लद्दाख में सीमा पर तनातनी के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का सामना होने जा रहा है. दोनों नेता 17 नवंबर को एक मंच पर होंगे. 17 नवंबर को BRICS देशों का शिखर सम्मेलन होने जा रहा है. जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी हिस्सा लेंगे. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनातनी के बीच दोनों नेता पहली बार आमने-सामने होंगे. हालांकि ये मुलाक़ात सीधी नहीं, बल्कि वर्चुअल होगी.
रूस ने सोमवार को बारहवें ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन की तारीख़ का एलान किया. रूस के अलावा ब्राज़ील, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका इस संगठन के सदस्य हैं. मई महीने में लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच शुरू हुए संघर्ष के बाद शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी पहली बार एक मंच पर साथ होंगे. हालांकि, ये डायरेक्ट मीटिंग नहीं, बल्कि अन्य देशों के साथ वर्चुअल सम्मेलन होगा.
XII BRICS Summit to be held on November 17, 2020 via videoconference ➡️ https://t.co/mYHQAfuqlT
— Russia in India (@RusEmbIndia) October 5, 2020
The theme of the meeting of the leaders of #BRICS countries is “BRICS Partnership for Global Stability, Shared Security and Innovative Growth". pic.twitter.com/dULutyzAZ4
इस बीच लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव जस का तस बना हुआ है. दोनों देशों के कोर कमांडर्स के बीच छह बैठकें हो चुकी हैं. लेकिन अब तक सीमा पर तनातनी कम करने को लेकर सहमति नहीं बन सकी है. भारत और चीन के कोर कमांडर्स की अगली बैठक 12 अक्टूबर को होने वाली है. इससे पहले दोनों देशों के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए बने वर्किंग मेकेनिज़्म के तहत भी बातचीत हो चुकी है. लेकिन, न तो भारत और न ही चीन अपनी सेना पीछे हटाने को तैयार है.
दोनों ही देशों ने सर्दियों में भी सीमा पर अपने अपने सैनिकों को तैनात रखने का पूरा इंतज़ाम कर रखा है. भारत ने भी लद्दाख में भारी तादाद में रसद और गोला बारूद जमा कर लिया है. माना जा रहा है कि LAC के दोनों तरफ़ पचास पचास हज़ार सैनिक तैनात हैं. इसके अलावा टैंक, तोपखाने और मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी तैनात किए गए हैं.
कोर कमांडरों की पिछली बैठक के बाद चीन और भारत, दोनों ने ही इस विवाद पर अपना रुख़ काफ़ी सख़्त कर लिया है. 21 सितंबर को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने लद्दाख को संघ शासित प्रदेश बनाए जाने के बारे में कहा था कि वो इसे मान्यता नहीं देता. चीन ने 1959 की वास्तविक नियंत्रण रेखा की बात भी दोहराई थी. वहीं, भारत ने चीन के इस बयान को सख़्ती से ठुकराते हुए कहा था कि उसने 1959 में चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई द्वारा प्रस्तावित सीमा रेखा को कभी स्वीकार नहीं किया और न ही आगे करेगा.
15 जून को गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की मौत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख का दौरा किया था. तब उन्होंने चीन को सख़्त संदेश देते हुए कहा था कि दुनिया ने विस्तारवाद को ठुकरा दिया है. इसे चीन को डायरेक्ट संदेश कहा गया था.
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