कोरोना महामारी के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत की. पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इसका शुभारंभ किया. पीएम मोदी ने लोगों से वैक्सीन को लेकर अफवाहों से बचन की सलाह दी. साथ ही कहा कि कोरोना टीकाकरण की शुरुआत का मतलब यह नहीं है कि हम एहतियात बरतना छोड़ दें. हमें मास्क पहनने और शारीरिक दूरी का पालन करते रहना है. दवाई भी और कड़ाई भी का मंत्र याद रखे.
पीएम ने कहा कि आज वो वैज्ञानिक, वैक्सीन रिसर्च से जुड़े अनेकों लोग प्रशंसा के हकदार हैं, जो बीते महीनों से कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाने में जुटे थे. आमतौर पर एक वैक्सीन बनाने में बरसों लग जाते हैं. लेकिन इतने कम समय में एक नहीं, दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार हुई हैं.
कई महीनों से कोरोना वैक्सीन बनाने में जुटे वैज्ञानिक विशेष प्रशंसा के हकदार हैं। आमतौर पर वैक्सीन बनाने में बरसों लग जाते हैं लेकिन इतने कम समय में एक नहीं, दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार हुई है: PM@narendramodi @PMOIndia@mygovindia @MoHFW_INDIA #LargestVaccineDrive pic.twitter.com/WXSzRJCUPa
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उन्होंने कहा कि मैं ये बात फिर याद दिलाना चाहता हूं कि कोरोना वैक्सीन की दो डोज लगनी बहुत जरूरी है. पहली और दूसरी डोज के बीच, लगभग एक महीने का अंतराल भी रखा जाएगा. दूसरी डोज़ लगने के 2 हफ्ते बाद ही आपके शरीर में कोरोना के विरुद्ध ज़रूरी शक्ति विकसित हो पाएगी.
कोरोना वैक्सीन की 2 डोज लगनी बहुत जरूरी है। पहली और दूसरी डोज के बीच लगभग एक महीने का अंतराल भी रखा जाएगा: PM@narendramodi @PMOIndia@mygovindia @MoHFW_INDIA #LargestVaccineDrive pic.twitter.com/7zjVhFsQLe
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टीकाकरण अभियान के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास में इस प्रकार का और इतने बड़े स्तर का टीकाकरण अभियान पहले कभी नहीं चलाया गया है. दुनिया के 100 से भी ज्यादा ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या 3 करोड़ से कम है और भारत वैक्सीनेशन के अपने पहले चरण में ही 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण कर रहा है.
उन्होंने कहा कि दूसरे चरण में हमें इसको 30 करोड़ की संख्या तक ले जाना है. जो बुजुर्ग हैं, जो गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं, उन्हें इस चरण में टीका लगेगा. आप कल्पना कर सकते हैं, 30 करोड़ की आबादी से ऊपर के दुनिया के सिर्फ तीन ही देश हैं- खुद भारत, चीन और अमेरिका.
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पीएम ने कहा कि भारतीय वैक्सीन विदेशी वैक्सीन की तुलना में बहुत सस्ती हैं और इनका उपयोग भी उतना ही आसान है. विदेश में तो कुछ वैक्सीन ऐसी हैं जिसकी एक डोज 5,000 हजार रुपये तक में हैं और जिसे -70 डिग्री तापमान में फ्रीज में रखना होता है. उन्होंने कहा कि भारत की वैक्सीन ऐसी तकनीक पर बनाई गई है जो भारत में ट्राइड और टेस्टेड है. ये वैक्सीन स्टोरेज से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक भारतीय स्थितियों और परिस्थितियों के अनुकूल हैं. यही वैक्सीन अब भारत को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक जीत दिलाएगी.
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब कुछ देशों ने अपने नागरिकों को चीन में बढ़ते कोरोना के बीच छोड़ दिया था, तब भारत, चीन में फंसे हर भारतीय को वापस लेकर आया और सिर्फ भारत के ही नहीं, हम कई दूसरे देशों के नागरिकों को भी वहां से वापस निकालकर लाए.
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