पंजाब असेंबली ने चार ऐसे क़ानून पास किए हैं, जिनके बाद केंद्र सरकार के बनाए चार कृषि क़ानून पंजाब में नहीं लागू होंगे. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले में राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव भी पेश किया था. वो भी पारित हो गया.
Passage of the our 4 Bills today is truly a victory of Punjab. I am happy that all parties came together & supported our Bills for protecting farmers against Anti-Farmer Laws passed by the Centre. I stand committed to my farmers and will not let anyone destroy their livelihoods. pic.twitter.com/qiMiNWEIXA
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) October 20, 2020
विधानसभा में इस प्रस्ताव के तहत केंद्र के बनाए क़ानून ख़ारिज कर दिए गए. बाद में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने विधानसभा द्वारा पारित इन क़ानूनों और प्रस्ताव की जानकारी राज्य के राज्यपाल को भी दी और अपील की कि वो विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव पर जल्द से जल्द दस्तख़त कर दें.
Met Governor Punjab @vpsbadnore Ji along with all Members of the Vidhan Sabha present in the House today to collectively urge upon him to accord his assent at the earliest to the Bills passed by the House. Also presented him the Resolution passed unanimously by the House. pic.twitter.com/nYsX3TxaIe
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) October 20, 2020
पंजाब में मोदी सरकार के बनाए कृषि क़ानूनों का कड़ा विरोध हो रहा है. सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस और कई किसान संगठन इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं. उनका कहना है कि केंद्र के बनाए क़ानून लागू होने के बाद, खेती बाड़ी पर बड़े उद्योगपतियों का क़ब्ज़ा हो जाएगा और वो ठेके पर खेती करने को मजबूर होंगे. किसानों का ये भी डर है कि इन क़ानूनों के बनने के बाद, उनकी फ़सलों को सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं ख़रीदेगी. फिर उन्हें मंडी से बाहर खुले बाज़ार में अपनी फ़सल बेचनी होगी.
[Live] Press conference. An all party delegation has apprised the Governor regarding the bills and the resolution passed unanimously by the Vidhan sabha during today’s special session. https://t.co/WaN7TdiVqU
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) October 20, 2020
संसद के मॉनसून सत्र में मोदी सरकार ने खेती बाड़ी से संबंधित चार क़ानून पास कराए थे. जिसमें कृषि उत्पाद ख़रीदने के मंडी समितियों के एकाधिकार को ख़त्म करते हुए निजी क्षेत्र के लोगों को भी इसे ख़रीदने का अवसर दिया गया है. इसके अलावा, सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में भी बदलाव करके, दाल, अनाज, तेल और तेल के बीज, प्याज़ और आलू को ज़रूरी सामानों की फेहरिस्त से हटा दिया था.
मैं देश के किसानों को स्पष्ट संदेश देना चाहता हूं। आप किसी भी भ्रम में मत पड़िए।
— Narendra Modi (@narendramodi) September 18, 2020
जो लोग किसानों की रक्षा का ढिंढोरा पीट रहे हैं, दरअसल वे किसानों को अनेक बंधनों में जकड़कर रखना चाहते हैं।
वे बिचौलियों का साथ दे रहे हैं, वे किसानों की कमाई लूटने वालों का साथ दे रहे हैं। pic.twitter.com/dZlnxV591F
सरकार का कहना है कि इससे किसानों को अपनी फ़सल बेहतर दाम पर बेचने का मौक़ा मिलेगा. लेकिन, किसानों को कृषि के निजीकरण का डर है.
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