RRB अजमेर के ग्रुप डी (RRB Group D) के सैकड़ों उम्मीदवारों को नियुक्ति नहीं मिली है. साल 2018 में आई RRB Group D वैकेंसी के जरिए 62,907 पदों को भरा जाना था. रेलवे भर्ती बोर्ड अजमेर ने 4,755 पदों पर वैकेंसी निकाली थी. इस भर्ती के लिए पहले चरण की कम्प्यूटर बेस्ड परीक्षा 17 सितंबर से 17 दिसंबर 2018 के बीच आयोजित गई. सीबीटी परीक्षा का रिजल्ट 4 मार्च 2019 को जारी हुआ, इसके बाद सीबीटी में पास होने वाले उम्मीदवारों का फिजिकल टेस्ट 24 मार्च 2019 से 2 अप्रैल 2019 के बीच आयोजित किया गया. इसके बाद फिजिकल में पास हुए उम्मीदवारों को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए बुलाया गया.
रेलवे डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन चार राउंड में करवाता है. पहले राउंड में मेरिट के हिसाब से सभी अधिकतर उम्मीदवारों को बुलाया जाता है. इसके बाद दूसरे और तीसरे राउंड में PWD और PWD (LD) के उम्मीदवारों को डीवी के लिए बुलाया जाता है. इसके बाद डीवी 4 भी होता है, जिसमें 467 उम्मीदवारों को बुलाया जाता है. डीवी के बाद उम्मीदवारों का पैनल जारी होता है.
आरआरबी अजमेर 4,009 उम्मीदवारों का पहला पैनल 6 जुलाई 2019 को जारी करता है. इसके बाद 112 उम्मीदवारों का दूसरा पैनल 9 सितंबर 2019 को जारी होता है. इसके बाद तीसरा पैनल 8 लोगों के लिए 12 दिसंबर 2019 को जारी होता है. चौथा पैनल 3 जुलाई 2020 को 10 उम्मीदवारों के लिए जारी होता है. अब सिर्फ चौथे राउंड के डीवी में बुलाए गए 467 उम्मीदवारों का पैनल आना बाकी रह गया है.
बता दें कि रेलवे के पास वैकेंसी है, इसके बाद भी सभी प्रक्रिया पास कर चुके 467 उम्मीदवारों का पैनल नहीं जारी किया जा रहा है. 4 पैनल में कुल मिलाकर 4139 उम्मीदवारों का नाम आता है और वैकेंसी 4,755 पदों पर निकाली गई थी. इस हिसाब से अभी भी अजमेर बोर्ड के पास 616 पद खाली हैं. हालांकि इसके बाद भी आरआरसी जयपुर बचे हुए उम्मीदवारों का पैनल जारी कर उन्हें नियुक्ति नहीं दे रहा है.
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उम्मीदवारों ने करियर 16 प्लस को बताया, ''हमारी चेयरमैन मैम से बात हुई थी. 1 सितंबर को उन्होंने कहा
था कि 2 सप्ताह में बचे हुए उम्मीदवारों का पैनल आ जाएगा, लेकिन 2 सप्ताह हो जाने के बाद अब अभी तक उनकी तरफ से कोई संतुष्ट जवाब नहीं मिला है.''
इस भर्ती के उम्मीदवार रोहिताश यादव कहते हैं, ''3 साल पूरे होने को आए लेकिन अभी भी रेलवे हमारी समस्या नहीं समझ पा रहा है. परिवार की पूरी जिम्मेदारी मुझ पर ही है, मेरे बड़े भाई बीमार रहते हैं. 8000 रुपए/ महीना दवाइयों का खर्च है. हमारे ऊपर सब की जिम्मेदारी है. अब नौकरी के इंतजार में सब का खर्च चलाना बहुत ही कठिन हो गया है.''
रोहिताश आगे कहते हैं, ''एक गरीब छात्र कहीं से पैसे कर्ज लेकर कोचिंग करता है फिर रेलवे की परीक्षा देता है. वह छात्र लगभग 3 वर्षों से इंतजार कर रहा है अभी तक उसकी जॉइनिंग के बारे में कोई खबर नहीं दी जा रही है.''
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