सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को कहा कि "हाल के दिनों में अभिव्यक्ति की आजादी का सबसे अधिक दुरुपयोग हुआ है." शीर्ष अदालत ने तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह बात कही. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिकाओं में तब्लीगी जमात के खिलाफ फर्जी खबरें प्रसारित करने और निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) की घटना को सांप्रदायिक रूप देने का आरोप लगाकर टीवी चैनलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.
चीफ जस्टिस एस बोबडे (Chief Justice S A Bobde) की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच जमियत उलेमा-ए-हिंद व अन्य संगठनों द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि हाल के दिनों में बोलने की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी का सबसे अधिक दुरुपयोग किया गया है.
सुनवाई के दौरान बेंच ने यह टिप्पणी तब की जब तब्लीगी जमात की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि याचिकाकर्ता बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करने की कोशिश कर रहे हैं. इस पर पीठ ने कहा कि वे अपने हलफनामे में किसी भी तरह का टालमटोल करने के लिए स्वतंत्र हैं, जैसे कि आप कोई भी तर्क देने के लिए स्वतंत्र हैं.
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार की तरफ से दायर हलफनामे को लेकर उसकी जमकर फटकारलगाई. कोर्ट ने कहा कि इसे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव के बजाए किसी जूनियर अधिकारी ने दायर किया है. इसमें याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए अभिप्रेरित रिपोर्टिंग के एक भी मामले को विशिष्ट रूप से संबोधित नहीं किया गया है.
सीजीआई के अलावा जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमनियम वाली खंडीपीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, "आप इस अदालत के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं कर सकते हैं. हलफमाना एक जूनियर अधिकारी द्वारा दायर किया गया है. यह बहुत गोल-मोल है और खराब रिपोर्टिंग की किसी घटना पर प्रतिक्रिया नहीं है."
इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नया हलफनामा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव दायर करेंगे. अब इस मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी.
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