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SC का बड़ा फैसला- 'शाहीन बाग़ का धरना ग़लत था, पुलिस को नहीं करना चाहिए था इंतजार'

Babita Pant

नई द‍िल्‍ली 07 Oct, 2020 04:55 pm

नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के ख़िलाफ़ शाहीन बाग़ में सड़क पर धरना देना ग़लत था और पुलिस को इसमें किसी आदेश का इंतज़ार करने के बजाय ख़ुद एक्शन लेना चाहिए था. विरोध के नाम पर किसी सार्वजनिक स्थान पर अनिश्चित काल के लिए क़ब्ज़ा कर लेना बिल्कुल ग़लत है. सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग़ के धरने पर ये बड़ा फ़ैसला सुनाया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन बिल्कुल जायज़ है. लेकिन, इसके लिए किसी प्रदर्शनकारी अगर किसी सार्वजनिक स्थल को घेर लेते हैं, तो वो ठीक नहीं है.

इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कर दिया है कि अगर कोई भी विरोध प्रदर्शन करता है, तो सरकार को कोर्ट के आदेश का इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं है.

आपको बता दें कि पिछले साल नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ दिल्ली के शाहीन बाग़ में सैकड़ों लोग सड़क रोक कर धरने पर बैठ गए थे. इसमें से ज़्यादातर मुस्लिम महिलाएं थीं. हालांकि, विरोध-प्रदर्शन को अन्य वर्गों के लोगों का समर्थन भी हासिल था. 

इस प्रदर्शन के दौरान समाज के तमाम सेलेब्रिटी, प्रदर्शनकारियों के समर्थन में वहां पहुंचते रहे थे. धरने पर बैठी महिलाएं दिन-रात वहां डटी रही थीं. भयंकर सर्दी में भी शाहीन बाग़ का धरना जारी रहा था. इस दौरान गोली चलने से लेकर बम फेंकने तक की घटनाएं वहां पर हुई थीं. 

सड़क बंद होने से दिल्ली के एक हिस्से की आवाजाही पर बहुत बुरा असर पड़ा था. हर दिन हज़ारों लोगों कों घंटों जाम का सामना करना पड़ता था.

जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इस धरने के ख़िलाफ़ याचिका दाख़िल की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए एक कमेटी बनाई थी. जिसने शाहीन बाग़ जाकर प्रदर्शनकारियों से बातचीत की और उन्हें सड़क से धरना हटाने के लिए कहा था. लेकिन, प्रदर्शनकारियों ने ऐसा करने से मना कर दिया था.

शाहीन बाग़ की तर्ज पर दिल्ली ही नहीं देश में कई जगहों पर मुस्लिम समुदाय ने ऐसे ही अनिश्चितकालीन धरने शुरू किए थे. 

उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में सड़क घेर कर धरना देने की ऐसी ही तैयारी का विरोध करने कुछ हिंदू संगठन और बीजेपी नेता भी पहुंच गए थे. जिसके बाद फ़रवरी महीने में उत्तरी पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क उठे थे. 

मार्च में कोरोना वायरस का प्रकोप फैलने के बाद शाहीन बाग़ से बहुत से प्रदर्शनकारी हट गए थे. लेकिन, कुछ महिलाएं फिर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सड़क पर बैठी रही थीं. हालांकि, जैसे-जैसे वायरस का प्रकोप बढ़ा, वैसे-वैसे महिलाओं की तादाद कम होती गई और अंतत: ये धरना समेट लिया गया.

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