतौर पर वो महिलाएं करती हैं जो विवाहित हैं. ये महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए ऊब छठ का व्रत रखती हैं. वहीं कुंआरी लड़कियां अच्छे वर की तलाश या यूं कहें कि अच्छे पति की कामना के लिए ऊब छठ का व्रत करती हैं. भाद्र पद महीने की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर ऊब छठ मनाया जाता है. ऊब छठ को चन्दन षष्ठी, चन्ना छठ और चांद छठ के नाम से भी जाना जाता है.

चैती छठ

हिन्दू नववर्ष के पहले महीने चैत्र के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर चैती छठ मनाया जाता है. चैती छठ सूर्य उपासना का पर्व है. चैती छठ में भगवान भास्कर की पूजा कर रोगों से मुक्ति, संतान प्राप्ति और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना की जाती है. चैती छठ चार दिन का ही पर्व होता है. चैती छठ को सूर्योपासना का महापर्व भी कहा जाता है.

ललही छठ

भादो महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को ललही छठ मनाया जाता है. इस छठ को हरछठ और हलषष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. ललही छठ के दिन पूजा सुबह के बजाय शाम को होती है. पुत्र की कामना करने वाली और पुत्र की लंबी आयु के लिए ललही छठ की पूजा की जाती है.

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