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टूट गया भारतीय राजनीति का एक और सितारा, रामविलास पासवान का 74 वर्ष की आयु में निधन

Suresh Kumar

नई दिल्‍ली 11 Oct, 2020 02:49 pm

केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान का निधन हो गया है. उनके बेटे और पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने ट्विटर पर ये जानकारी दी. 

रामविलास पासवान के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक व्‍यक्‍त किया है. अपने शोक संदेश में पीएम ने कहा कि पासवान जी के साथ काम करना अद्भुत अनुभव रहा.

पासवान काफ़ी दिनों से बीमार चल रहे थे और अस्पताल में भर्ती थे. उनका एक ऑपरेशन हो चुका था. और दूसरी सर्जरी होनी थी. अपने क़रीब आधी सदी लंबे राजनीतिक करियर में रामविलास पासवान ने बहुत कम ही वक़्त राजनीतिक बियाबान में गुज़ारा और इसी वजह से वो राजनीति के मौसम वैज्ञानिक समझे जाते थे. देश की राजनीतिक बयार पर ऐसी नब्ज़ रखने का ही नतीजा था कि रामविलास पासवान छह प्रधानमंत्रियों की सरकारों में मंत्री रहे. वो देश में ग़ैर कांग्रेसी राजनीति का एक बड़ा चेहरा थे.

पासवान, एनडीए-1 यानी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी मंत्री रहे. लेकिन, 2002 के गुजरात दंगों के बाद उन्होंने ख़ुद को एनडीए से दूर कर लिया था. 2004 में जब मनमोहन सिंह की सरकार बनी तो वो उसके पहले कार्यकाल में भी मंत्री रहे. और जिन नरेंद्र मोदी को लेकर उन्होंने कभी बीजेपी का साथ छोड़ा था. उनकी सरकार की दोनों पारियों में पासवान ने मंत्री का पद संभाला.

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बिहार के खगड़िया ज़िले में वर्ष 1946 में एक दलित परिवार में जन्मे रामविलास पासवान ने अपना राजनीतिक करियर संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से शुरू किया था. वो चौधरी चरण सिंह और राज नारायण के अनुयायी थे. 1969 में पहली बार आरक्षित सीट से विधायक चुने जाने के बाद, साल 1974 में वो लोकदल के महासचिव बने. लेकिन, इंदिरा गांधी के इमरजेंसी लगाने का विरोध करने के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा. वो बिहार के दिग्गज नेताओं कर्पूरी ठाकुर और सत्येंद्र नारायण सिन्हा के क़रीबी माने जाते थे.

1977 के आम चुनाव में रामविलास पासवान ने बिहार की हाजीपुर सीट से पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और सबसे ज़्यादा वोटों से जीत का रिकॉर्ड बनाया था. हालांकि, उन्हें केंद्र में मंत्री बनने का मौक़ा 1989 में पहली बार विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में मिला. इसके बाद वो एचडी देवेगौड़ा और इंदर कुमार गुजराल की सरकारों में भी केंद्रीय मंत्री रहे. 

पासवान तब जनता दल में थे. लेकिन, साल 2000 में उन्होंने जनता दल से अलग होकर लोक जनशक्ति पार्टी बनाई. पासवान ने अपना आख़िरी डायरेक्ट इलेक्शन साल 2014 में लोकसभा चुनाव के तौर पर लड़ा था. 2019 में वो राज्यसभा से संसद सदस्य बने और मोदी सरकार में उन्हें फिर से केंद्रीय मंत्री बनाया गया.

पिछले कुछ वर्षों से रामविलास पासवान अपने बेटे चिराग पासवान को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर ग्रूम कर रहे थे. और अब पार्टी की कमान उनके बेटे के ही हाथ में है. आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी लोक जनशक्ति पार्टी अकेले ही चुनाव मैदान में है.

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