दिल्ली पुलिस ने इस साल फरवरी महीने में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की चार्जशीट में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी और स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव का नाम भी शामिल किया है. दिल्ली दंगों पर दाख़िल दिल्ली पुलिस की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में जेएनयू की इकॉनमिस्ट जयति घोष और डॉक्यूमेंट्री निर्माता राहुल रॉय का भी नाम है. दिल्ली पुलिस ने इन सभी के नाम शामिल करने के लिए केस की एक आरोपी के बयान को आधार बनाया है.
Delhi Police names CPI (M) general secretary Sitaram Yechury, Swaraj Abhiyan leader Yogendra Yadav, economist Jayati Ghosh, DU professor and activist Apoorvanand, and documentary filmmaker Rahul Roy in supplementary charge sheet as co-conspirators in Delhi riots case
— Press Trust of India (@PTI_News) September 12, 2020
पुलिस का दावा है कि उसकी जांच के दौरान पहले आरोपी बनाए गए कई लोगों ने इन नेताओं के नाम लिए हैं. जिसके बाद सप्लीमेंट्री चार्जशीट में इन सभी के नाम जोड़े गए हैं.
पुलिस का दावा है कि इन लोगों ने नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों को ‘किसी भी हद तक जाने’ को कहा था. इन सभी लोगों ने क़ानून को मुस्लिम समुदाय का विरोधी बताया गया. जिससे जनता की नाराज़गी बढ़ी. पुलिस की चार्जशीट में आरोपियों के हवाले से इन सभी लोगों पर भारत सरकार की छवि ख़राब करने के लिए विरोध प्रदर्शन करने के आरोप भी लगाए गए हैं.
My first reaction to the "news" about some of us being named in a Delhi riot chargesheet.
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) September 12, 2020
Apologies for the muffled voice, due to N-95 mask! https://t.co/j2vtrZ3JS8
इस साल फ़रवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी. जबकि लगभग छह सौ लोग ज़ख़्मी भी हुए थे. जिनमें से 97 लोग गोली लगने से घायल हुए थे.
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में जेएनयू की छात्राओं नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्रा गुलफ़िशा फ़ातिमा को आरोपी बनाया गया है. इन सभी पर ज़ाफ़राबाद इलाक़े में हिंसा भड़काने के इल्ज़ाम पुलिस ने अपनी चार्जशीट में लगाए हैं.
दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि देवांगना कालिता और नताशा नरवाल ने दंगों में अपने रोल को क़बूल किया है. और उन्हीं लोगों के बयान के आधार पर प्रोफ़ेसर जयति घोष, प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद और राहुल रॉय के नाम सप्लीमेंट्री चार्जशीट में जोड़े गए.
दिल्ली दंगों में पुलिस ने जिन तीन छात्राओं, देवांगना, नताशा और गुलफ़िशा को आरोपी बनाया है, वो पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य हैं. पुलिस ने उनके हवाले से ये भी दावा है किया है कि जिन तीन लोगों के नाम का ज़िक्र सप्लीमेंट्री चार्जशीट में है, वो आरोपी छात्राओं को एंटी CAA आंदोलन को आगे ले जाने के दिशा निर्देश दे रहे थे.
दिल्ली पुलिस का कहना है कि जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्रा गुलफ़िशा फ़ातिमा ने सीताराम येचुरी और योगेंद्र यादव के अलावा भीम आर्मी के चंद्रशेखर आज़ाद, जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर ख़ालिद, आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह ख़ान और पूर्व कांग्रेस विधायक मतीन अहमद के नाम भी बताए हैं. और फ़ातिमा ने इन सभी को हिंसा के साज़िशकर्ताओं का सहयोगी बताया है.
दिल्ली पुलिस की सप्लीमेंट्री चार्जशीट सामने आने के बाद, पुलिस ने एक बयान में सफाई दी कि, ‘आरोपियों के बयानों को पूरी ईमानदारी से रिकॉर्ड किया गया है. और केवल एक व्यक्ति के डिस्क्लोज़र स्टेटमेंट के आधार पर किसी को अभियुक्त नहीं ठहराया जाता है.’
दिल्ली दंगों को लेकर पुलिस पर पहले भी विच हंटिंग के इल्ज़ाम लगते रहे हैं. विपक्षी दलों का आरोप है कि दंगों की जांच के नाम पर सरकार विपक्षी दलों की आवाज़ ख़ामोश करने में जुटी है. और इसीलिए नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वालों को चुन चुन कर निशाना बनाया जा रहा है.
Stunned to see this. Will those who actually incited & perpetrated violence are allowed to go scot free? What is happening to our country? https://t.co/91walY2UeI
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) September 12, 2020
अब पुलिस की इस सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर बवाल मचना तय है. सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र में भी दिल्ली पुलिस की इस चार्जशीट पर हंगामा होने की आशंका है.
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