Pradhan Mantri SVANidhi Yojana: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्वनिधि योजना (SVANidhi Yojana) के तहत आगरा, वाराणसी और लखनऊ के लाभार्थी व्यापारियों से बातचीत की. आपको बता दें कि इस योजना के तहत छोटे व्यापारियों को अपना काम शुरू करने के लिए बेहद कम ब्याज पर 10 हजार रुपये का लोन मुहैया कराया गया है.
इस दौरान पीएम मोदी ने व्यापारियों से पूछा, "आप लोगों का बिजनेस कैसा चल रहा है? इस लोन को लेने के लिए आपको कितने अधिकारियों के पास जाना पड़ा? अब आप लोग रोजाना कितने रुपये कमा रहे हैं."
इसी के साथ पीएम ने हल्के-फुल्के अंदाज में यह भी कहा, "हालांकि मुझे आप लोगों से यह सवाल नहीं पूछने चाहिए... मैं आयकर अधिकारी नहीं हूं."
वाराणसी में मोमो बेचने वाले व्यापारी से पीएम मोदी ने कहा, "मुझे पता चला है कि वाराणसी में मोमो काफी लोकप्रिय हो गए हैं. लेकिन किसी ने मुझे मोमो खाने के लिए नहीं पूछा."
Interaction with SVANidhi beneficiaries from UP. #AatmaNirbharVendor https://t.co/cRybt4oB1k
— Narendra Modi (@narendramodi) October 27, 2020
इस दौरान पीएम मोदी ने लाभार्थियों से यह भी पूछा कि क्या वे जानते हैं कि वे अपने लोन को ब्याज मुक्त भी बना सकते हैं. व्यापारियों से बात करते हुए पीएम मोदी ने उनसे यह भी पूछा कि क्या वे अपने स्टॉल पर सामाजिक दूरी के दिशा-निर्देशों का पालन कर रहे हैं या नहीं.
पीएम मोदी के मुताबिक, "हमारे व्यापारी भाइयों और बहनों ने लॉकडाउन के दोरान बहुत कुछ सहा है. अब हमारा यह फर्ज है कि हम उन्हें सशक्त बनाएं. एक समय वह भी था जब तनख्वाह पाने वाले लोगों को भी लोन के लिए दर-दर भटकना पड़ता था. लोगों को बैंक जाने की हिम्मत नहीं पड़ती थी. लेकिन अब बैंक लोगों के पास आ रहे हैं. बैंकों के अथक प्रयासों के बिना यह संभव नहीं था."
गौरतलब है कि स्वनिधि योजना के तहत अब तक 24 लाख से ज्यादा आवेदन मिल चुके हैं. इनमें से सबसे ज्यादा 557,000 आवेदन उत्तर प्रदेश के व्यापारियों के हैं. जानकारी के मुताबिक यूपी के 3.27 लाख आवेदनों को स्वीकृत किया गया है और 1.87 लाख रुपये का लोन दिया जा चुका है. वहीं, देश भर से अब तक आए कुल आवेदनों में से 12 लाख आवेदन स्वीकृत किए जा चुके है और 5.35 लाख रुपये का लोन दिया गया है.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना की शुरुआत 1 जून 2020 को उन लोगों के लिए की गई थी जो रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचते थे. कोरोना महामारी के दौरान ऐसे लोगों पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है जो सड़क किनारे रेहड़ी लगाकर अपना गुजारा करते थे. लॉकडाउन के दौरान इनका पूरा धंधा चौपट हो गया. ऐसे लोगों के लिए इस योजना की शुरुआत की गई है.
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