उत्तर प्रदेश सरकार में एक के बाद एक स्थानों और स्टेशनों के नाम बदलने का सिलसिला जारी है और इसी कड़ी में अब एक और नाम जुड़ गया है. वाराणसी जिले में स्थित मंडुआडीह स्टेशन का नाम बदल दिया गया है. अब ये स्टेशन बनारस स्टेशन के नाम से जाना जाएगा. उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नाम बदलने की अनुमति दे दी है. केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर इस संबंध में जानकारी दी. अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के मंडुआडीह स्टेशन को अब पूरे देश में लोकप्रिय व प्रसिद्ध नाम बनारस से जाना जाएगा. उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल द्वारा, केंद्र सरकार के अनापति पत्र के आधार पर इस स्टेशन का नाम परिवर्तित कर बनारस रखने की अनुमति दी गई.' इससे पहले 17 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए मंजूरी दे दी थी.
PM @NarendraModi जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के मंडुआडीह स्टेशन को अब पूरे देश में लोकप्रिय, व प्रसिद्ध नाम बनारस से जाना जायेगा।
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) September 17, 2020
उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल द्वारा, केंद्र सरकार के अनापत्ति पत्र के आधार पर, इस स्टेशन का नाम परिवर्तित कर बनारस रखने की अनुमति दी गयी। pic.twitter.com/cYfN9up1Fl
उत्तर प्रदेश सरकार ने वाराणसी जिले में रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए आग्रह भेजा था. जिसके बाद मार्च में ही यूपी सरकार को मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर ‘बनारस’ करने के लिए एक एनओसी जारी किया गया था. मंडुआडीह स्टेशन का नवनिर्माण जनवरी 2019 मे किया गया था. और इस काम के लिए 36 करोड़ 79 लाख रुपये खर्च किए गए थे. शुरुआत में यहां महज़ तीन ही प्लटेफॉर्म थे और वो भी बदहाल. लेकिन नवनिर्माण के बाद इनकी रंगत ही बदल गई. मौजूदा समय में यहां आठ प्लेटफॉर्म हैं. ये स्टेशन अब इतना आकर्षित हो गया है कि फिल्मी दुनिया को भी लुभाने लगा है. फिल्म अभिनेता आयुष्मान खुराना की फिल्म शुभ मंगल सावधान की शूटिंग भी यहीं हुई थी. स्टेशन के नवनिर्माण के बाद इसका नाम बदने की चर्चा शुरु हो गई थी. आपको बता दें पिछले साल, पूर्व केंद्रीय मंत्री और जम्मू-कश्मीर के मौजूदा राज्यपाल मनोज सिन्हा ने उत्तर प्रदेश को प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए पत्र लिखा था. इस स्टेशन से वाराणसी-नई दिल्ली के बीच महत्वपूर्ण ट्रेन शिवगंगा एक्सप्रेस, ग्वालियर के लिए बुंदेलखंड एक्सप्रेस, खुजराहो के लिए लिंक एक्सप्रेस समेत 6 ट्रेनें चलती हैं.
किसी भी स्थान का नाम बदलने के प्रस्ताव को रेल मंत्रालय, डाक विभाग और सर्वे ऑफ इंडिया से एनओसी लेना अनिवार्य होता है. किसी गांव या शहर या नगर का नाम बदलने के लिए शासकीय आदेश की जरूरत होती है और इसके लिए गृह मंत्रालय, नोडल मंत्रालय है. ऐसे में यदि कोई राज्य किसी जिले या रेलवे स्टेशन का नाम बदलना चाहता है तो उसे अपना अनुरोध केंद्र सरकार के कई विभागों और एजेंसियों जैसे कि इंटेलिजेंस ब्यूरो, डाक विभाग, भारतीय भौगोलिक सर्वेक्षण और रेलवे मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजना होता है. इन सभी विभागों से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट मिलने के बाद ही नाम में बदलाव को मंजूरी मिल सकती है.
2017 में सत्ता में आने के तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गृह मंत्रालय को मुगल सराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए चिट्ठी लिखी थी. चिटठी में मुग़ल सराय स्टेशन का नाम भारतीय जनसंघ के विचारक दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर रखने की बात कही गई थी. गृह मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद मुग़ल सराय स्टेशन पंडित दीनदयाल के नाम से ही जाना जा रहा है. दो साल पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहबाद का नाम बदलने का अनुरोध गृह मंत्रालय से किया था और मंज़ूरी मिलने के बाद इलाहबाद भी प्रयागराज बन गया.
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