Navratri 2020: शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) के दूसरे दिन शक्ति की देवी मां दुर्गा (Maa Durga) के दूसरे रूप माता ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) की पूजा की जाती है्. देवी मां का यह स्वरूप तप शक्ति का प्रतीक है. मान्यता है कि नवरात्र के दूसरे दिन जो भक्त सच्चे मन और श्रद्धा से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करता है तप करने की शक्ति प्राप्त होती है. मां ब्रह्मचारिणी हमें यह संदेश देती हैं कि बिना तप यानी परिश्रम के सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती और ईश्वर तक नहीं पहुंचा जा सकता है.
मां ब्रह्मचारिणी का उदय
ब्रह्मचारिणी दो शब्दों से मिलकर बना है. ब्रह्मा यानी तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली देवी से है. मां पार्वती ने दक्ष प्रजापति के घर पुत्री रूप में जन्म लिया. मां पार्वती के इस सती रूप ने देवर्षि नारद के कहने पर महादेव को पाने के लिए हजारों सालों तक तपस्या की. कहा जाता है कि भोले नाथ को पति रूप में पाने के लिए मां ने हजारों सालों तक केवल पुष्प और पत्ते कहाकर जीवन व्यतीत किया. यही नहीं आगे चलकर उनका तप और कठिन हो गया. उन्होंने भगवान शिव शंकर की पूजा करते हुए 3 हजार सालों तक केवल बिल्व पत्र खाए. बाद में उन्होंने बिल्व पत्र खाने भी छोड़ दिए और भूखे-प्यासे रहकर
महादेव की आराधना में लीन हो गईं. भीषण गर्मी के थपेड़े और और तूफान के झंझावात भी मां के तप को भंग नहीं कर पाए. सती के कुंवारे रूप को ही ब्रह्मचारिणी कहा जाता है.
मां ब्रह्मचारिणी का रूप
मां ब्रह्मचारिणी को तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा नामों से भी पुकारा जाता है. मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूपत अत्यंत निर्मल, शांत और पावन है. माता अपने इस स्वरूप में बिना किसी वाहन के नजर आती हैं. मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल है. माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह की स्वामिनी हैं. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है.
मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय भोग
नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को चीनी और पंचामृत का भोग लगाएं. मान्यता है कि इस भोग से देवी मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्त को लंबी आयु का वरदान देती हैं. आज के दिन ब्राह्मण को भी दान में चीनी देनी चाहिए.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
- नवरात्र के दूसरे दिन नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें व स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- अब घर के मंदिर में पूर्व दिशा की ओर मुख कर आसन पर बैठ जाएं.
- अब हाथ जोड़कर मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें.
- इसके बाद मां की मूर्ति को पहले पंचामृत और फिर गंगाजल से स्नान कराएं.
- अब मां को वस्त्र अर्पित करें.
- इसके बाद मां को रोली, अक्षत और कुमकुम का तिलक लगाएं.
- इसके बाद उन्हें फल, फूल और फूलों की माला अर्पित करें.
- अब उन्हें पान, सुपारी और लौंग अर्पित करें.
- इसके बाद धूप-दीप से मां की आरती उतारें.
- अब मां को पिस्ते की मिठाई का भोग लगाएं.
- दिन भर उपवास रखें और मां के मंत्रों का जाप करें.
- शाम को फिर से मां की आरती उतारें और भोग लगाएं.
- घर के सभी सदस्यों में प्रसाद वितरित कर आप स्वयं फलाहार करें.
मां ब्रह्मचारिणी मंत्र
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
मां ब्रह्मचारिणी प्रार्थना मंत्र
दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
मां ब्रह्मचारिणी स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां ब्रह्मचारिणी ध्यान
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालङ्कार भूषिताम्॥
परम वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
मां ब्रह्मचारिणी स्तोत्र
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
मां ब्रह्मचारिणी कवच
त्रिपुरा में हृदयम् पातु ललाटे पातु शङ्करभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पञ्चदशी कण्ठे पातु मध्यदेशे पातु महेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अङ्ग प्रत्यङ्ग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।
मां ब्रह्मचारिणी आरती
जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥
ब्रह्म मन्त्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सरल संसारा॥
जय गायत्री वेद की माता। जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता॥
कमी कोई रहने ना पाए। उसकी विरति रहे ठिकाने॥
जो तेरी महिमा को जाने। रद्रक्षा की माला ले कर॥
जपे जो मन्त्र श्रद्धा दे कर। आलस छोड़ करे गुणगाना॥
माँ तुम उसको सुख पहुंचाना। ब्रह्मचारिणी तेरो नाम॥
पूर्ण करो सब मेरे काम। भक्त तेरे चरणों का पुजारी॥
रखना लाज मेरी महतारी।
Leave Your Comment