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Navratri 2020: नवरात्रि के पहले दिन इस तरह करें मां शैलपुत्री का पूजन

Babita Pant

नई द‍िल्‍ली 22 Oct, 2020 11:40 am

Navratri 2020: शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) शुरू हो चुके हैं. मां दुर्गा (Maa Durga) के इस महापर्व में शक्ति की देवी के नौ अलग-अलग रूपों की उपासना की जाएगी. हालांकि इस बार नवरात्र में एक नवरात्रि का क्षय हो रहा है और अष्‍टमी व नवमी एक ही दि‍न मनाई जाएगी. ऐसे में इस बार नवरात्रि आठ दिनों की ही होगी. नवरात्रि के पहले दिन घट स्‍थापना (Ghat Sthapna) के साथ मां दुर्गा का आह्वाहन किया जा चुका है और आज भक्‍त मां शैलपुत्री (Maa Shailputri) का पूजन कर रहे हैं. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री (Shailputri) का पूजन किया जाता है. यहां जानिए मां शैलपुत्री के बारे में सब कुछ.

मां शैलपुत्री का उदय
सती के रूप में अपने प्राणों की आहुति देने के बाद मां सती ने देवी पार्वती के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर में जन्‍म लिया. संस्‍कृत में शैल का अर्थ है पर्वत. हिमालय की पुत्री होने के कारण ही इन्‍हें शैलपुत्री नाम दिया गया है. मां शैलपुत्री को हेमवती और पार्वती भी कहा जाता है. शक्ति के सभी नौ रूपों में मां शैलपुत्री अग्रणी हैं, इसलिए इनका पूजन भी नवरात्र के पहले दिन किया जाता है. जिस तरह मां सती का विवाह भोले नाथ से हुआ था उसी तरह शैलपुत्री के रूप में जन्‍मीं मां पार्वती भी महादेव के साथ विवाह बंधन में बंधी थीं.

मां शैलपुत्री का रूप
मां शैलपुत्री का रूप बेहद मनोरम, शांत और भक्‍तों की हर मनोकामना पूरा करने वाला है. मां की दो भुजाएं हैं. उनके एक हाथ में त्रिशूल तो दूसरे में कमल सुशोभित है. मां शैलपुत्री बैल की सवारी करती हैं इसलिए उन्‍हें वृषारूढ़ा भी कहा गया है. मां शैलपुत्री के माथे पर अर्द्ध चंद्र हैं और इन्‍हें चंद्रमा की स्‍वामिनी माना जाता है. मान्‍यता है कि आदि शक्ति मां शैलपुत्री का पूजन करने से चंद्रमा का दोष दूर हो जाता है.

मां शैलपुत्री का प्रिय रंग, फूल और भोग
मां शैलपुत्री का प्रिय रंग सफेद है. सफेद रंग शांति, आरोग्‍य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री को सफेद रंग के वस्‍त्र और लाल रंग की चुनरी पहनानी चाहिए. साथ ही भक्‍त को स्‍वयं भी सफेद रंग के कपड़े पहनकर मां की आराधना करनी चाहिए. मां शैलपुत्री को भोग में सफेद रंग की वस्‍तुएं पसंद हैं. मां को गाय के दूध से बना शुद्ध घी अर्पित करना सर्वोत्तम माना गया है. कहते हैं कि मां शैलपुत्री को घी का भोग लगाने से आरोग्‍य का वरदान मिलता है. मां का प्रिय फूल चमेली है. मां शैलपुत्री का पूजन करते वक्‍त उन्‍हें चमेली के फूलों से बनी माला अवश्‍य पहनाएं.

मां शैलपुत्री की पूजा विधि
- प्रतिपदा यानी कि पहली नवरात्रि को सुबह सवेरे उठकर स्‍नान करें और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें.
- अगर संभव हो तो लाल रंग के कपड़ें पहनें
- अब घर के मंदिर को अच्‍छी तरह साफ करें.
- इसके बाद कलश स्‍थापना करें.
- अब एक चौकी या लकड़ी के पटरे पर लाल या पीले रंग का वस्‍त्र बिछाएं और मां की मूर्ति स्‍थापित करें.
- अब हाथ जोड़कर व्रत का संकल्‍प लें और मां का ध्‍यान करें.
- इसके बाद मां शैलपुत्री की षोडशोपचार विधि से पूजा करें.
- दिन भर व्रत रखें.
- शाम के समय मां की आरती उतारें और सफेद रंग का भोग लगाकर सभी में प्रसाद वितरित करें.
- रात्रि में फलाहार ग्रहण करें.

मां शैलपुत्री पूजन मंत्र
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

मां शैलपुत्री स्‍तुति मंत्र
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां शैलपुत्री ध्‍यान मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
पूणेन्दु निभाम् गौरी मूलाधार स्थिताम् प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्॥

मां शैलपुत्री स्‍तोत्र
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागरः तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानन्द प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह विनाशिनीं।
मुक्ति भुक्ति दायिनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

मां शैलपुत्री कवच
ॐकारः में शिरः पातु मूलाधार निवासिनी।
हींकारः पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥
श्रींकार पातु वदने लावण्या महेश्वरी।
हुंकार पातु हृदयम् तारिणी शक्ति स्वघृत।
फट्कार पातु सर्वाङ्गे सर्व सिद्धि फलप्रदा॥

मां शैलपुत्री की आरती
शैलपुत्री माँ बैल असवार। करें देवता जय जय कार॥
शिव-शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने न जानी॥
पार्वती तू उमा कहलावें। जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥
रिद्धि सिद्धि परवान करें तू। दया करें धनवान करें तू॥
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती जिसने तेरी उतारी॥
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥
घी का सुन्दर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के॥
श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें। प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥
जय गिरराज किशोरी अम्बे। शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥
मनोकामना पूर्ण कर दो। चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥

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