यदि भारत ने हिंसा को अपना धर्म स्वीकार कर लिया और यदि उस समय मैं जीवित रहा, तो मैं भारत में नहीं रहना चाहूंगा.
यह कहना था अहिंसा के प्रबल समर्थक, शांति के अग्रदूत और भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का. वो व्यक्ति जिनकी विचाराधाराओं से प्रभावित होकर पूरा विश्व आज के दिन विश्व अहिंसा दिवस मनाता है. आज हम उसी महान व्यक्ति महात्मा गाँधी की 151 वीं जयंती मना रहे हैं. गांधी जी ने कहा था कि मौन सबसे सशक्त भाषण है, धीरे धीरे दुनिया आपको सुनेगी. लेकिन क्या जिस तरह के भारत की कल्पना महात्मा गाँधी ने की थी, उस राह पर भारत आगे बढ़ रहा है? क्या अहिंसा के सिद्धांत पर चलने वाले व्यक्ति को राष्ट्रपिता कहने वाला देश आज उनकी विचारधाराओ पर गहराई से मनन कर पा रहा है? क्या आज के परिवेश में बापू के विचारधारा लेख, आलेख निबंध भाषण में सिमटकर रह गए है?
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