प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक और पद्म विभूषण से सम्मानित रोड्डम नरसिम्हा (Roddam Narasimha) का सोमवार रात बंगलुरु के एक प्राइवेट अस्पताल में निधन हो गया. वह 87 वर्ष के थे. ब्रेन स्ट्रोक आने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वह अस्पताल के आईसीयू में थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोड्डम नरसिम्हा के निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया. उनके ट्वीट के मुताबिक, "रोड्डम भारत की श्रेष्ठ परंपरा के ज्ञानी थे. वह एक महान वैज्ञानिक थे. वह भारत की प्रगति के लिए विज्ञान और इनोवेशन को लेकर हमेशा आगे रहते थे. उनके निधन से दुख हुआ है. उनके परिवार तथा मित्रों के लिए संवेदनाएं. ऊं शांति."
Shri Roddam Narasimha personified the best of India’s tradition of knowledge and enquiry. He was an outstanding scientist, passionate about leveraging the power of science and innovation for India’s progress. Pained by his demise. Condolences to his family and friends. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 15, 2020
रमैया मेमोरियल अस्पताल में न्यूरोसर्जन तथा वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टर सुनील वी फुर्तादो ने कहा कि प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएस) में सेवाएं देने वाले वैज्ञानिक नरसिम्हा ने रात करीब साढ़े आठ बजे अंतिम सांस ली. मस्तिष्क में रक्तस्राव के बाद आठ दिसंबर को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
फुर्तादो के मुताबिक, "उन्हें जब अस्पताल लाया गया था, तब उनकी हालत बेहद नाजुक थी. उनके मस्तिष्क में खून बह रहा था. वह हृदय संबंधी बीमारी से ग्रस्त थे और 2018 में उन्हें मस्तिष्काघात हुआ था."
20 जुलाई 1933 को जन्मे प्रोफेसर नरसिम्हा ने एयरोस्पेस के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान दिया. वह 1962 से 1999 तक IISc में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग पढ़ाया करते थे. वह 1984 से 1993 तक नेशनल एयरोस्पेस लैबरोटरीज के डायरेक्टर भी रहे.
नरसिम्हा महान वैज्ञानिक सतीश धवन के पहले स्टूडेंट थे. उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) समेत भारत के महत्वपूर्ण वैज्ञानिक कार्यक्रमों में अहम योगदान दिया था.
अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में सरहानीय योगदान के लिए केन्द्र सरकार ने 2013 में नरसिम्हा को देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया. इसके अलावा उन्होंने भटनागर पुरस्कार और साल 2008 का ट्राइस्टे विज्ञान पुरस्कार भी जीता था.
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