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योगी सरकार को SC से झटका, डॉक्‍टर कफील खान की रिहाई के खिलाफ याचिका खारिज

Babita Pant

नई द‍िल्‍ली 17 Dec, 2020 03:52 pm

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को यूपी सरकार को बड़ा झटका देते हुए डॉक्‍टर कफील खान (Kafeel Khan) की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. यूपी सरकार ने कफील के ऊपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) हटाए जाने और उनकी रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी. आपको बता दें कि यूपी सरकार ने कफील खान की रिहाई के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी.

मुख्‍य न्‍यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्‍यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने हालांकि याचिका खारिज करते हुए यह भी स्‍पष्‍ट किया कि 1 सितंबर को दी गई इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी कफील खान के खिलाफ दायर अन्‍य आपराधिक मामलों को प्रभावित नहीं करेगी. बेंच ने यह भी कहा कि ये आपराधिक मामले खुद की मेरिट के आधार पर तय किए जाएंगे.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका को खारिज किए जाने पर खुशी जताते हुए कहा कि उन्‍हें न्‍याय मिला है. उनके ट्वीट के मुताबिक, "सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका ख़ारिज कर दी. मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा था मुझे न्याय मिला. आप सब का बहुत बहुत शुक्रिया / धन्यवाद."

अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो साझा कर डॉक्‍टर कफील खान ने कहा, "मैं आपसे वादा करता हूं कि मैं चिकित्सा क्षेत्र में अव्यवस्था के सुधार के लिए काम करता रहूंगा और नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाता रहूंगा." 

आपको बता दें कि बाल चिकित्‍सक डॉक्‍टर कफील खान का नाम विवाद में सबसे पहले साल 2017 में तब आया जब गोरखपुर के सरकारी अस्‍पताल में ऑक्‍सीजन की कमी की वजह से 100 से ज्‍यादा बच्‍चे मारे गए. उस वक्‍त उन्‍हें सस्‍पेंड कर दिया गया था. इसके बाद पिछले साल उन्‍हें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में जनवरी 2020 में एनएसए के तहत हिरासत में ले लिया गया था.

इसके बाद कफील खान की मां नुजहत परवीन की ओर से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कफील खान को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने 1 सितंबर को अपने आदेश में कफील खान की हिरासत को "गैरकानूनी" बताते हुए कहा था कि "डॉक्टर के भाषण में नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने का कोई प्रयास नहीं दिखाई देता है." 

हाईकोर्ट के फैसले के बाद 2 सितंबर को कफील खान को मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया था. डॉक्टर कफील साढ़े सात महीने बाद जेल से बाहर आए थे.

हाईकोर्ट के ऑर्डर को चुनौती देते हुए केंद्र व यूपी सरकार ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि डॉक्टर खान ने AMU में भड़काऊ भाषण देकर मुस्लिम छात्रों को दूसरे समुदायों के खिलाफ भड़काकर अलीगढ़ की कानून-व्‍यवस्‍था को खराब करने की कोशिश की थी.

याचिका में यह भी कहा गया था कि 13 दिसंबर 2019 को दिए गए खान के भाषण ने एएमयू के 10 हजार स्‍टूडेंट्स को अलीगढ़ शहर की ओर मार्च करने के लिए भड़का दिया था.

सरकार की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि डॉ. कफील खान का इतिहास ऐसे कई अपराध करने का रहा है जिनके कारण अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई है.

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