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Sharad Purnima 2020: शरद पूर्णिमा पर आसमान के नीचे क्‍यों रखी जाती है खीर?

Babita Pant

नई द‍िल्‍ली 30 Oct, 2020 02:24 pm

Sharad Purnima 2020: शरद पूर्णिमा के दिन भगवान श्री सत्‍यनारायण, मां लक्ष्‍मी और कुमार कार्तिकेय की पूजा का विधान है. इसी के साथ इस दिन रात के समय चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर शीतलता के प्रतीक चांद की भी विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है. इसके अलावा शरद पूर्णिमा की एक और चीज है जो इस रात को बेहद खास बनाती है और वह है खीर. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ आसमान पर दिखाई देता है और चांदनी के जरिए अमृत वर्षा करता है. इस अमृत को ग्रहण करने के लिए खीर बनाकर आसमान के नीचे रख दी जाती है और फिर रात 12 बजे के बाद या अगले दिन सुबह पूरे परिवार के साथ प्रसाद के रूप में इस अमृत वाली खीर को ग्रहण किय जाता है. कहते हैं कि अमृत के अंश वाली यह खीर कई असाध्‍य रोगों को दूर करने की शक्ति रखती है.

क्‍या हैं चंद्रमा की 16 कलाएं?
भारतीय प्राचीन धर्मग्रंथों के अनुसार 16 कलाओं से परिपूर्ण व्‍यक्ति को भगवान के समान माना जाता है. कहते हैं कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु के अवतार श्री कृष्‍ण ने 16 कलाओं के साथ जन्‍म लिया था. यही वजह है कि श्री कृष्‍ण को पूर्णावतार या सोलह कलाओं का स्‍वामी कहा जाता है. वहीं, श्री राम 12 कलाओं के ज्ञाता थे. चंद्रमा की 16 कलाएं इस प्रकार हैं: अमृत, मनदा, पुष्प, पुष्टि, तुष्टि, ध्रुति, शाशनी, चंद्रिका, कांति, ज्योत्सना, श्री, प्रीति, अंगदा, पूर्ण, पूर्णामृत और प्रतिपदा. ये 16 कलाएं चंद्रमा के प्रकाश की 16 अवस्‍थाएं हैं. चंद्रमा साल में केवल एक बार शरद पूर्णिमा की रात अपनी इन सभी 16 कलाओं के साथ आसामान पर चमकता है. 

मनुष्‍य की 16 कलाएं
मनुष्‍य का संबंध इन 16 कलाओं से इसलिए है क्‍योंकि उसके मन की तुलना चंद्रमा से की जाती है. कहते हैं कि चंद्रमा की तरह ही मनुष्‍य के मन में भी प्रकाश है और उसकी अवस्‍था इन कलाओं की तरह घटती-बढ़ती रहती है. मनुष्‍य की 16 कलाएं इस प्रकार हैं: श्री संपदा, भू संपदा, कीर्ति संपदा, वाणी सम्‍मोहन, लीला, कांति, विद्या, विमला, उत्‍कर्षिणी शक्ति, नीर-क्षीर विवेक, कर्मण्‍यता, योग शक्ति, विनय, सत्‍य धारणा, आधिपत्‍य और अनुग्रह क्षमता. कहते हैं कि जिस किसी में भी ये सभी कलाएं या गुण होते हैं वे ईश्वरतुल्‍य हैं. हालांकि, किसी एक इंसान में इन सभी गुणों का एक साथ मिलना असंभव है. 

शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
शरद पूर्णिमा की तिथि:
30 अक्‍टुबर 2020
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 30 अक्‍टूबर 2020 को शाम 5 बजकर 45 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्‍त: 30 अक्‍टूबर 2020 को रात 8 बजकर 18 मिनट
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय: शाम 5 बजकर 11 मिनट

शरद पूर्णिमा की खीर का धार्मिक महत्‍व
शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में रखी गई खीर का विशेष धार्मिक महत्‍व है. मान्‍यता है कि शरद पूर्णिमा की रात 16 कलाओं से परिपूर्ण चांद अपनी चांदनी में अमृत बरसाता है. धार्मिक मान्‍यता है कि इस रात में आसमान से अमृत बरसता है. इस अमतृ को समेटने के लिए खीर बनाकर खुले आसामान के नीचे रख दी जाती है. अगले दिन सुबह पूरे परिवार के साथ इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. हिन्‍दू पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार यह कोई साधारण खीर नहीं, बल्‍कि अमृत के अंश वाली खीर होती है, जिसे खाने से आरोग्‍य की प्राप्‍ति होती है. 

खीर को चांद की रोशनी में रखने का वैज्ञानिक महत्‍व
भारत में खीर मीठे व्‍यंजन के तौर पर बेहद लोकप्रिय है. खीर के बिना कोई भी जश्‍न और व्रत-त्‍योहार अधूरे हैं. आमतौर पर दूध, चावल और चीनी के मिश्रण से खीर को तैयार किया जाता है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो दूध में लैक्‍टोस और चावल में स्‍टार्च पाया जाता है. लैक्‍टोस एक तरह का अम्‍ल है और चांद की रोशनी में यह ज्‍यादा मात्रा में शक्ति का शोषण करता है. चावल में स्‍टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया अधिक आसान हो जाती है. वैज्ञानिक आधार पर शक्ति से परिपूर्ण इस खीर का सेवन करने से इम्‍यूनिटी बढ़ती है.

शरद पूर्णिमा की खीर खाने के फायदे
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चांद की रोशनी में रखी शरद पूर्णिमा की खीर दमा के मरीजों के लिए फायदेमंद है.
- दिल के मरीजों को भी इस खीर का सेवना करना चाहिए.
- कहते हैं कि रात भर चांद की रोशनी में रखी गई खीर को अगली सुबह खाने से त्‍वचा संबंधी समस्‍याओं से छुटकारा मिल जाता है.

शरद पूर्णिमा की खीर बनाने की विधि
खीर को चांदी के बर्तन में बनाना सर्वोत्तम माना गया है. दरअसल, चांदी में रोग-प्रतिरोधक क्षमता होती है और यह विषाणुओं को दूर करने में भी लाभकारी होती है. लेकिन अगर आपके पास चांदी का बरतन नहीं है तो मिट्टी की हांडी या स्‍टील के भारी बर्तन में भी खीर बना सकते हैं. एल्‍यूमिनियम के बर्तन में खीर नहीं बनानी चाहिए. इस तरह बनाएं शरद पूर्णिमा के भोग की खीर.
- सबसे पहले एक भारी तले की कढ़ाही या बर्तन को आंच पर रख दे.
- अब इसमें दूध उबालने के लिए रख दें.
- जब दूध उबल जाए तो उसमें धुले हुए चावल डाल दें. 
- अब हल्‍की आंच में दूध और चावल को पकने दें.
- अब चावल पक जाएं और दूध गाढ़ा हो जाए तो उसमें चीनी मिला दें.
- अब इसमें इलायची पाउडर डालकर मिला लें.
- इसके बाद बारीक कटे ड्राईफ्रूट्स डाल दें.
- अच्‍छी तरह मिलाने के बाद गैस बंद कर दें और खीर को ढक दें.
- थोड़ी देर बाद इस खीर में ऊपर से तुलसी के पत्ते डाल दें और चांद की रोशनी में रख दें.

शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में खीर रखने का तरीका
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शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय ही आसमान के नीचे खीर रखी जाती है.
- इस बार शाम 5 बजकर 11 मिनट पर चंद्रोदय होगा. आप उसी वक्‍त खीर बनाकर छत पर रख दें.
- अगर छत पर नहीं रख सकते तो घर की बालकनी में भी खीर रख सकते हैं.
- खीर ऐसी जगह ही रखनी चाहिए जहां उस पर चांद की रोशनी ठीक से पड़ सके.
- खीर के बर्तन को किसी जाली या छन्‍नी से ढककर रखें.
- खीर को कोई जानवर खराब न कर पाए इसके लिए उसके ऊपर कोई भारी चीज रख दें.
- इस खीर को रात 12 बजे घर के अंदर लाकर सबसे पहले भगवान को उसका भोग लगाया जाता है.
- इसके बाद ब्राहृमणों के लिए खीर निकालकर अलग रख दी जाती है.
- फिर परिवार के सभी सदस्‍यों के साथ बैठकर खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. 

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