उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान व कुछ अन्य राज्यों में महिलाओं के खिलाफ हालिया घटनाओं के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एडवाइजरी (Advisory) जारी की है. जिसके तहत गृह मंत्रालय ने महिला अपराध के मामलों में पुलिस की सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा है. हाल ही में हुए हाथरस कांड (Hathras Gagrape Case) के बाद उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) से लेकर केंद्र सरकार तक, महिला सुरक्षा को लेकर बेहद गंभीर नज़र आ रही हैं. जारी एजवाइजरी के तहत रेप या किसी भी महिला के साथ हो रहे दुष्कर्म जैसे मामलों में सही तरीके से काम करने और मामले में लापरवाही न बरतने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं.
दुष्कर्म के मामलों में जल्द से जल्द आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज करने, समय पर फॉरेंसिक जांच करने और सबूत जुटाने का निर्देश है दिया गया है. मंत्रालय ने कहा है कि महिला के खिलाफ अपराध यदि किसी थाने के अधिकार क्षेत्र के बाहर हुआ है तो उस स्थिति में जीरो एफआइआर (Zero FIR) यानी शून्य प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.
बता दें कि हाल ही में हाथरस में 19 वर्षीय महिला के साथ हुए दुष्कर्म और पुलिस की लापरवाही ने एक बार फिर देशभर में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को हवा दे दी है. ट्विटर से लेकर सारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आम जनता महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को रोकने में सरकार की अक्षमता से काफी नाराज हैं. महिलाओं के साथ रेप जैसी घटनाओं और साल दर साल अत्याचार की बढ़ती संख्या से प्रशासन पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर प्रशनचिह्न लगा है.
दिशा-निर्देशों में साफ कहा गया है कि अगर महिलाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने या जांच में किसी तरह की चूक होती है तो मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी . भारतीय दंड संहिता के तहत धारा 166 (A) पीड़िता की FIR दर्ज न करने की स्थिति में पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की इजाज़त देता है. वहीं सीआरपीसी की धारा 173 के तहत दुष्कर्म के मामले में 2 महीने के भीतर जांच पूरी करना ज़रूरी है.
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