इस्लामिक कट्टरपंथ के ख़िलाफ़ फ्रांस के राष्ट्रपति के बयान पर आज पाकिस्तान की संसद में गर्मागर्म बहस हुई. सभी दलों ने एक सुर से एक प्रस्ताव पारित किया कि पाकिस्तान, प्रेसीडेंट मैक्रों के बयान के विरोध में फ्रांस से अपना राजदूत वापस बुला ले. पाकिस्तान की संसद ने फ्रांस से अपने राजदूत को वापस बुलाने का प्रस्ताव पास भी कर दिया. मगर, मज़े की बात ये है कि फ्रांस में पाकिस्तान का कोई राजदूत है ही नहीं.
पाकिस्तान के अख़बार द न्यूज़ इंटरनेशनल के मुताबिक़, फ्रांस में पिछले तीन महीने से पाकिस्तान का कोई राजदूत नहीं है. इससे पहले फ्रांस में पाकिस्तान के राजदूत मोइन उल हक़ का ट्रांसफर चीन कर दिया गया था. जिसके बाद से अब तक पाकिस्तान की सरकार ने फ्रांस में अपना राजदूत तैनात ही नहीं किया है. लेकिन, फ्रांस के राष्ट्रपति के प्रति ग़ुस्सा दिखाने के चक्कर में पाकिस्तान की संसद ने अपनी ही फ़ज़ीहत करा ली.इससे भी मज़े की बात ये है कि पाकिस्तान की संसद में फ्रांस की मज़म्मत करने वाला प्रस्ताव ख़ुद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने पेश किया था. उन्हें मालूम है कि फ्रांस में पाकिस्तान का कोई राजदूत नहीं है. लेकिन, उन्होंने ये जानकारी अपने देश की संसद को नहीं दी.
पाकिस्तान की संसद ने फ़्रांस से अपना राजदूत वापस बुलाने का प्रस्ताव पारित कर दिया. बाद में पता चला कि वहां पाकिस्तान का कोई राजदूत है ही नहीं. मैं 'बकरा किश्तों पे' के ज़माने से पाकिस्तानियों के ह्यूमर का फैन रहा हूँ.
— Kirtish Bhatt (@Kirtishbhat) October 27, 2020
इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद में फ्रांस के राजदूत को तलब करके, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों के बयान के प्रति नाराज़गी जताई थी. असल में मैक्रों ने फ्रांस के अध्यापक सैमुअल पैटी की 16 अक्टूबर को हुई हत्या को इस्लामिक आतंकवाद कहा था. सैमुअल पैटी ने फ्रीडम ऑफ़ स्पीच की अपनी कक्षा में छात्रों को मुसलमानों के आख़िरी पैग़म्बर मुहम्मद का कार्टून दिखाया था. ये कार्टून पांच वर्ष पहले फ्रांस की व्यंग पत्रिका शार्ली एब्दो ने प्रकाशित किया था. जिसके बाद शार्ली एब्दो के दफ़्तर पर भी 2015 में आतंकवादी हमला हुआ था.
मैक्रों ने सैमुअल पैटी की याद में हुई श्रद्धांजलि सभा में कहा था कि किसी की धार्मिक भावनाओं के चक्कर में फ्रांस अभिव्यक्ति की आज़ादी पर कोई पाबंदी नहीं लगाएगा. फिर चाहे वो कोई कार्टून हो या कुछ और. उन्होंने इस्लामिक कट्टरपंथ से निपटने के लिए नया क़ानून बनाने की बात भी कही.
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के बयान के ख़िलाफ़ कई मुस्लिम देशों में प्रदर्शन हुए हैं. ईरान की संसद ने भी फ्रांस के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया है. अरब देशों से लेकर तुर्की तक फ्रांस में बने सामानों के बहिष्कार का अभियान चलाया जा रहा है. पाकिस्तान के पीएम इमरान ख़ान ने कई ट्वीट करके फ्रांस के राष्ट्रपति के बयान पर ऐतराज़ जताया था.
लेकिन, पाकिस्तान की संसद ने अब जो प्रस्ताव पारित किया, उससे ख़ुद पाकिस्तान की फ़ज़ीहत हो गई.
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