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मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर: रावण वध के पाप से मुक्ति पाने के लिए जहां भगवान राम ने किया था यज्ञ

PujaPandit Desk

नई द‍िल्‍ली 21 Sep, 2020 12:14 pm

मोढेरा का सूर्य मंदिर (Modhera Sun Temple) विश्‍व के प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में से एक है. यह मंदिर गुजरात के महसाणा जिले से 35 किलोमीटर दक्षिण की ओर मोढेरा गांव में है. कर्क रेखा के ऊपर स्‍थापित मोढेरा का सूर्य मंदिर उत्‍कृष्‍ट वास्‍तुशिल्‍प का जीवंत उदाहरण है. इस मंदिर की संरचना ऐसी है कि यह भूकंप के झटकों को भी आसानी से सहन कर सकता है. इस मंदिर को गुजरात का खजुराहो भी कहा जाता है, क्‍योंकि यहां के स्‍तंभों में खजुराहो जैसी नक्‍काशी देखने को मिलती है. न सिर्फ वास्‍तुशिल्‍प बल्‍कि इसकी अप्रतिम सुंदरता भी देखते ही बनती है. अगर बरसात हो रही हो तो इस मंदिर का अलौकिक दृश्‍य आपकी आत्‍मा को भी तृप्‍त कर देता है.  पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोढेरा के सूर्य मंदिर के ऐसा ही मनोहारी दृश्‍य का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया था, जो देखते ही देखते वायरल हो गया था.

आप भी देखें वीडियो

Modhera’s iconic Sun Temple looks splendid on a rainy day 🌧!

Have a look. pic.twitter.com/yYWKRIwlIe

— Narendra Modi (@narendramodi) August 26, 2020

मोढेरा मंदिर की स्‍थापना का इतिहास
ईरानी शैली में बने इस मंदिर को सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 ई. में बनवाया था. दरअसल, गुजरात के सोलंकी शासक सूर्यवंशी थे और वे सूर्य को अपना कुल देवता मानते थे और पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करते थे. अपने समय में यह सूर्य मंदिर जाग्रत अवस्‍था में था और यहां पूजा-अर्चना, गीत-संगीत, आम सभा और दरबार का आयोजन होता था. महमूद गजनी और अलाउद्दीन खिलजी ने इस मंदिर पर आक्रमण कर काफी लूटपाट और तोड़फोड़ मचाई थी. वर्तमान में यह मंदिर जाग्रत अवस्‍था में नहीं है और यहां पूजा करना निषेध है. फिल्‍हाल मोढेरा का सूर्य मंदिर भारतीय पुरातत्‍व विभाग के संरक्षण में है. 

कैसा है मोढेरा का सूर्य मंदिर  
इस मंदिर के तीन हिस्‍से हैं- गर्भगृह, सभा मंडप, सूर्य कुंड या बावड़ी. 

गर्भगृह: इसकी लंबाई 51 फुट, 9 इंच और चौड़ाई 25 फुट, 8 इंच है. मंदिर का निर्माण कुछ इस प्रकार किया गया था कि सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करे. 

सभा मंडप: मंदिर के सभामंडप में कुल 72 स्तंभ हैं. कहते हैं कि यह 72 स्‍तंभ एक सौर वर्ष के 72 हफ्तों को दर्शाते हैं. इन स्तंभों पर विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र और रामायण व महाभारत के प्रसंगों को उकेरा गया है. जब इन स्तंभों को नीचे से देखा जाता है तब वह अष्टकोणाकार और ऊपर की ओर देखने से वह गोल नजर आते हैं.

सूर्य कुंड: सभामंडप के आगे एक विशाल कुंड है जो सूर्यकुंड, रामकुंड या बावड़ी के नाम से जाना जाता है. जब मंदिर का प्रतिबिंब इस बावड़ी पर पड़ता है तो वह दृश्‍य बेहद मनोरम होता है. इस बावड़ी की सीढ़िया बेहद अलग हैं, क्‍योकि इसकी सीढ़ियों पर कई छोटे बड़े मंदिर हैं. ये मंदिर मुख्‍य रूप से देवादि देव महादेव भगवान शिव, सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु और शीतला माता को समर्पित हैं.  

मोढेरा के मंदिर से जुड़े धार्मिक प्रसंग
मोढेरा के इस भव्‍य सूर्य मंदिर का उल्‍लेख पुराणों में भी मिलता है. स्‍कंद पुराण के अनुसार अत्‍याचारी राक्षस रावण का वध करने के बाद पुरुषोत्तम श्रीराम ने अयोध्‍या पहुंचकर वशिष्‍ठ मुनि से परामर्श मांगा. दरअसल, राम ब्राह्मण वध के पाप से मुक्‍त होना चाहते थे. ऐसे में वशिष्‍ठ मुनि ने राम को धर्मरण्‍य में जाकर आत्‍मशुद्धि यज्ञ करने का परामर्श दिया. वशिष्‍ठ मुनि के बताए मार्ग का अनुसरण करते हुए श्रीराम ने धर्मरण्‍य में यज्ञ किया और सीतापुर नाम के गांव की स्‍थापना की. बाद में इसी गांव का नाम मोढेरा हो गया. वहीं एक अन्‍य कथा के मुताबिक जिन ब्राह्मणों ने भगवान राम की आत्‍मशुद्धि यज्ञ में मदद की थी वे मोढ़ जाति के थे और उनका ये ग्राम मोढेरा हो गया. इस जगह पर भगवान राम ने जहां हवन किया था, वहीं पर सूर्य मंदिर की स्‍थापना की गई थी.

गौरतलब है कि भारत में मोढेरा सूर्य मंदिर के अलावा ओडिशा के कोणार्क में विश्‍व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर भी है.

 

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