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पीएम मोदी ने कहा, किसानों को भड़काया गया, विपक्ष ने रची साजिश

Babita Pant

नई द‍िल्‍ली 15 Dec, 2020 07:48 pm

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कृषि कानूनों (Farm Laws) पर जारी किसानों के विरोध-प्रदर्शन के लिए विपक्ष को जिम्‍मेदार ठहराया. पीएम मोदी ने मंगलवार को कहा कि मानसून सत्र में पारित कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्‍ली की सीमाओं पर जुटे किसानो को भ्रमित किया गया है.

पीएम मोदी ने कहा, "विपक्ष में बैठे जो लोग आज किसानों को भड़का रहे हैं वे जब सत्ता में थे तो इन्‍हीं कानूनों के पक्ष में थे. वे अपने शासन के दौरान फैसला नहीं ले पाए थे. आज जब देश ने ऐतिहासिक कदम ले लिया है तब ये लोग किसानों को भ्रमित कर रहे हैं."

आपको बता दें कि पीएम मोदी ने ये बातें गुजरात के कच्‍छ में आज नवीकरणीय ऊर्जा पार्क और डेरी प्‍लांट का शिलान्‍यास करते हुए कहीं.

पीएम मोदी ने कृषि कानूनों के प्रावधनों की पैरवी करते हुए कहा, "देश पूछ रहा है कि छोटे किसान जो अनाज और दालें उगाते हैं उन्‍हें अपनी फसल बेचने की आजादी क्‍यों नहीं मिलनी चाहिए. सालों से कृषि सुधारों की मांग थी. कई किसान संगठनों ने पहले ही मांग की थी उन्‍हें अपने अनाज को कहीं भी बेचने का विकल्‍प दिया जाना चाहिए."

पीएम मोदी के मुताबिक, "जो आज विपक्ष में बैठकर किसानों को भ्रमित कर रहे हैं उन्‍होंने अपने समय में इन कानूनों का समर्थन किया था. वे बस किसानों को झूठा दिलासा देते आ रहे थे. अब जब देश ने कदम बढ़ा लिया है तब ये लोग किसानों को भ्रम में डाल रहे हैं."

पीएम मोदी ने कहा, "हमारी सरकार की ईमानदार नीयत और ईमानदार प्रयास को पूरे देश ने आशीर्वाद दिया, हर कोने के किसानों ने आशीर्वाद दिए. मुझे विश्वास है कि भ्रम फैलाने वाले और किसानों के कंधे पर रखकर बंदूकें चलाने वाले लोगों को देश के सारे जागरूक किसान परास्त करके रहेंगे."

पीएम मोदी ने कहा कि किसानों को भ्रमित करने के लिए षड्यंत्र रचा जा रहा है. उन्‍होंने पूछा, "किसानों को डराया जा रहा है कि नए कृषि सुधारों के बाद दूसरे लोग किसानों की जमीन पर कब्‍जा कर लेंगे. आप मुझे बताइए कि अगर डेरी वाला आपसे दूध लेने का समझौता करता है तो क्‍या वह आपके जानवर भी ले लेता है?"

अपने संबोधन के जरिए किसानों को समर्थन देते हुए पीएम मोदी ने कहा, "मैं फिर से अपने किसान भाइयों और बहनों से कहना चाहता हूं कि उनके हर संदेह को दूर करने के लिए सरकार 24 घंटे तैयार है. पहले दिन से हमारी सरकार की प्राथमिकता किसानों का हित है."

आपको बता दें कि पंजाब और हरियाणा के किसान पिछले कई दिनों से दिल्‍ली बॉर्डर पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि सरकार मानसून सत्र में पारित तीन नए कृषि कानूनों को वापस ले. किसानों का मानना है कि इन कृषि कानूनों से उनकी आमदनी घट जाएगी और बड़े व्‍यापारियों को अधिक फायदा होगा.

नए कृषि कानून का विरोध कर रहे किसान अपनी मांगों पर डटे हैं. किसान और सरकार की अभी तक जितने दौर की भी बात हुई वो सभी बेनतीजा रही है. किसानों का साफ कहना है कि जबतक सरकार कानून वापस नहीं लेगी वो ना सिर्फ अपना आंदोलन जारी रखेंगे बल्कि आंदोलन को और तेज़ भी करेंगे. 

सरकार और किसान नेताओं के बीच पांच दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन सभी मुलाकातें बेनतीजा रहीं. सरकार कानून वापस लेने के लिए तैयार नहीं है, हालांकि वह किसानों की कुछ आपत्तियों पर विचार करते हुए संशोधन लाने के पक्ष में है. इस बाबत सरकार ने किसानों को प्रस्‍तावित संशोधनों का ड्राफ्ट भी भेजा है. सरकार का कहना है कि किसान ड्राफ्ट पढ़कर उस पर विचार कर लें और फिर बातचीत के लिए आएं. लेकिन किसान संशोधनों पर राजी नहीं हैं. उनकी मांग है कि सरकार मानसून सत्र में पारित तीनों कृषि कानूनों को वापस ले ले.

किसान संसद द्वारा पारित कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) कानून 2020 (The Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध कानून 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Act, 2020) और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 (Essential Commodities (Amendment) Act 2020) का विरोध कर रहे हैं.

गौरतलब है कि सरकार का कहना है कि इन तीन नए कृषि कानूनों से कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार होंगे. सरकार का दावा है कि इन कानूनों से दलालों की भूमिका खत्‍म हो जाएगी किसान अपनी फसल को देश भर में कहीं भी बेच सकेंगे. वहीं, किसानों को डर है कि नए कृषि कानूनों से आने वाले समय में मंडियां पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी और किसान सीधे तौर पर व्यापारियों के हवाले होगा. उसे उनकी फसल पर तय दाम से ज्यादा या कम भी मिल सकता है.

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