केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान का निधन हो गया है. उनके बेटे और पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने ट्विटर पर ये जानकारी दी.
पापा....अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं।
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) October 8, 2020
Miss you Papa... pic.twitter.com/Qc9wF6Jl6Z
रामविलास पासवान के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त किया है. अपने शोक संदेश में पीएम ने कहा कि पासवान जी के साथ काम करना अद्भुत अनुभव रहा.
Working together, shoulder to shoulder with Paswan Ji has been an incredible experience. His interventions during Cabinet Meetings were insightful. From political wisdom, statesmanship to governance issues, he was brilliant. Condolences to his family and supporters. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 8, 2020
पासवान काफ़ी दिनों से बीमार चल रहे थे और अस्पताल में भर्ती थे. उनका एक ऑपरेशन हो चुका था. और दूसरी सर्जरी होनी थी. अपने क़रीब आधी सदी लंबे राजनीतिक करियर में रामविलास पासवान ने बहुत कम ही वक़्त राजनीतिक बियाबान में गुज़ारा और इसी वजह से वो राजनीति के मौसम वैज्ञानिक समझे जाते थे. देश की राजनीतिक बयार पर ऐसी नब्ज़ रखने का ही नतीजा था कि रामविलास पासवान छह प्रधानमंत्रियों की सरकारों में मंत्री रहे. वो देश में ग़ैर कांग्रेसी राजनीति का एक बड़ा चेहरा थे.
Shri Ram Vilas Paswan Ji rose in politics through hardwork and determination. As a young leader, he resisted tyranny and the assault on our democracy during the Emergency. He was an outstanding Parliamentarian and Minister, making lasting contributions in several policy areas. pic.twitter.com/naqx27xBoj
— Narendra Modi (@narendramodi) October 8, 2020
पासवान, एनडीए-1 यानी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी मंत्री रहे. लेकिन, 2002 के गुजरात दंगों के बाद उन्होंने ख़ुद को एनडीए से दूर कर लिया था. 2004 में जब मनमोहन सिंह की सरकार बनी तो वो उसके पहले कार्यकाल में भी मंत्री रहे. और जिन नरेंद्र मोदी को लेकर उन्होंने कभी बीजेपी का साथ छोड़ा था. उनकी सरकार की दोनों पारियों में पासवान ने मंत्री का पद संभाला.
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बिहार के खगड़िया ज़िले में वर्ष 1946 में एक दलित परिवार में जन्मे रामविलास पासवान ने अपना राजनीतिक करियर संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से शुरू किया था. वो चौधरी चरण सिंह और राज नारायण के अनुयायी थे. 1969 में पहली बार आरक्षित सीट से विधायक चुने जाने के बाद, साल 1974 में वो लोकदल के महासचिव बने. लेकिन, इंदिरा गांधी के इमरजेंसी लगाने का विरोध करने के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा. वो बिहार के दिग्गज नेताओं कर्पूरी ठाकुर और सत्येंद्र नारायण सिन्हा के क़रीबी माने जाते थे.
1977 के आम चुनाव में रामविलास पासवान ने बिहार की हाजीपुर सीट से पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और सबसे ज़्यादा वोटों से जीत का रिकॉर्ड बनाया था. हालांकि, उन्हें केंद्र में मंत्री बनने का मौक़ा 1989 में पहली बार विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में मिला. इसके बाद वो एचडी देवेगौड़ा और इंदर कुमार गुजराल की सरकारों में भी केंद्रीय मंत्री रहे.
पासवान तब जनता दल में थे. लेकिन, साल 2000 में उन्होंने जनता दल से अलग होकर लोक जनशक्ति पार्टी बनाई. पासवान ने अपना आख़िरी डायरेक्ट इलेक्शन साल 2014 में लोकसभा चुनाव के तौर पर लड़ा था. 2019 में वो राज्यसभा से संसद सदस्य बने और मोदी सरकार में उन्हें फिर से केंद्रीय मंत्री बनाया गया.
I am saddened beyond words. There is a void in our nation that will perhaps never be filled. Shri Ram Vilas Paswan Ji’s demise is a personal loss. I have lost a friend, valued colleague and someone who was extremely passionate to ensure every poor person leads a life of dignity. pic.twitter.com/2UUuPBjBrj
— Narendra Modi (@narendramodi) October 8, 2020
पिछले कुछ वर्षों से रामविलास पासवान अपने बेटे चिराग पासवान को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर ग्रूम कर रहे थे. और अब पार्टी की कमान उनके बेटे के ही हाथ में है. आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी लोक जनशक्ति पार्टी अकेले ही चुनाव मैदान में है.
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