श्री हरि विष्णु और संपन्नता की देवी मां लक्ष्मी की संयुक्त उपासना से हर भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. परमशक्तिशाली भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के संयुक्त मंत्र के जाप से हर दिशाओं से कृपा बरसती है. अगर आपके मन में भी कोई अधूरी कामना है, तो लक्ष्मी नारायण की संयुक्त पूजा करें. आइए जानते हैं श्री लक्ष्मी नारायण की संयुक्त पूजा का महत्व और उससे जुड़े नियमों के बारे में.
श्री लक्ष्मी नारायण की संयुक्त पूजा का महत्व
श्री लक्ष्मी नारायण के संयुक्त उपासना से सुख-संपत्ति, धन और समृद्ध का वरदान मिलता है. इनकी पूजा से नौकरी और कारोबार में सफलता मिलती है. इनकी पूजा से लंबी उम्र, अच्छी सेहत और आध्यात्मिक विकास का आशीर्वाद भी मिलता है.
अगर आपकी कोई विशेष कामना है तो उसी को ध्यान में रखकर पूजा का संकल्प लें. संकल्प लेकर सही विधि से पूजा करें और फिर उसका समापन करें, आपकी कामना पूरी होगी.
लक्ष्मी नारायण की पूजा विधि
लक्ष्मी नारायण की पूजा से पहले गणपति की पूजा करें. अब लक्ष्मी नारायण को पहले जल से, फिर पंचामृत से और अंत में वापिस जल से स्नान कराएं. लक्ष्मी और नारायण को वस्त्र और फिर आभूषण पहनाएं. अब फूलों की माला पहनाएं और सुगंधित इत्र अर्पित करें.
इसके बाद कुमकुम का तिलक लगाएं. धूप, दीप और फूल अर्पित करें. श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं और आरती करें. आरती के बाद परिक्रमा करें और फिर नेवैद्य अर्पित करें. ऊं नमो नाराणाय: कहें और भगवान श्रीहरि को अष्टगंध का तिलक लगाएं. लक्ष्मी-नारायण के पूजन के समय ‘‘ऊँ लक्ष्मी नारायणाभ्यां नमः ’’ का जप करते रहें.
श्री लक्ष्मी नारायण पूजा की सावधानियां
श्री लक्ष्मी नारायण पूजा की शुरुआत शुक्रवार या रविवार को करें. अगले रविवार या शुक्रवार को इस पूजा का समापन करें. इस पूजा के समापन में कम से कम 7 दिन लगते हैं. कुछ विशेष स्थितियों में ये पूजा 7 से 10 दिन तक भी चल सकती है. ऐसी स्थिति में पूजा की शुरुआत का दिन बदल दिया जाता है लेकिन पूजा के समापन का दिन रविवार या शुक्रवार ही रखा जाता है.
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