सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि लोगों को चक्रवृद्धि ब्याज से रियायत देने का एलान वो जल्द से जल्द करे. इस बारे में दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने जनता को दो करोड़ तक के लोन पर लगने वाले ब्याज पर ब्याज से छह महीने की रियायत देने का फ़ैसला किया है.
इस पर कोर्ट ने पूछा कि अब तक इसका आदेश क्यों नहीं जारी किया गया? अदालत में सरकार की ओर से एफिडेविट दिया गया. लेकिन, सरकार ने ब्याज पर ब्याज यानी चक्रवृद्धि ब्याज से रियायत का आधिकारिक एलान अब तक नहीं किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जनता की दीवाली सरकार के हाथ में है. ऐसे में वो जल्द से जल्द इस रियायत की अधिसूचना जारी करे. अदालत ने कहा कि सरकार ने ये रियायत देने का फ़ैसला करके बहुत अच्छा क़दम उठाया है. लेकिन, इसकी अधिसूचना जारी करने में देरी की वजह समझ में नहीं आ रही है.
"Their Diwali Is In Your Hands": SC Seeks Centre's Response On Implementation Of Benefits To Small Borrowers By November 2 https://t.co/ZEgwK0ZUEU
— Live Law (@LiveLawIndia) October 14, 2020
कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू होने के बाद सरकार ने लोन लेने वालों को रियायत दी थी कि वो छह महीने तक अपने क़र्ज़ की किस्तें न दें तो उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं होगी. लेकिन, इसके बाद बैंकों ने किस्तों पर लगे ब्याज के ऊपर ब्याज वसूलने शुरू कर दिए.
जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि लोन लेने वालों को राहत देने के लिए सरकार को ठोस उपाय करने होंगे. इससे पहले सरकार ने ये कहा था कि पहले से दी गई रियायत के अलावा लोन लेने वालों को कोई और रियायत देना अर्थव्यवस्था और बैंकों, दोनों के लिए नुक़सानदेह हो सकता है.
हालांकि बाद में सॉलिसिटर तुषार मेहता ने सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दिया था कि लोन लेने वालों को क़र्ज़ पर पिछले छह महीनों के दौरान बने ब्याज के ऊपर ब्याज से राहत दी जाएगी.
मगर माननीय जज, सरकार से ये जानना चाहते थे कि सरकार इस बारे में ठोस एलान कब करेगी. वहीं, बैंकों के एसोसिएशन की तरफ़ से पेश हुए सीनियर वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सरकार इस बारे में जो भी फ़ैसला करेगी, बैंक उसका पालन करेंगे.
वहीं, याचिकाकर्ताओं के वकील राजीव दत्ता ने कहा कि बैंक, पहले से मुसीबतज़दा लोगों की परेशानी का लाभ उठाने की कोशिश करने के चक्कर में ही चक्रवृद्धि ब्याज वसूलना चाहते हैं. बैंकों ने भरोसा दिया है कि क़र्ज़ की किस्त न चुकाने या ब्याज न भरने के बावजूद बैंक दो करोड़ से कम के लोन को NPA घोषित नहीं करेंगे.
इस बारे में रिज़र्व बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि लोन चुकाने के लिए छह महीने से अधिक रियायत देने से क़र्ज़ लेने वालों के बीच अनुशासनहीनता को बढ़ावा मिलेगा, मतलब फिर वो समय पर लोन भरने की ज़रूरत नहीं समझेंगे.
रिज़र्व बैंक ने 27 मार्च को आदेश जारी किया था कि लोन लेने वाले, अगले तीन महीने यानी 31 मई तक महामारी के कारण अगर ब्याज न चुका पाएं, तो उनसे ज़बरदस्ती न की जाए. बाद में लोन चुकाने में इस राहत को 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया गया था.
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