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भगवान ब्रह्मा भी हुए थे श्रापित, पुष्‍कर में है प्रमुख मंदिर 

Fauzia

नई दिल्‍ली 29 Aug, 2020 02:18 am

हिंदू धर्म में ब्रह्मा, विष्णु, महेश प्रधान देवता हैं. इन्हें देवताओं की त्रिमूर्ति के नाम से भी जाना जाता है. ब्रह्मा संसार के रचयिता हैं, तो विष्णु पालनहार हैं. वहीं, महेश संहारक हैं. भगवान विष्णु और महेश या शिव के मंदिर तो भारत में कई जगह हैं. लेकिन संसार के रचनाकार यानी भगवान ब्रह्मा का मंदिर केवल एक है. अब सवाल उठता है कि जिसने सारा संसार बनाया उसी ईश्वर के लिए मंदिर केवल एक. ऐसा क्यों.

इस बारे में कई तरह की पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. किसी कथा के अनुसार कई राक्षसों ने ब्रह्मा की उपासना कर उनसे वरदान लिया और अन्य देवताओं और ऋषियों को परेशान करना शुरू कर दिया. इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान शंकर ने सभी दानवों का वध कर दिया. इसके बाद से ही लोगों ने भगवान ब्रह्मा की पूजा बंद कर दी और भगवान विष्णु और भोलेनाथ की पूजा शुरु कर दी.

वहीं हिंदू धर्मग्रंध पद्म पुराण के अनुसार धरती पर वज्रनाश नाम के एक राक्षस ने उत्पात मचा रखा था. इसके बढ़ते अत्याचारों से तंग आकर भगवान ब्रह्मा ने उसका वध कर दिया. लेकिन वध करते समय उनके हाथ से कमल के फूल की तीन पत्तियां तीन जगह पर गिर गईं. इन तीनों जगह पर तीन झीलें बन गईं. इस घटना के बाद ही इस जगह का नाम पुष्कर पड़ा. फिर भगवान ब्रह्मा ने संसार की भलाई के लिए इसी जगह पर यज्ञ करने का फैसला किया. यज्ञ पूरा करने के लिए ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री का साथ होना ज़रूरी था.

लेकिन किसी कारणवश सावित्री जी समय पर नहीं पहुंच पाईं और ब्रह्मा जी ने गुर्जर समुदाय की लड़की गात्री से विवाह कर यज्ञ शुरु कर दिया. जब सावित्री जी पहुंचीं तो अपने पति के साथ किसी और लड़की को यज्ञ में बैठा देखकर क्रोधित हो उठीं और उन्होंने भगवान
ब्रह्मा को श्राप दे डाला कि देवता होने के बावजूद धरती पर कभी भी उनकी पूजा नहीं की जाएगी और ना ही उनका कोई मंदिर होगा. सावित्री जी का क्रोध देख यज्ञ में शामिल सभी देवताओं ने उनसे श्राप वापिस लेने की विनती की. लेकिन एक बार दिया गया श्राप वापिस
नहीं लिया जा सकता था. जब सावित्री जी का गुस्सा शांत हुआ तो उन्होंने रियायत देते हुए कहा कि सिर्फ पुष्कर में ही भगवान ब्रह्मा का मंदिर स्थापित होगा. यदि संसार में कहीं भी कोई और ब्रह्मा का मंदिर बनाएगा तो उसका विनाश हो जाएगा. 

अक्सर लोग यही जानते हैं कि भगवान ब्रह्मा के दर्शन करने हैं, तो पुष्कर जाना होगा. लेकिन हम आपको भारत की उन जगहों के बारे में बताते हैं जहां पर ब्रह्मा के मंदिर हैं.

चूंकि पुष्कर में ही ब्रह्मा जी का सबसे पुराना मंदिर है, तो सबसे पहले बात इसी मंदिर की करते हैं. पुष्कर में इस मंदिर का निर्माण किसने और कब करवाया, इसका कहीं कोई उल्लेख नहीं है. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि करीब एक हज़ार साल पहले अरण्व वंश के एक राजा को सपने में किसी ने आदेश दिया था कि पुष्कर में एक बहुत पुराना मंदिर है जिसे रख-रखाव की ज़रूरत है. इसके बाद ही राजा ने मंदिर के ढांचे को नए सिरे से तामीर कराया.

पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही यहां यज्ञ किया था लिहाज़ा हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर ही यहां मेला लगता है और हज़ारों की संख्या में ब्रह्मा जी के भक्त यहां दर्शन करने आते हैं. बताया जाता है कि राजस्थान में बाड़मेर के गांव असोतारा में भी ब्रह्मा जी का एक मंदिर है. इस मंदिर का मुख्य सभागार जैसलमेर के मशहूर पीले पत्थरों से बना है. जबकि ब्रह्मा जी की मूर्ती संगमरमर से निर्मित है.
 
बताया जाता है कि ये ऐसा पहला मंदिर है, जहां ब्रह्मा जी के साथ मां सावित्री भी विराजमान हैं. इस मंदिर का निर्माण राजपुरोहित समाज के कुलगुरु श्री श्री 1008 श्री खेताराम जी महाराज ने करवाया था. इस मंदिर में हर रोज़ पक्षियों को 200 किलो ग्राम दाना खिलाया जाता है जिसकी वजह से यहां रंग बिरंगे पक्षियों की भारी संख्या मौजूद रहती है.

ब्रह्मा जी का एक मंदिर, तमिलनाडु के तंजावुर जिले के कुंभकोणम में है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा को अपनी कला पर काफी घमंड था. वो ख़ुद को भगवान शिव और विष्णु से बड़ा बताते थे. एक दिन भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी का घमंड तोड़ने के लिए भूत बना दिया. ब्रह्मा जी डर गए और सहायता के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे. भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी से कहा कि धरती पर जाकर अपनी कला फिर से हासिल करो. और इस काम के लिए ब्रह्मा जी ने कुंभकोणम को चुना. और इसीलिए यहां ब्रह्मा जी का मंदिर भी स्थापित है.

भगवान ब्रह्मा का एक मंदिर हिमाचल की कुल्लू घाटी में भी है. बताया जाता है ये मंदिर चौदवहीं शताब्दी में बनाया गया था और पूरी तरह लकड़ी से बना है. इस मंदिर में ब्रह्मा जी के साथ भगवान विष्णु की मूर्ती भी स्थापित की गई है. मंदिर के दोनों ओर गढ़ जोगनी और
मणिकरण जोगनी के मंदिर हैं. बताया जाता है इस मंदिर के पास पहले एक झरना भी बहता था. लेकिन, अब वो सूख चुका है.

आंध्र प्रदेश के गुंटूर में ब्रह्मा जी का 200 साल पुरान मंदिर है. यहां चतुर्भुज ब्रह्मा जी वास करते हैं. यानी यहां ब्रह्मा जी की चार मुखों वाली प्रतिमा स्थापित है. इस मंदिर का निर्माण राजा वासिरेड्डी वेंकटाद्री नायडू ने करवाया था. केरल राज्य के कोल्लम और अल्लपुझा जिलों की सीमा पर ब्रह्मा जी का मंदिर है. ये मंदिर यहां का एक पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है. इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां ना तो कोई छत है ना दीवार और ना ही कोई गर्भ-गृह है जहां प्रतिमा स्थापित हो. बल्कि भक्त यहां एक बरगद के पेड़ के मूल- भाग को ब्रह्मा जी मान कर उनकी पूजा करते हैं. दर्शन के लिए यहां भारी संख्या में भक्त पहुंचते हैं.

तिरूचिरापल्ली में 8वीं शताब्दी में चोल शासकों ने लामार कोइल ब्रह्मा मंदिर बनवाया था. ये मंदिर त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश को समर्पित है. ये मंदिर द्राविड़ शैली में बना है. ये इकलौता ऐसा ऐतिहासिक मंदिर है जहां प्रत्येक हिंदू देव-त्रयी और अनसे सम्बद्ध देवियों की पूजा अर्चना के लिए छह अलग-अलग पीठ हैं.

तो, अगर अब आपसे कोई कहे कि ब्रह्मा जी के दर्शन के लिए तो पुष्कर ही जाना पड़ेगा. तो उसे ब्रह्मा के इन मंदिरों के बारे में ज़रूर बताएं.

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