केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के कार्यान्वयन और प्रगति की समीक्षा की है. बैठक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आयोजित की गई थी. बैठक के दौरान शिक्षा मंत्री ने स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक छात्रों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा और स्कूल शिक्षा विभागों के बीच एनईपी के कार्यान्वयन में समन्वय के लिए एक टास्क फोर्स के गठन की सिफारिश की है.
इस संबंध में जारी एक बयान में कहा गया है कि उच्च शिक्षा में कार्यान्वयन के लिए कुल 181 कार्यों की पहचान की गई है और स्पष्ट समयसीमा और लक्ष्यों के साथ एनईपी के इन चिन्हित 181 कार्यों की प्रगति की निगरानी के लिए एक डैशबोर्ड तैयार किया जा सकता है.
श्री निशंक ने सुझाव दिया कि एनईपी के शीघ्र कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए उच्च शिक्षा सचिव के नेतृत्व में एक समीक्षा समिति और एक अनुपालन समिति गठित करने का सुझाव दिया है.
पोखरियाल ने कहा कि हितधारकों से एनईपी के कार्यान्वयन और सरकार की मौजूदा नीतियों के बीच तालमेल सुनिश्चित करने का आह्वान किया. उन्होंने बेहतर परिणामों के लिए उद्योग और शिक्षा के बीच संबंधों को सक्षम करने पर भी जोर दिया.
क्या है नई शिक्षा नीति?
नई शिक्षा नीति में 10+2 के फॉर्मेट को भी पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है. इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 व कक्षा 2 शामिल होंगे. इसके बाद क्लास-3, 4 और 5 को अगले स्टेज में रखा गया है. इसके अलावा क्लास-6, 7, 8 को तीन साल के प्रोग्राम में बांटा गया है. आखिर में क्लास-9, 10, 11, 12 को हाई स्टेज में रखा गया है.
नई शिक्षा नीति मे मल्टीपल डिस्प्लिनरी एजुकेशन की बात कही गई है. इसका मतलब यह है कि कोई भी छात्र विज्ञान के साथ-साथ कला और सामाजिक विज्ञान के विषयों को भी दसवीं-बारहवीं बोर्ड और ग्रेजुएशन में चुन सकता है. इसमें कोई एक स्ट्रीम मेजर और दूसरा माइनर होगा.
नई शिक्षा नीति के तहत नेशनल टेस्टिंग एजेंसी हर साल एक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (Common Entrance Test) आयोजित करेगी जिसके जरिए देश भर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एडमिशन होगा.
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नई शिक्षा नीति के तहत यूजीसी, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद जैसे निकायों का विलय किया जाएगा. भारत में एक हॉयर एजुकेशन कमीशन होगा. इसके अलावा देश में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय अनुसंधान कोष का गठन भी किया जाएगा.
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