भारत के पड़ोसी देश म्यांमार (Myanmar) में तख्तापलट हो गया है. असैनिक सरकार और सेना के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर सोमवार तड़के राष्ट्रपति विन मिंत (Win Myint), स्टेट काउंसलर आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) और सत्तारूढ़ नेशनल लीग ऑफ डेमोक्रेसी (NLD) पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया गया. इसके बाद सरकार ने आपातकाल की घोषणा कर दी. ये आपातकाल एक साल तक चलेगा. म्यामांर की नेता आंग सान सू की और सत्तारूढ़ नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में लेने पर अमेरिका ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. वहीं, भारत ने म्यांमार में तख्तापलट की घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए पड़ोसी देश से लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल करने का आग्रह किया है. विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि सरकार स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है. भारत हमेशा से ही म्यांमार में लोकतांत्रिक व्यवस्था का पक्षधर रहा है.
आपको बता दें कि म्यांमार में हाल ही में चुनाव हुए थे, जिसे सेना ने फर्जी बताया है और इसके बाद सैनिक विद्रोह की आशंकाएं बढ़ गई थी. इस तख्ता पलट के बाद सेना ने देश का नियंत्रण एक साल के लिए अपने हाथों में ले लिया है. सेना ने जनरल को कार्यकारी राष्ट्रपति नियुक्त किया है. नवंबर, 2020 में आम चुनावों के बाद से ही सरकार और सेना के बीच गतिरोध बना हुआ है.
इस बीच, सरकारी रेडिया और टीवी चैनल ने काम करना बंद कर दिया है. इसी के साथ दूरसंचार व्यवस्था भी ठप कर दी गई है. प्रमुख शहरों में मोबाइल इंटरनेट डेटा कनेक्शन और फोन सेवाएं बाधित हो गई हैं.
सेना का कहना है कि 8 नवंबर, 2020 को जो आम चुनाव हुए थे वह फर्जी थे. आपको बता दें कि इस चुनाव में सू की NLD पार्टी को संसद में 83 फीसदी सीटें मिली थीं जो सरकार बनाने के लिए पर्याप्त थीं. लेकिन सेना ने इस चुनाव को फर्जी बताते हुए देश की सर्वोच्च अदालत में राष्ट्रपति और मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी. हालांकि चुनाव आयोग ने ०उनके आरोपों को सिरे से नकार दिया था. इसके बाद सेना ने हाल ही में कार्रवाई की धमकी दी थी. इसके बाद से ही तख्ता पलट की आशंकाएं बढ़ गई थीं.
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