जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद पहली बार जिला विकास परिषद के चुनाव कराए जा रहे हैं. चुनाव 8 चरणों में कराया जाएगा और पहले चरण का मतदान 28 नवंबर को होगा और आखिरी चरण का मतदान 19 दिसंबर को होगा. जबकि 22 दिसंबर को नतीजों की घोषणा कर दी जाएगी. मतदान सुबह 7 सात बजे शुरू होगा और 2 बजे तक वोट डाले जाएंगे. इस चुनाव की सबसे खास बात ये होगी कि इस चुनाव में पहली बार पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी जिला विकास परिषद चुनाव में मतदान कर सकेंगे.
जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद के चुनाव के साथ ही पंचायत, उपचुनाव और स्थानीय निकाय के खाली पड़े वार्डों के चुनाव एक साथ करवाए जाएंगे. मतदान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के माध्यम से होगा, जबकि कोरोना संक्रमितों, वरिष्ठ नागरिकों और शारीरिक रूप से अस्वस्थ लोगों के लिए पोस्टल बैलेट के जरिए मतदान करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. यह तमाम जानकारी जम्मू-कश्मीर के चुनाव आयुक्त केके शर्मा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साझा की.
जम्म-कश्मीर में पिछले साल 5 अगस्त को राज्य से 370 धारा हटा दी गई थी, उसके बाद से राज्य में ये पहली बड़ी राजनीतिक गतिविधि होगी. हाल ही में मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम 1989 में संशोधन को मंजूरी दी थी. संशोधित कानून के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में थ्री टियर पंचायती राज व्यवस्था लागू लागू की गई है.
इस राजनीतिक प्रक्रिया में जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दल शिरकत करेंगे या नहीं ये अब तक साफ नहीं है. जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दल इन चुनावों को शक की निगाह से देख रहे हैं. उनका मानना है कि डीडीसी को ज्यादा शक्ति देने से चुनाव के बाद विधायकों की शक्ति कमजोर होगी. इससे चुनी हुई विधायिका कमजोर और पावरलेस हो जाएगी.
भारत सरकार अब 73वें संविधान संशोधन के सभी प्रावधानों को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लागू कर रही है, जो राज्य में 28 साल से लटका हुआ है. इसके साथ ही राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज पूर्ण रूप से लागू होगा. ये जम्मू-कश्मीर के इतिहास में पहली बार होगा.
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