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UGC के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर, बिना परीक्षा दिए फाइनल ईयर के स्‍टूडेंट्स को नहीं मिलेगी डिग्री

Career16PlusDesk

नई दिल्‍ली 28 Aug, 2020 05:06 pm

सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालयों के फाइनल ईयर की परीक्षाओं पर फैसला सुनाते हुए शुक्रवार को कहा कि 30 सितंबर तक फाइनल ईयर के एग्जाम होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के 30 सितंबर तक विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर की परीक्षा कराने के फैसले को सही ठहराया. साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को लगता है कि परीक्षा कराना संभव नहीं है तो वो यूजीसी के पास जा सकता है.

इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यूजीसी के 6 जुलाई के सर्कुलर को पूरी तरह सही ठहराया और कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत राज्य महामारी को ध्यान में रखते हुए परीक्षा स्थगित कर सकते हैं लेकिन उन्हें यूजीसी के साथ सलाह मशविरा करके परीक्षा की नई तारीख तय करनी होगी.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने ट्वीट कर इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, ''आज अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के संदर्भ में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यूजीसी के पक्ष में जो निर्णय दिया है उसका मैं हृदय से स्वागत करता हूं. आइए हम राजनीति को शिक्षा से दूर रखें और अपनी राजनीति को और अधिक शिक्षित बनाएं.''

आपको बता दें कि यूजीसी ने छह जुलाई को देशभर के विश्वविद्यालयों को 30 सितंबर तक फाइनल ईय की परीक्षाएं आयोजित करने का निर्देश दिया था. यूजीसी ने कहा था कि अगर परीक्षाएं नहीं हुईं तो छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा. यूजीसी की इस गाइडलाइंस को देश भर के कई छात्रों और संगठनों ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती थी.

याचिकाओं में कहा गया था कि कोविड-19 (Covid-19) महामारी के बीच परीक्षाएं करवाना छात्रों की सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है. छात्रों का सुझाव था कि यूजीसी को परीक्षाएं रद्द कर छात्रों के पिछले प्रदर्शन और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर परिणाम घोषित करने चाहिए.

इससे पहले यूजीसी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को कोविड-19 महामारी के बीच फाइनल ईयर की परीक्षाएं 30 सितंबर तक आयोजित कराने के संबंध में छह जुलाई को जारी निर्देश कोई फरमान नहीं है, लेकिन परीक्षाओं को आयोजित किए बिना राज्य डिग्री प्रदान करने का निर्णय नहीं ले सकते. यूजीसी ने कोर्ट को बताया था कि यह निर्देश ''छात्रों के लाभ'' के लिए है क्योंकि विश्वविद्यालयों कोपोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज के लिए प्रवेश शुरू करना है और राज्य प्राधिकार यूजीसी के दिशा-निर्देशों को नजरअंदाज नहीं सकते हैं.

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