सीमा पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के कोर कमांडर्स की बैठक सोमवार देर रात तक चली. क़रीब 14 घंटे तक हुई बातचीत में भारत ने चीन से साफ़ तौर पर कहा कि उसकी सेना को अप्रैल वाली स्थिति पर वापस जाना होगा. आपको बता दें LAC के आर पार भारत और चीन के एक लाख से अधिक सैनिकों और आधुनिक हथियारों का जमावड़ा है.
इस मीटिंग में इंडिया की तरफ़ से 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह, और अक्टूबर में इस कोर की कमान संभालने जा रहे लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन के अलावा पहली बार एक डिप्लोमैट नवीन श्रीवास्तव भी शामिल हुए. ऐसा पहली बार हुआ जब कोर कमांडर्स की मीटिंग में विदेश मंत्रालय के अधिकारी शामिल हुए.
इसकी वजह ये थी कि चीन कूटनीतिक टेबल पर तय शर्तों को सैन्य बातचीत के दौरान मानने से अक्सर इनकार कर देता था. लेकिन 11 सितंबर को भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच मॉस्को में जो मीटिंग हुई थी. और उसमें जिन मुद्दों पर सहमति बनी थी, उसका चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के कमांडर कितना पालन कर रहे हैं, ये देखने के लिए विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी मीटिंग में शामिल हुए.
चीन की ओर से साउथ शिन्जियां मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन इस मीटिंग में शामिल हुए थे.
देर रात चली इस मीटिंग के बाद कोर कमांडर इस बारे में आर्मी चीफ़ और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ़ को ब्रीफिंग देंगे. जिसके बाद आर्मी चीफ रक्षा मंत्री को इस बातचीत की जानकारी देंगे. वहीं, विदेश मंत्रालय के अधिकारी, कोर कमांडर्स की मीटिंग की जानकारी विदेश मंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर को देंगे.
इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय को भी एक रिपोर्ट भेजी जाएगी. विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद चीन ने सीमा पर कोई उकसावे वाली कार्रवाई नहीं की है. लेकिन, LAC के आर पार भारत और चीन के एक लाख से अधिक सैनिकों और आधुनिक हथियारों का जमावड़ा है.
भारत, पहली बार कोर कमांडर्स की मीटिंग में बेहद मज़बूत स्थिति में शामिल हुआ. क्योंकि, 29/30 अगस्त की रात LAC पर भारतीय जवानों ने कई फॉरवर्ड चोटियों पर अपने मोर्चे बना लिए थे. इन चोटियों से उस मोल्दो मीटिंग प्वाइंट पर भी नज़र रखी जा सकती है, जहां पर कोर कमांडर्स की मीटिंग हुई.
Speaking in the Rajya Sabha https://t.co/aWRjvb8cZ3
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 17, 2020
मई में सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद से भारत और चीन के कोर कमांडर्स की ये छठवीं मुलाक़ात थी. इससे पहले दोनों देशों के सैनिक अधिकारी 2 अगस्त को मिले थे. लेकिन, इस बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला था.
कोर कमांडर्स की मीटिंग से ही ये तय होगा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सर्दियों में भी जवानों की तैनाती रहेगी अथवा नहीं.
चीन की हरकतों को देखते हुए भारत ने ठंड के दौरान भी चोटियों की निगरानी की व्यवस्था कर ली है. पर्याप्त मात्रा में रसद और बर्फ़बारी के दौरान जवानों के लिए ज़रूरी सामान मोर्चे तक पहुंचाया जा चुका है. इंडियन आर्मी के साथ-साथ भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान भी मोर्चे पर निगरानी के लिए डटे हुए हैं.
भारत चाहता है कि चीन की पीपुल्स आर्मी पूर्वी लद्दाख और डेपसांग प्लेन्स के इलाक़ों में अपनी सेना को पीछे ले जाए. तभी डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी मानी जाएगी. अन्यथा भारत भी मोर्चे पर अपने सैनिक तैनात किए रहेगा.
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