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Sarv Pitru Amavasya 2020: सर्व पितृ अमावस्‍या की तिथि, शुभ मुहूर्त, तपर्ण की विधि और महत्‍व

PujaPandit Desk

14 Sep, 2020 03:25 pm

Sarv Pitru Amavasya 2020: पितृ पक्ष (Pitru Paksha) या श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha) के अंतिम दिन पितरों को विदाई दी जाती है. पितृ पक्ष के इस आखिरी श्राद्ध को सर्व पितृ अमावस्‍या (Sarv Pitru Amavasya) भी कहा जाता है. इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्‍यु अमावस्‍या, पूर्णिमा या चतुर्दशी तिथि को हुई हो.

सर्व पितृ अमावस्‍या का महत्‍व
सर्व पितृ अमावस्‍या का महत्‍व इसलिए भी अधिक है क्‍योंकि अगर कोई व्‍यक्ति किसी कारणवश पितृ पक्ष की अन्‍य तिथि पर श्राद्ध न कर पाए तो वह अमावस्‍या के दिन दिवंगत आत्‍मा की शांति के लिए श्राद्ध कर सकता है. यही नहीं अगर किसी को अपने पूर्वजों की मृत्‍यु तिथि ज्ञात नहीं है तो वह भी इस दिन श्राद्ध कर सकता है. इसी वजह से इसे सर्व पितृ मोक्ष अमावस्‍या (Sarvapitra Moksha Amavasya) कहा जाता है. हिन्‍दू पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार सर्व पितृ अमावस्‍या के दिन पितर अपने लोक लौट जाते हैं. कहते हैं कि अगर पितृ पक्ष के दौरान विधिवत श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्‍य किया जाए तो पितर सर्वपितृ अमावस्‍या के दिन प्रसन्न व तृप्‍त होकर अपने परिजनों को आशीर्वाद देते हुए चले जाते हैं.

सर्व पितृ अमावस्‍या कब है?
हिन्‍दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की अमावस्‍या सर्व पितृ अमावस्‍या कहलाती है. यानी कि यह पितृ पक्ष के आखिरी दिन पड़ती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार आम तौर पर यह अगस्‍त या सितंबर के महीने में आती है. इस बार सर्व पितृ अमावस्‍या 17 सितंबर को है.

सर्व पितृ अमावस्‍या की तिथि
सर्व पितृ अमावस्‍या तिथि:
17 सितंबर 2020
अमावस्‍या तिथि आरंभ: 16 सितंबर 2020 को शाम 7 बजकर 56 मिनट से
अमावस्‍या तिथि समाप्‍त: 17 सितंबर 2020 को शाम 4 बजकर 29 मिनट तक

17 सितंबर 2020 को सर्व पितृ अमावस्‍या का शुभ मुहूर्त
पितृ पक्ष में कुतुप मुहूर्त या रौहिण मुहूर्त में श्राद्ध करना शुभ माना जाता है.
कुतुप मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 40 मिनट तक
कुल अवधि: 49 मिनट
रौहिण मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 40 मिनट से दोपहर 1 बजकर 29 मिनट तक
कुल अवधि: 49 मिनट
अपराह्न काल: दोपहर 1 बजकर 29 मिनट से दोपहर 3 बजकर 56 मिनट तक
कुल अवधि: 2 घंटे 27 मिनट

इस तरह करें पितरों को विदा
सर्व पितृ अमावस्‍या के दिन जो लोग श्राद्ध नहीं करते हैं या पितृ पक्ष की अन्‍य तिथि में पहले ही कर चुके हैं, उन्‍हें भी इस दिन पितरों का तर्पण कर उन्‍हें अवश्‍य विदा करना चाहिए:
- अमावस्‍या के दिन सुबह-सवेरे उठकर घर की साफ-सफाई करें.
- स्‍नानादि नित्‍य कर्मों से निवृत्त होकर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें.
- शुद्ध रसोई में पितरों के लिए सात्विक भोजन बनाएं. हो सके तो दिवंगत व्‍यकृति के पसंद का भोजन बनाना चाहिए.
- अब किसी योग्‍य ब्राह्मण को बुलाकर श्राद्ध करवाएं.
- ब्राह्मण को भी भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर विदा करें.
- गाय, कौवे और कुत्ते को भी भोजन खिलाएं. 
- शाम के समय सरसों या तिल के तेल के चार दीपक जलाएं.
- इन दीयों को घर की चौखट पर रख दें.
- अब एक पात्र या लोटे में जल लें और उसमें काले तिल मिलाएं.
- इसके बाद पात्र को हाथ में लेकर पूर्वजों का स्‍मरण करें.
- एक दीपक और पात्र या लोटे को लेकर पीपल के पेड़ के पास जाएं.
- पीपल के पेड़ के नीचे दीपक रखे दें और श्री हरि विष्‍णु का ध्‍यान करें.
- इसके बाद पीपल के पेड़ में जल चढ़ाते हुए पितरों से आशीर्वाद मांगें.

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