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बिहार के अगले चीफ मिनिस्टर पर गहराया सस्पेंस

Suresh Kumar

नई दिल्‍ली 13 Nov, 2020 07:33 pm

बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, ये सवाल अब कौन बनेगा करोड़पति में पूछे जाने वाले प्रश्न सरीखा हो गया है. असेंबली इलेक्शन में NDA की जीत हुई है और बीजेपी पहली बार गठबंधन में जेडी यू की बिग ब्रदर बन गई है. हालांकि, चुनाव से पहले बीजेपी ने कहा था कि जीतने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे. लेकिन, नतीजे आए तो बीजेपी के कुछ नेताओं ने कहा कि चूंकि बीजेपी ने ज़्यादा सीटें जीती हैं. इसलिए मुख्यमंत्री भी उसका ही होना चाहिए. हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी के बिहार चुनाव प्रभारी देवेंद्र फड़णवीस और उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी तक कह चुके हैं की सीएम नीतीश कुमार ही होंगे.

लेकिन, ख़ुद नीतीश कुमार ने ये कहकर सीएम पर सस्पेंस और बढ़ा दिया है कि मुख्यमंत्री का चुनाव तो एनडीए के विधायक करेंगे. नीतीश कुमार ने आज बिहार के राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया. और ये कहा कि एनडीए के विधायकों की बैठक दिवाली के बाद 15 नवंबर को होगी. ऐसे में क़यास लगाए जा रहे हैं कि नई सरकार 16 नवंबर को शपथ ले सकती है. लेकिन, इस बार सीटों के मामले में अपनी पार्टी के तीसरे नंबर पर रहने के बाद, नीतीश कुमार इस पद के लिए उतना मुखर होकर दावा नहीं कर पा रहे हैं, जिस तरह इससे पहले वो करते रहे थे.

वहीं, अगली सरकार का सस्पेंस तब और बढ़ गया, जब आरजेडी विधायक दल के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में सरकार महागठबंधन की ही बनेगी. तेजस्वी के इस बयान के बाद समीकरण बैठाए जाने लगे कि आख़िर तेजस्वी यादव किस तरह से अपनी सरकार बनने का दावा कर रहे हैं. कहीं, पर्दे के पीछे कोई जोड़-तोड़ तो नहीं चल रहा है.

मोटे तौर पर देखें तो महागठबंधन ने 110 सीटें जीती हैं. वहीं, एनडीए ने 125 सीटें. तो अन्य के खाते में 8 सीटें आई हैं. कुछ लोग कह रहे हैं कि अगर अन्य आठ विधायक और एनडीए के घटक हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM)के चार विधायक भी महागठबंधन का साथ दे दें, तो उसके पास 122 का मैजिकल नंबर हो जाएगा. दूसरी सूरत में अगर एनडीए की दूसरी सहयोगी विकासशील इंसान पार्टी के 4 विधायक और 8 अन्य दलों के विधायक महागठबंधन के पाले में आ जाएं, तो भी तेजस्वी सरकार बना सकते हैं. 

लेकिन, फिलहाल तो ये दूर की कौड़ी ही लगती है. तेजस्वी यादव ने तो कई सीटों पर चुनाव के नतीजे पर ही सवाल उठाए हैं. और कोर्ट जाने की बात कह चुके हैं. इससे नतीजा बदला, तो महागठबंधन के खाते में कुछ और सीटें भी आ सकती हैं. वैसी सूरत में ओवैसी के पांच, एलजेपी के एक और एक निर्दलीय विधायक मिल कर महागठबंधन को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचा सकते हैं.

वहीं, ख़बरें ऐसी भी हैं कि कांग्रेस के विधायक दल में फूट पड़ सकती है. और इसके कुछ विधायक एनडीए के पाले में जा सकते हैं. इस बात का संकेत शुक्रवार को तब और मिल गया. जब पटना में कांग्रेस के ऑफ़िस सदाक़त आश्रम में कांग्रेसियों के दो गुटों में मार-पीट हो गई. वैसे तो अभी कांग्रेस के किसी विधायक ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है. लेकिन, जिस तरह से कांग्रेस के कुछ नेता, महागठबंधन के नंबर दो रहने के लिए अपनी ही पार्टी के बैड परफॉर्मेंस को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं, उससे कांग्रेस के खेमे में दरार साफ़ दिखती है.

वोट देने के बाद बिहार की जनता के हाथ से बाज़ी निकल चुकी है. और अब उसके पास इस सियासी तमाशे के अंजाम तक पहुंचने का इंतज़ार करने के सिवा कोई और चारा है नहीं.

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