सुप्रीम कोर्ट ने अपनी अवमानना के मामले में दोषी ठहराए गए सीनियर वकील प्रशांत भूषण को एक रुपये का जुर्माना भरने की सज़ा सुनाई है. अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा है कि अगर प्रशांत भूषण, सज़ा के तौर ये जुर्माना नहीं भरते हैं, तो उनके वकालत करने पर तीन साल तक का प्रतिबंध लगेगा. यही नहीं, तब उन्हें तीन महीनें क़ैद की सज़ा भी भुगतनी होगी.
सुप्रीम कोर्ट की अवमाननना के ये मामला काफ़ी हाई प्रोफ़ाइल और चर्चित रहा था. देश की सबसे बड़ी अदालत ने प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट की मानहानि करने का दोषी पाया था. जिसके बाद अदालत ने प्रशांत भूषण से माफ़ी मांगने को कहा था. लेकिन, प्रशांत भूषण ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था. भूषण का कहना था कि अगर वो अदालत से माफी मांगते हैं, तो ये उनके सिद्धांतों के साथ समझौता होगा. इसलिए, वो अदालत का सम्मान रखते हुए भी ऐसा कर पाने में असमर्थ हैं.
जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने प्रशांत भूषण को अदालत से माफ़ी न मांगने के फ़ैसले पर पुनर्विचार के लिए दो बार मौक़ा दिया था. मगर, दोनों ही बार प्रशांत भूषण ने माफ़ी मांगने से साफ इनकार कर दिया.
इस मामले की शुरुआत करने वाले अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पहले तो सुप्रीम कोर्ट से ये कहा था कि वो प्रशांत भूषण जैसे वरिष्ठ वकील को अदालत की अवमानना के लिए सज़ा दे. लेकिन, बाद में अटॉर्नी जनरल ने भी अपना रुख़ बदलते हुए अदालत से अपील की थी कि वो प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करने की सज़ा न दे.
सज़ा का एलान करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा ने अटॉर्नी जनरल की अपील का हवाला देते हुए कहा कि, ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार को सीमित नहीं किया जा सकता.’
अदालत ने प्रशांत भूषण को प्रतीकात्मक रूप से एक रुपये का जुर्माना भरने की सज़ा सुनाई है. जिसे, उन्हें 15 सितंबर तक भरना होगा.
सजा सुनाए जाने के बाद प्रशांत भूषण. एक रुपये का सिक्का डॉ. राजीव धवन को सौंपते हुए. कोर्ट ने अवमानना के मामले में एक रुपये का जुर्माना लगाया है. #PrashantBhushanCase #TheLastBreaking https://t.co/VXcIfLbVym
— The Last Breaking (@thelastbreaking) August 31, 2020
प्रशांत भूषण पर इल्ज़ाम ये था कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस एस. ए. बोबडे का अपमान किया था. उन्होंने जस्टिस बोबडे को निशाना बनाते हुए ट्वीट किए थे. प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट में लिखा था कि पहले भारत के चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने पिछले छह वर्षों में भारत में लोकतंत्र को नुक़सान पहुंचाने का काम किया. इसके बाद उन्होंने एक और ट्वीट में हार्ले डेविडसन सुपरबाइक पर सवार चीफ जस्टिस बोबडे की तस्वीर के साथ एक ट्वीट किया और कहा कि जस्टिस बोबडे बिना हेलमेट और मास्क के बाइक की सवारी कर रहे हैं. जबकि अदालत में लॉकडाउन लगा है और नागरिकों को न्याय पाने के उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है.
अदालत ने जब प्रशांत भूषण को दोषी ठहराते हुए उन्हें माफ़ी मांगने का अवसर दिया था, तो प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने कहा था कि अदालत उन्हें माफी मांगने के लिए मजबूर करके उन पर दबाव बना रही है. सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि वो प्रशांत भूषण को एक चेतावनी देकर छोड़ दे.
राजीव धवन ने अदालत से कहा कि, ‘किसी की आवाज़ को हमेशा के लिए ख़ामोश नहीं किया जा सकता. प्रशांत भूषण को बस ये संदेश देकर अदालत को छोड़ देना चाहिए कि भविष्य में वो अपने बयानों में संयम बरतें.’
लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रशांत भूषण बिना शर्त अदालत से माफी मांगें. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि, ‘हो सकता है कि आप सैकड़ों अच्छे काम करते हों, मगर इससे आपको दस तरह के अपराध करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता.’
प्रशांत भूषण की अवमानना के मामले की सुनवाई के दौरान सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में ज़ोरदार मुहिम चलाई गई थी. प्रशांत भूषण को फ्री स्पीच का मसीहा बताया गया. बहुत से लोगों ने अपने प्रोफाइल में प्रशांत भूषण की तस्वीर लगा ली थी. इसके बावजूद, देश की सबसे बड़ी अदालत ने प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी ठहराया था. और अब उन्हें प्रतीकात्मक रूप से एक रुपये का जुर्माना भरने की सज़ा सुनाई गई है.
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