नेताजी सुभाष, आत्मनिर्भर भारत के सपने के साथ ही सोनार बांग्ला की भी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं. जो भूमिका नेताजी ने देश की आज़ादी में निभाई थी, आज वही भूमिका पश्चिम बंगाल को आत्मनिर्भर भारत अभियान में निभानी है. आत्मनिर्भर भारत अभियान का नेतृत्व आत्मनिर्भर बंगाल और सोनार बांग्ला को भी करना है. बंगाल आगे आए, अपने गौरव को और बढ़ाए, देश के गौरव को और बढ़ाए. नेताजी की तरह ही, हमें भी अपने संकल्पों की प्राप्ति तक अब रुकना नहीं है. कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उक्त बातें कही.
नेताजी का नाम सुनते ही हर कोई कितनी ऊर्जा से भर जाता है. नेताजी के जीवन की ऊर्जा जैसे उनके अंतर्मन से जुड़ गई है. उनकी ऊर्जा, आदर्श, तपस्या, त्याग देश के हर युवा के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म जयंती 23 जनवरी को पूरे देश में 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाया जा रहा है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं नेता जी की 125वीं जयंती पर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से उन्हें नमन करता हूं. मैं आज बालक सुभाष को नेताजी बनाने वाली, उनके जीवन को तप, त्याग और तितिक्षा से गढ़ने वाली बंगाल की इस पुण्यभूमि को भी नमन करता हूं.
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि मैंने अनुभव किया है कि नेताजी का नाम सुनते ही हर कोई कितनी ऊर्जा से भर जाता है. नेताजी के जीवन की ऊर्जा जैसे उनके अंतर्मन से जुड़ गई है. उनकी ऊर्जा, आदर्श, तपस्या, त्याग देश के हर युवा के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है. पीएम मोदी ने कहा कि ये वही पुण्यभूमि है जिसने देश को राष्ट्रगान दिया है और राष्ट्रगीत भी दिया है. इसी भूमि ने हमें देशबंधु चितरंजन दास, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और हम सबके प्रिय भारत रत्न प्रणब मुखर्जी से साक्षात्कार कराया है. पीएम मोदी ने कहा कि आज जब भारत नेताजी की प्रेरणा से आगे बढ़ रहा है तो हम सभी का कर्तव्य है कि उनके योगदान को बार-बार और पीढ़ी दर पीढ़ी याद किया जाए. इसलिए देश ने ये तय किया है कि अब हर वर्ष हम नेताजी की जयंती, यानी 23 जनवरी को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया करेंगे.
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे नेताजी भारत के पराक्रम की प्रतिमूर्ति भी हैं और प्रेरणा भी हैं. आज जब इस वर्ष देश अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश करने वाला है, जब देश आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तब नेताजी का जीवन, उनका हर कार्य, उनका हर फैसला, हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है. उनके जैसे फौलादी इरादों वाले व्यक्तित्व के लिए असंभव कुछ नहीं था. उन्होंने विदेश में जाकर देश से बाहर रहने वाले भारतीयों की चेतना को झकझोरा, उन्होंने आजादी के लिए आजाद हिन्द फौज को मजबूत किया. उन्होंने पूरे देश से हर जाति, पंथ, हर क्षेत्र के लोगों को देश का सैनिक बनाया. उस दौर में जब दुनिया महिलाओं के सामान्य अधिकारों पर ही चर्चा कर रही थी, नेता जी ने ‘रानी झांसी रेजीमेंट’ बनाकर महिलाओं को अपने साथ जोड़ा. उन्होंने फौज के सैनिकों को आधुनिक युद्ध के लिए ट्रेनिंग दी, उन्हें देश के लिए जीने का जज्बा दिया, देश के लिए मरने का मकसद दिया.
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी का संकल्प था भारत की जमीन पर आजाद भारत की आजाद सरकार की नींव रखेंगे. नेताजी ने अपना ये वादा भी पूरा करके दिखाया. उन्होंने अंडमान में अपने सैनिकों के साथ आकर तिरंगा फहराया. जिस जगह अंग्रेज देश के स्वतंत्रता सेनानियों को यातनाएं देते थे, कालापानी की सजा देते थे, उस जगह जाकर उन्होंने उन सेनानियों को अपनी श्रद्धांजलि दी. वो सरकार, अखंड भारत की पहली आजाद सरकार थी. नेताजी अखंड भारत की आजाद हिन्द सरकार के पहले मुखिया थे. पीएम मोदी ने कहा कि 2018 में हमने अंडमान के उस द्वीप का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा. देश की भावना को समझते हुए, नेताजी से जुड़ी फाइलें भी हमारी ही सरकार ने सार्वजनिक कीं. ये हमारी ही सरकार का सौभाग्य रहा जो 26 जनवरी की परेड के दौरान INA Veterans परेड में शामिल हुए.
पीएम मोदी ने कहा कि जब आजाद हिंद फौज की कैप में मैंने लाल किले पर झंडा फहराया था, उस वक्त मेरे मन मस्तिष्क में बहुत कुछ चल रहा था. बहुत से सवाल थे, बहुत सी बातें थीं, एक अलग अनुभूति थी. मैं नेताजी के बारे में सोच रहा था, देशवासियों के बारे में सोच रहा था. नेताजी किसके लिए जीवन भर इतना रिस्क उठाते रहे- हमारे और आपके लिए. वो कई-कई दिनों तक आमरण अनशन किसके लिए करते रहे- आपके और हमारे लिए. वो महीनों तक किसके लिए जेल की कोठरी में सजा भुगतते रहे- आपके और हमारे लिए. विश्व युद्ध के माहौल में देशों के बीच पल-पल बदलते रिश्तों के बीच क्यों वो हर देश में जाकर भारत के लिए समर्थन मांग रहे थे? ताकि भारत आजाद हो सके, हम और आप आजाद भारत में सांस ले सकें.
प्रधानमंत्री ने कहा कि हिंदुस्तान का एक-एक व्यक्ति नेताजी का ऋणी है. 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों के शरीर में बहती रक्त की एक-एक बूंद नेताजी सुभाष की ऋणी है. नेताजी ये देख रहे थे कि विश्वयुद्ध के माहौल में अंग्रेजी हुकूमत को अगर बाहर से चोट पहुंचाई जाए, तो उसे दर्द सबसे ज्यादा होगा. वो भविष्य देख रहे थे कि जैसे-जैसे विश्व युद्ध बढ़ेगा, वैसे-वैसे अग्रेजों की ताकत कम पड़ती जाएगी, भारत पर उनकी पकड़ कम पड़ती जाएगी. ये था उनका विजन.
पीएम मोदी ने कहा, ''आज हर भारतीय अपने दिल पर हाथ रखे, नेताजी सुभाष को महसूस करे, तो उसे फिर ये सवाल सुनाई देगा- क्या मेरा एक काम कर सकते हो? ये काम, ये काज, ये लक्ष्य आज भारत को आत्मनिर्भर बनाने का है. देश का जन-जन, देश का हर क्षेत्र, देश का हर व्यक्ति इससे जुड़ा है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस, गरीबी को, अशिक्षा को, बीमारी को, देश की सबसे बड़ी समस्याओं में गिनते थे. हमारी सबसे बड़ी समस्या गरीबी, अशिक्षा, बीमारी और वैज्ञानिक उत्पादन की कमी है. इन समस्याओं के समाधान के लिए समाज को मिलकर जुटना होगा, मिलकर प्रयास करना होगा.''
अपनी सरकार की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मुझे संतोष है कि आज देश पीड़ित, शोषित वंचित को, अपने किसान को, देश की महिलाओं को सशक्त करने के लिए दिन-रात एक कर रहा है. आज हर एक गरीब को मुफ्त इलाज की सुविधा के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही. देश के किसानों को बीज से बाजार तक आधुनिक सुविधाएं दी जा रही हैं. खेती पर होने वाला उनका खर्च कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं. हर एक युवा को आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, इसके लिए देश के Education Infrastructure को आधुनिक बनाया जा रहा है.
पीएम मोदी ने कहा कि आज राफेल जैसे आधुनिक विमान भी भारत की सेना के पास हैं, और तेजस जैसे अत्याधुनिक विमान भारत खुद भी बना रहा है. जब नेताजी देखते कि आज उनके देश की सेना इतनी ताकतवर है, उसे वैसे ही आधुनिक हथियार मिल रहे हैं, जैसा वो चाहते थे, तो उन्हें कैसा लगता. आज अगर नेताजी ये देखते कि उनका भारत इतनी बड़ी महामारी से इतनी ताकत से लड़ा है, आज उनका भारत vaccine जैसे आधुनिक वैज्ञानिक समाधान खुद तैयार कर रहा है तो वो क्या सोचते? जब वो देखते कि भारत वैक्सीन देकर दुनिया के दूसरे देशों की मदद भी कर रहा है, तो उन्हें कितना गर्व होता!
पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी जिस भी स्वरूप में हमें देख रहे हैं, हमें आशीर्वाद दे रहे हैं. जिस सशक्त भारत की उन्होंने कल्पना की थी, आज LAC से लेकर LOC तक, भारत का यही अवतार दुनिया देख रही है. जहां कहीं से भी भारत की संप्रुता को चुनौती देने की कोशिश की गई, भारत उसका मुंहतोड़ जवाब दे रहा है. विश्व युद्ध के समय पर जब साथी देश पराजय का सामना कर चुके थे, सरेंडर कर रहे थे, तब नेताजी ने अपने सहयोगियों को जो बात कही थी, उसका भाव यही था कि- दूसरे देशों ने सरेंडर किया होगा, हमने नहीं. पीएम मोदी ने कहा कि अपने संकल्पों को सिद्धि तक ले जाने की उनकी क्षमता अद्वितीय थी.
कोलकाता में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी मौजूद थें. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मंच पर मौजूद थी हालांकि उनके भाषण के दौरान जय श्रीराम के नारे लगाए जाने से काफी नाराज भी दिखीं. मंच पर ही ममता बनर्जी ने कहा कि किसी को बुलाकर बेइज्जत करना ठीक बात नहीं है. यह सरकार का प्रोग्राम है किसी पार्टी का नहीं. इसका ख्याल रखा जाना चाहिए था.
Leave Your Comment