अदालत की अवमानना (Contempt of Supreme Court) के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा (Kumal Kamra) और कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा (Rachita Taneja) के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया है. आपको बता दें कि कुणाल कामरा ने सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश (CJI) के बारे में आपत्तिजनक ट्वीट किए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने कुणाल कामरा और रचिता तनेजा से छह सप्ताह में अपना जवाब देने को कहा है. शीर्ष अदालत ने कहा कि कामरा और तनेजा को अदालत में पेश होने की जरूरत नहीं है. जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की बेंच ने यह कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
दरअसल, विवाद की शुरुआत 11 नवंबर को उस वक्त हुई जब कुणाल कामरा ने सुप्रीम कोर्ट, भारत के मुख्य न्यायाधीश एस बोबडे और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का मजाक उड़ाते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट किए थे. इसके बाद एक लॉ स्टूडेंट स्कंद वाजपेयी ने कामरा के खिलाफ अवमानना का केस दायर करने के लिए भारत के एटॉर्नी जनरल (AG) केके वेणुगोपाल को चिट्ठी लिखकर सहमति मांगी थी. आपको बता दें कि किसी भी व्यक्ति पर अवमानना का केस दायर करने के लिए अदालत की अवमानना कानून 1971 के सेक्शन 15 के तहत अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की सहमति लेनी जरूरी होती है.
12 नवंबर को स्कंद वाजपेयी ने ट्वीट कर बताया कि एजी ने कॉमेडियन के खिलाफ अवमानना का केस दायर करने के लिए सहमति दे दी है. इसी के साथ वाजपेयी ने वेणुगोपाल की सहमति वाले पत्र को भी शेयर किया था.
वहीं, कामरा ने अपने ट्वीट्स पर माफी मांगने से इनकार करते हुए कहा था कि उन्होंने सिर्फ भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वार लिए गए पक्षपाती फैसलों पर अपनी राय दी थी. आपको बता दें कि जिस वक्त कुणाल कामरा ने ट्वीट किए थे तब रिपब्लिक टीवी (Republic TV) के संपादक अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के 2018 के एक मामले में सुनवाई चल रही थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी. कुणाल कामरा ने अपने ट्वीट में इसी मामले का जिक्र किया था.
कुणाल कामरा ने कहा था, "हाल ही में मैंने जो ट्वीट किए उन्हें अदालत की अवमानना की तरह माना गया है. मैंने जो ट्वीट किए वे भारत की सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्राइम टाइम के लाउडस्पीकर के पक्ष में दिए गए अंतरिम फैसले के बारे में थे."
उनके मुताबिक, "मेरा दृष्टिकोण नहीं बदला है क्योंकि दूसरों की निजी स्वतंत्रता के मामलों पर उच्चतम न्यायालय की खामोशी आलोचना के दायरे से बाहर नहीं रह सकती. अपने ट्वीट को हटाने या उसके लिए माफी मांगने का मेरा कोई इरादा नहीं है. मेरा मानना है कि वे अपने लिए बोलते हैं."
एटॉर्नी जनरल ने कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा के खिलाफ भी अवमानना का केस चलाने की अनुमति दी थी. रचिता पर आरोप हैं कि उन्होंने ट्वीट के जरिए सुप्रीम कोर्ट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रति पक्षपाती रवैया अपनाने की बात कही थी. कानून के छात्र आदित्य कश्यप ने अधिवक्ता नामित सक्सेना के माध्यम से याचिका की. इस याचिका में कहा गया था कि तनेजा द्वारा तस्वीरों के साथ पोस्ट किए गए तीन ट्वीट के आधार पर उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही याचिका दायर करने के लिए पांच दिसंबर को उन्हें अटार्नी जनरल से लिखित सहमति मिल गई थी. ये ट्वीट कथित रूप से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों और उनके फैसलों के प्रति घृणित, अपमानजनक और जानबूझ कर आक्षेप लगाने वाले थे.
याचिका में कहा गया कि तनेजा की ये पोस्ट वायरल हुईं और न्यायपालिका की संस्था पर हमला करने वालों ने इसे खूब साझा किया.
वहीं, कामरा और तनेजा के खिलाफ अवमानना के केस दायर करने की सहमति देते हुए वेणुगोपाल ने कहा था कि कामरा के ट्वीट बहुत आपत्तिजनक हैं और समय आ गया है कि लोग समझ लें कि शीर्ष अदालत को निशाना बनाने पर सजा मिलेगी.
वेणुगोपाल ने कहा था कि आज लोग मानते हैं वे अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल करते हुए 'मूर्खता और बेशर्मी' से उच्चतम न्यायालय और न्यायाधीशों की आलोचना कर सकते हैं लेकिन संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी अवमानना कानून के अधीन है.
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