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सांसदों को वेतन-भत्ता में कटौती मंजूर, सांसद निधि में कटौती ना हो

Fauzia

नई दिल्‍ली 15 Sep, 2020 10:47 pm

सांसदों के वेतन, भत्ता और पेंशन में कटौती वाला विधेयक संसद में पास हो गया है. इस बिल के पास हो जाने के बाद सभी सांसदों की सैलरी में 30 प्रतिशत कटौती की जाएगी. सभी सांसदों को लगभग एक साल तक कम वेतन मिलेगा. दुनियाभर में कोरोना महामारी के संकट के चलते ये फैसला लिया गया है. वेतन कटौती से जितना पैसा बचेगा उसका इस्तेमाल महामारी से लड़ने में किया जाएगा. हालांकि जिस समय संसद में बिल पेश किया गया तो सभी सांसदों ने इसका समर्थन किया लेकिन वहीं सांसदों ने सरकार से मांग की है कि सांसद निधि में कटौती ना की जाए.

संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने संसद को जानकारी देते हुए कहा के संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम 1954 में संशोधन करके ये बिल पेश किया गया है. इस अध्यादेश को 6 अप्रैल को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई थी और इसे 7 अप्रैल से लागू गया है. लोकसभा में 543 सदस्य हैं जबकि राज्यसभा सदस्यों की संख्या 245 है. हर सांसद एक महीने में 1 लाख रुपये की सैलरी और 70 हजार रुपये प्रति माह संसदीय भत्ता लेते हैं. इसके अलावा अन्य भत्ते भी उन्हें मिलते हैं.

बिल पर चर्चा के दौरान सांसदों ने ये भी कहा कि सरकार चाहे तो हमारा वेतन ले ले, लेकिन सांसद निधि में किसी प्रकार की कटौती नहीं की जानी चाहिए. टीएमसी सांसद कल्यण बनर्जी ने कहा कि वेतन काटे जाने का कोई भी सांसद विरोध नहीं करेगा लेकिन सांसद निधि में कटौती करना उचित नहीं होगा.

हालांकि अप्रैल महीने में जब सांसदों के वेतन और भत्ते कटौती की बात कही गई थी तो वहीं सांसद निधि को 2 साल के लिए खत्म करने पर भी बात हुई थी. उस वक्त कहा गया था कि 2020-2021 और 2021-2022 तक के लिए सांसदों को दिया जाने वाला फंड रोक दिया जाना चाहिए.

आपको बता दें लोकसभा और राज्यसभा के हरेक सांसद को अपने क्षेत्र के विकास के लिए हर साल 5 करोड़ रुपये केंद्र सरकार द्वारा दिए जाते हैं. इसे ही सांसद निधि कहा जाता है. अब सभी सांसद अपने वेतन और भत्ते में कटौती को तो तैयार हैं लेकिन सांसद फंड में कटौती को तैयार नहीं हैं.

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