बेरोजगारों की हितेषी होने का दावा करने वाली कांग्रेस सरकार अपने राज्य राजस्थान में अटकी भर्तियों को लेकर गंभीर नहीं दिख रही. गहलोत सरकार ने रीट 2016 लेवल-टू, अंग्रेजी विषय की 826 पदों पर वेटिंग सूची जारी करने की बजाय हाई कोर्ट डबल बेंच के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने का फैसला किया है. नियुक्ति का इंतजार कर रहे शिक्षक अब और निराश हो चुके हैं. वे सरकार से एसएलपी को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. उम्मीदवार राज्य के मुखिया अशोक गहलोत और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा से SLP वापस लेने का अनुरोध कर रहे हैं.
अशोक गहलोत के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए पिंकी मदान लिखती हैं, ''महोदय, रीट 2016 अंग्रेजी लेवल 2 के बेरोजगार युवाओं के हित में फैसला करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायर SLP को वापस लेकर, राजस्थान उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच और डबल बेंच के फैसले के अनुसार 826 रिक्त पदों पर इस भर्ती की प्रथम वेटिंग लिस्ट जारी करने का श्रम करें.''
महोदय रीट 2016 अंग्रेजी लेवल 2 के बेरोजगार युवाओं के हित में फैसला करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायरslp को वापस लेकर, राजस्थान उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच और डबल बेंच के फैसले के अनुसार 826रिक्त पदों पर इस भर्ती की प्रथम वेटिंग लिस्ट जारीकरनेकाश्रमकरें#withdraw_slp_reet2016 pic.twitter.com/GeCbbEXoFt
— Pinky (@PiyaMadaan117) September 16, 2020
एक उम्मीदवार उपेंद्र ट्वीट कर लिखते हैं, ''आज पूरा राजस्थान माननीय मुख्यमंत्री की ओर इस उम्मीद से देख रहा है कि राजस्थान सरकार एसएलपी वापस लेगी और बेरोजगारों का भला करेगी.''
Today, the whole of Rajasthan is looking forward to the Honorable Chief Minister, Rajasthan Government will withdraw the SLP and will do good to the unemployed.@RajCMO @ajaymaken @GovindDotasra @priyankagandhi @BalwanPoonia_ @BaljeetBehror #withdraw_SLP_Reet2016 pic.twitter.com/KnP6lmktWf
— Upendra Shekhawat (@UpendraShekha11) September 12, 2020
एक उम्मीदवार दीप्ति चौधरी कहती हैं, ''मानसिक प्रताड़ना मृत्यु से कम नहीं हैं, 3 साल से घुट घुट कर जी रहे हैं. एक बेरोजगार आखिर जाए तो जाए कहां? न्याय करो गहलोत सरकार और एसएलपी वापस लो.''
क्या है पूरा मामला
उम्मीदवारों ने बताया कि रीट भर्ती 2016 में कुल 4761 पदों पर भर्ती हुई थी। इसके लिए 25 जनवरी 2018 को प्रोविजनल परिणाम जारी हुआ था. प्रोविजनल सूची को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद अंतिम रूप देने के लिए 'परिणाम रिशफल' किया गया. उम्मीदवारों का आरोप है कि उक्त 'परिणाम रिशफल' में नियुक्ति प्रकोष्ठ ने (अपात्र व अनुपस्थित श्रेणी के) रिक्त पदों पर नए अभ्यर्थियों को चुनते हुए 'रिशफल परिणाम' जारी कर दिया, लेकिन (नॉन जॉइनर्स) श्रेणी के करीब 450 रिक्त पदों पर न तो परिणाम रिशफल किया और न ही वेटिंग सूची जारी की, बल्कि पूर्व में नॉन जॉइनर्स रहे अभ्यर्थियों के रोल न./मेरिट न.रिपीट कर दिए. इससे कुल मिलाकर 450 पूर्व के नॉन जॉइनर्स+रिशफल रिजल्ट के बाद के 376 नॉन जॉइनर्स के (कुल 826) पद रिक्त रह गए. हाईकोर्ट इन पदों को भरने का आदेश दे चुकी है लेकिन हाईकोर्ट के आदेश को मानने की जगह सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई है और अब मामला कोर्ट में अटका है. उम्मीदवारों की मांग है कि सरकार एसएलपी वापस लेकर वेटिंग लिस्ट जारी करे.
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