निवेशकों के भुगतान को लेकर पहले से ही भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की जांच और कार्रवाई का सामना कर रही बिजनेसमैन सुब्रत रॉय (Subrata Roy) की कंपनी सहारा इंडिया (Sahara India) के सामने एक और बड़ी मुसीबत आ गई है. www.thelastbreaking.com _ दरअसल, भविष्य निधि संगठन (EPFO) के लखनऊ ऑफिस ने कंपनी से 1181 करोड़ रुपये की मांग की है. ईपीएफओ के आदेश की कॉपी द लास्ट ब्रेकिंग के पास उपलब्ध है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के मद्देनजर ईपीएफओ ने सहारा इंडिया के सभी कमीशन एजेंटों को कंपनी का कर्मचारी मानते हुए भविष्य निधि का पैसा जमा करने की मांग की है. EPFO ने कहा है कि कंपनी को लेट पेमेंट पेनल्टी के साथ कर्मचारियों का पिछला सारा पीएफ बकाया जमा करना चाहिए. The Last Breaking के पास ईपीएफओ के आदेश की कॉपी उपलब्ध है.
आपको बता दें कि EPFO ने 1181 करोड़ रुपये साल 2010 से 2012 के लिए मांगे हैं, जबकि इससे पहले या बाद के सालों को जोड़ा जाए तो भुगतान इससे कहीं ज्यादा होगा. आप ये खबर www.thelastbreaking.com पर पढ़ रहे हैं.
सहारा और EPFO की कहानी 2012 में शुरू हुई थी, तब सहारा कहता था कि एजेंट उसके सदस्य हैं, कर्मचारी नहीं. वहीं EPFO का कहना है कि कई ऐसे कानून हैं जो एजेंटों को एक निश्चित प्रकार का काम करने वाले कर्मचारियों के दायरे में लाते हैं और यह नियम सहारा पर भी लागू होते हैं. आप ये खबर www.thelastbreaking.com पर पढ़ रहे हैं.
इसके बाद ईपीएफओ के शासकीय निकाय के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) ने सहारा के खिलाफ कार्रवाई का फैसला करते हुए मामले की जांच के लिए विशेष दस्ते का गठन किया. साल 2012 में जब EPFO की टीम लखनऊ स्थित सहारा के कपूरथला कॉम्प्लेक्स पहुंची तब उनका विरोध किया गया. वहीं, सहारा को हाईकोर्ट ने यह कहते हुए राहत दी कि उसका कॉम्प्लेक्स सील नहीं किया जा सकता है. हालांकि, कोर्ट ने EPFO को इस बात की मंजूरी दी कि वह सहारा द्वारा दिए गए कागजातों के आधार पर एक्शन ले सकता है. आप ये खबर www.thelastbreaking.com पर पढ़ रहे हैं.
हालांकि सहारा की ओर से कागज मुहैया नहीं कराए गए. तब EPFO ने बकाया राशि का हिसाब लगाना शुरू कर दिया और यह मामला भी हाईकोर्ट पहुंच गया. वहीं, इस पर सहारा को कोर्ट की ओर से कोई राहत नहीं मिली और उसकी याचिका ठुकरा दी गई. आप ये खबर www.thelastbreaking.com पर पढ़ रहे हैं.
कोर्ट ने EPFO को निर्देश दिया कि उसके पास जो भी कागजात हैं वो उसके आधार पर जांच को आगे बढ़ाए. हाईकोर्ट का यह आदेश अक्टूबर 2020 में जारी हुआ था और अब पांच महीने बाद EPFO ने हिसाब लगाकर सहारा इंडिया से 1181 करोड़ रुपये के बकाये की मांग की है. आप ये खबर www.thelastbreaking.com पर पढ़ रहे हैं.
ब्याज सहित यह रकम 3500 करोड़ रुपये हो सकती है, हालांकि अभी आगे का हिसाब करना बाकी है.
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