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रिपब्लिक टीवी के ख़िलाफ़ सलमान-शाहरुख़ पहुंचे दिल्ली हाई कोर्ट

TLB Desk

नई दिल्‍ली 12 Oct, 2020 11:27 pm

बॉलीवुड के 34 प्रोडक्शन हाउस ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दाख़िल की है. जिसमें उन्होंने रिपब्लिक टीवी, टाइम्स नाऊ और उनके चार पत्रकारों पर अपमानजनक टिप्पणी करने का इल्ज़ाम लगाया गया है.

इस याचिका में सलमान ख़ान, शाहरुख़ ख़ान, करण जौहर, फ़रहान अख़्तर, आमिर ख़ान, अरबाज़ ख़ान और अजय देवगन की कंपनियां शामिल हैं. इनके अलावा, फिल्म जगत के चार अन्य संगठन भी याचिका कर्ताओं में शामिल हैं. 

इस Civil Suit में रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी, चैनल के पत्रकार प्रदीप भंडारी, टाइम्स नाऊ के एडिटर-इन-चीफ राहुल शिवशंकर और उसकी सीनियर एंकर नविका कुमार को आरोपी बनाया गया है.

फिल्म संगठनों और कलाकारों ने आरोप लगाया है कि ये दोनों चैनल और इनके संपादक, एंकर और पत्रकार बॉलीवुड के कलाकारों के ख़िलाफ़ मीडिया ट्रायल कर रहे हैं. बिना किसी सुबूत के तरह तरह के आरोप लगाते रहे हैं. इससे उनकी निजता का उल्लंघन होता है. फ़िल्म उद्योग से जुड़े लोगों का अपमान होता है. फिल्म संगठनों ने आरोप लगाया है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत और उनकी गर्लफ्रैंड रिया चक्रबर्ती की गिरफ़्तारी के बाद, इन चैनलों ने कंपनियों और कलाकारों पर बेबुनियाद आरोपों की झड़ी लगा दी.

बॉलीवुड के कलाकारों और संगठनों की इस याचिका में कहा गया है कि, ‘इन चैनलों और पत्रकारों द्वारा बॉलीवुड को बदनाम करने के इस अभियान के चलते इस पेशे से जुड़े लोगों के लिए अपनी रोज़ी रोटी कमाना दूभर हो गया है. जबकि, कोविड-19 की महामारी के चलते, फिल्म इंडस्ट्री को पहले ही काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ा है.’

बॉलीवुड की ओर ये याचिका, DSK लीगल नाम की लॉ कंपनी की ओर से दायर की गई है.

याचिका में कहा गया है कि, ‘इन चैनलों की ओर से बॉलीवुड के सदस्यों के ख़िलाफ़ बिना सबूत के अनाप शनाप बातें की गईं. इससे फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों की प्राइवेसी में दख़लंदाज़ी की गई. समाज में उनकी इज़्ज़त और मान प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुंचाया गया. इन चैनलों ने ऐसे ख़बरें दिखाईं, मानो पूरा बॉलीवुड ड्रग के दलदल में डूबा हुआ है. चैनलों द्वारा ऐसे अभियान चलाने के कारण, जनता के बीच बॉलीवुड की छवि ऐसी बनाई गई मानो वो अपराधियों का अड्डा हो.’

बॉलीवुड कलाकारों ने अपनी याचिका में ये भी कहा कि वो ख़बरों के कवरेज पर कोई प्रतिबंध लगाने की मांग नहीं कर रहे हैं. लेकिन, सुशांत सिंह राजपूत के केस की जांच की रिपोर्टिंग के दौरान उन्हें बदनाम करने के लिए की जा रही मोटिवेटेड रिपोर्टिंग पर पाबंदी लगाई जाए. जांच एजेंसियों द्वारा की जा रही इन्वेस्टिगेशन के अलावा, ये चैनल जो अपनी निजी तफ़्तीश शुरू कर देते हैं, उन पर रोक लगाई जाए.

याचिका में बॉलीवुड स्टार्स और प्रोड्यूसर्स की ओर से कहा गया है कि  ये चैनल और इनके पत्रकार अदालत बन गए हैं और लोगों के ख़िलाफ़ फ़ैसले सुना रहे हैं. उनका पक्ष सुनने की भी ज़रूरत महसूस नहीं करते. ऐसे दावे करते हैं, जैसे उन्होंने कलाकारों और फिल्म उद्योग के सदस्यों के ख़िलाफ़ तमाम सबूत जुटा लिए हैं.

38 संगठनों की ओर से दायर की गई याचिका में चैनलों द्वारा फिल्म उद्योग के सदस्यों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे कुछ अंग्रेज़ी के शब्दों जैसे कि, dirt, filth, scum और druggies को लेकर भी आपत्ति जताई है.

अदालत से दरख़्वास्त की गई है कि ये दोनों ही न्यूज़ चैनल केबल टेलिविज़न नेटवर्क रेग्यूलेशन एक्ट 1995 की धारा 5 के तहत आने वाले नियम 6 में दर्ज प्रोग्राम कोड का खुलकर उल्लंघन कर रहे हैं.

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद के कवरेज के दौरान कई चैनलों ने बॉलीवुड में नेपोटिज़्म से लेकर ड्रग के इस्तेमाल तक को लेकर तमाम दावे किए थे. 

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी टिप्पणी की थी कि अभिव्यक्ति की आज़ादी का सबसे ज़्यादा दुरुपयोग हो रहा है. हालांकि सर्वोच्च अदालत ने ये टिप्पणी, तब्लीग़ी जमात के सदस्यों पर तमाम चैनलों द्वारा लगाए गए कोरोना फैलाने के आरोप को लेकर की थी.

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