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Sakat Chauth 2021: जानिए सकट चौथ की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्‍व

Babita Pant

नई द‍िल्‍ली 30 Jan, 2021 12:41 pm

Sakat Chauth 2021: हिन्‍दू धर्म में सकट चौथ (Sakat Chauth) का बड़ा महात्‍म्‍य है. इस दिन महिलाएं विघ्‍नहर्ता भगवान श्री गणेश और मां सकट की पूजा करती हैं. अपनी संतान की रक्षा और मंगल कामना के लिए महिलाएं दिन भर व्रत रखती हैं और श्री गणेश को सकट चौथ के दिन विशेष रूप से तिल और दूब अर्पित करती हैं. मान्‍यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान की उम्र लंबी होती है और भगवान गणेश व माता सकट स्‍वयं हर संकट से उनकी रक्षा करते हैं.

सकट चौथ कब है?
हिन्‍दू पंचांग की कृष्‍ण पक्ष चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है और इस दिन भक्‍त विशेषकर महिलाएं संकष्‍टी चतुर्थी का व्रत रखती हैं. लेकिन हिन्‍दू धर्म में माघ महीने की कृष्‍ण पक्ष चतुर्थी का सबसे अधिक महत्‍व है और उत्तर भारत में इसे सकट चौथ के रूप में मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार सकट चौथ हर साल जनवरी के महीने में पड़ती है. इस बार सकट चौथ 31 जनवरी को है.

सकट चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त
सकट चौथ की तिथि:
31 जनवरी 2021 
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 31 जनवरी 2021 को रात 8 बजकर 24 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्‍त: 1 फरवरी 2021 को शाम 6 बजकर 24 मिनट तक

सकट चौथ का महत्‍व 
सकट चौथ को तिल चौथ, तिल-कुट चौथ, वक्रतुंडी चतुर्थी और माघी चौथ के नाम से जाना जाता है. सकट चतुर्थी का अर्थ है संकट को हरने वाली चतुर्थी. हर महीने दो चतुर्थी पड़ती हैं. इस तरह एक साल में कुल 24 चतुर्थी और प्रत्‍येक तीन साल के बाद मलमास पड़ने के कारण इनकी संख्‍या 26 हो जाती है. अमावस्‍या के बाद आने वाली शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद कृष्‍ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्‍टी चतुर्थी कहा जाता है. लेकिन माघ महीने की कृष्‍ण पक्ष चतुर्थी सबसे बड़ी चतुर्थी मानी गई है. मान्‍यता है कि सकट चतुर्थी के दिन मां सकट की पूजा करने से संतान की उम्र लंबी होती है. वहीं, श्री गणेश घर में आ रही विपदाओं को दूर कर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. मान्‍यता है कि सकट चौथ का व्रत करने से भगवान गणेश आर्थिक बाधाएं भी दूर करते हैं.

सकट चौथ की पूजा विधि
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सकट चौथ के दिन सुबह-सवेरे स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें. इस दिन लाल रंग के वस्‍त्र पहनना शुभ माना जाता है.
- अब घर के मंदिर में पूर्व दिशा की ओर मुंह कर आसन ग्रहण करें.
- अब अपने ऊपर गंगाजलकी कुछ बूंदें छिड़कें.
- इसके बाद श्री गणेश की मूर्ति को पहले पंचामृत और फिर स्‍वच्‍छ जल से स्‍नान कराएं.
- अब उन्‍हें वस्‍त्र अर्पित कर रोली-कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं.
- इसके बाद गणेश जी को माला पहनाएं और दूब, फल-फूल अर्पित करें.
- अब धूप-दीप और कपूर से श्री गणेश की आरती उतारें.
- इसके बाद उन्‍हें तिल व तिल से बने लड्डुओं का भोग लगाएं.
- दिन भर उपवास रखें और 'ॐ गणेशाय नम:' अथवा 'ॐ गं गणपतये नम: की एक माला का जाप अवश्य करें.
- संध्‍या काल में सकट चौथ की कथा पढ़ें या सुनें.
- अब एक बार फिर गणेश जी की आारती उतारें.
- अब अपने व्रत कर पारण करें.
- सकट चौथ के दिन तिल-गुड़ के लड्डू, कंबल और गर्म कपड़ों का दान करना शुभ माना जाता है.

सकट चौथ कथा
सकट चौथ की पौराणिक कथा के अनुसा किसी नगर में एक कुम्हार रहता था. एक बार जब उसने बर्तन बनाकर आंवां लगाया तो आंवां नहीं पका. परेशान होकर वह राजा के पास गया और बोला कि महाराज न जाने क्या कारण है कि आंवा पक ही नहीं रहा है. राजा ने राज पंडित को बुलाकर कारण पूछा. राजपंडित ने कहा, ''हर बार आंवा लगाते समय एक बच्चे की बलि देने से आंवा पक जाएगा.'' राजा का आदेश हो गया. बलि आरम्भ हुई. जिस परिवार की बारी होती, वह अपने बच्चों में से एक बच्चा बलि के लिए भेज देता. इस तरह कुछ दिनों बाद एक बुढि़या के लड़के की बारी आई.

बुढि़या का एक ही बेटा था और वही उसके जीवन का सहारा था, पर राजाज्ञा कुछ नहीं देखती. दुखी बुढ़िया सोचने लगी, ''मेरा एक ही बेटा है, वह भी सकट के दिन मुझ से जुदा हो जाएगा.'' तभी उसको एक उपाय सूझा. उसने लड़के को सकट की सुपारी तथा दूब का बीड़ा देकर कहा, ''भगवान का नाम लेकर आंवां में बैठ जाना. सकट माता तेरी रक्षा करेंगी.''

सकट के दिन बालक आंवां में बिठा दिया गया और बुढि़या सकट माता के सामने बैठकर पूजा प्रार्थना करने लगी. पहले तो आंवा पकने में कई दिन लग जाते थे, पर इस बार सकट माता की कृपा से एक ही रात में आंवा पक गया. सवेरे कुम्हार ने देखा तो हैरान रह गया. आंवां पक गया था और बुढ़िया का बेटा जीवित व सुरक्षित था. सकट माता की कृपा से नगर के अन्य बालक भी जी उठे. यह देख नगरवासियों ने माता सकट की महिमा स्वीकार कर ली. तब से आज तक सकट माता की पूजा और व्रत का विधान चला आ रहा है. 

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