माना कि माननीय मुख्यमंत्री जी मानसिक व शारीरिक रूप से थक चुके है. लोकतंत्र में जीत-हार चलती रहती है. वो हार देखकर घबराए नहीं और भाषा की शालीनता और मर्यादा को बनाए रखे.
नीतीश कुमार जी, आजकल बौखलाहट में कुछ भी बोल रहे है. कह रहे है जेल से पैसा आएगा. 15 साल शासन करने के बाद भी इनको नहीं पता कि बजट में क्या-क्या प्रावधान है और कैसे उन्हें खर्च करना है.
बिहार का वित्तीय बजट 2 लाख 11 हज़ार 761 करोड़ है, जिसका 40% राशि एनडीए सरकार अपनी ढुलमुल, ग़ैर-ज़िम्मेदारना, भ्रष्ट और लचर नीतियों के कारण खर्च ही नहीं कर पाती है और अंत में 80 हज़ार करोड़ रुपये ये हर वर्ष सरेंडर कर देते है.
नीतीश-सुशील मोदी जी,
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 22, 2020
आपने-
30000 करोड़ 60 घोटाले में बर्बाद किया
500 करोड़ चेहरा चमकाने हेतु विज्ञापन पर
24500 करोड़ जल जीवन हरियाली के नाम पर कार्यकर्ताओं को बाँट दिया।
10000 करोड़ की समानांतर अवैध इकॉनमी शराबबंदी के नाम पर चला रहे है।
मानव शृंखला पर हज़ारों करोड़ लुटा दिया।
कोई कार्यकुशल सरकार लगभग 40 फ़ीसद फंड सरेंडर क्यों करेगी? आदरणीय नीतीश जी और सुशील जी, हम इस विशालकाय राशि का आपकी तरह जातीय वोट बैंक बनाने की बजाय आसानी से नए विकास कार्यों और नई बहाली के लिए वेतन के रूप में कर सकते हैं.
मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री जी को बजट का कैसे पता चलेगा? आपके कार्यकाल में सृजन घोटाले, धान घोटाले, तटबंध घोटाले सहित 30000 करोड़ के 60 घोटाले हुए है. यानी आपने गरीब जनता का 30 हज़ार करोड़ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिए. इन घोटालों को स्वयं माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी विगत चुनाव में स्वीकार कर चुके है. इस 30 हज़ार करोड़ की राशि को क्या आप अनुबंध या नियोजन के नाम पर शोषण सह रहे युवाओं की नौकरियों को नियमित कर के वेतनमान नहीं दे सकते थे?
हमारी सरकार बिना भ्रष्टाचार पूरी पारदर्शिता से एक एक पैसा सही कार्य में लगाएगी, राज्य की उत्पादकता बढ़ाएगी, पूंजीपतियों को निवेश के लिए आकर्षित कर नए उद्योग लगाएगी और राज्य की आय कई गुणा बढ़ाएगी।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 22, 2020
हमारी सरकार बिना भ्रष्टाचार पूरी पारदर्शिता से एक एक पैसा सही कार्य में लगाएगी, राज्य की उत्पादकता बढ़ाएगी, पूंजीपतियों को निवेश के लिए आकर्षित कर नए उद्योग लगाएगी और राज्य की आय कई गुणा बढ़ाएगी.
500 करोड़ चेहरा चमकाने के लिए आप विज्ञापन पर खर्च करते है. 24500 करोड़ जल जीवन हरियाली के नाम पर पार्टी कार्यकर्ताओं को बांट पार्टी फंड में हस्तांतरित कर रहे है. शराबबंदी के नाम पर 10 हज़ार करोड़ की समानांतर अवैध इकॉनमी चला रहे है. मानव श्रृंखला पर हज़ारों करोड़ लुटाते है. आप यह सब नहीं समझेंगे और ना समझने की कोशिश करेंगे.
सात निश्चय और नल-जल के नाम पर आपने सरकारी धन के बंदरबांट का जो काला धंधा स्थापित किया है, उसे ध्वस्त कर क्या कर्मियों को वेतन नहीं दिया जा सकता?
कोई कार्यकुशल सरकार लगभग 40 फ़ीसदी बजट राशि हर वर्ष सरेंडर क्यों करेगी? आदरणीय नीतीश जी और सुशील मोदी जी, हम इस विशालकाय राशि का प्रयोग आपकी तरह लुभावने जातीय वोट बैंक बनाने की बजाय नए विकास कार्यों और लाखों नई नौकरियों के वेतन के रूप में कर सकते हैं।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 22, 2020
नीतीश कुमार जी सोचते हैं कि हमारे द्वारा बहाल किए जाने वाले 10 लाख कर्मी सिर्फ इनकी तरफ़ कुर्सी पर ख़ाली बैठकर खाएंगे? हमारी सोच है कि 10 लाख युवाओं की बहाली से सरकार की कार्यकुशलता एव कार्य क्षमता बढ़ेगी, जन सुविधा बढ़ेगी, उत्पादकता व गुणवत्ता बढ़ेगी, खपत बढ़ेगी, सरकारी आय बढ़ेगी, आधारभूत संरचना बेहतर होगा और पूंजी निवेश होगा, लोगों की ख़रीदने की क्षमता बढ़ेगी, बिहार का पैसा बिहार के बाज़ार और अर्थव्यवस्था में ही घूमेगा जिससे सरकार की आय बढ़ती चली जाएगी और राज्य तेजी से विकास करता चला जाएगा.
अब यह सब बात X,Y,Z ज्ञान वाले स्वयं घोषित विश्वज्ञाता मुख्यमंत्री जी को कौन समझायें?
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