बिहार चुनाव को लेकर टीवी न्यूज चैनलों पर सर्वे का खेल शुरू हो गया है. चुनावी दिनों में मतदाताओं को प्रभावित करने वाली यह नीति एलीट क्लास की बौद्धिक जुगाली का बेहतरीन साधन होता है. सर्वे के नाम पर किसी एक पार्टी और दल के विषय में इस प्रकार से तथ्यों को रखा जाता है कि लोगों को विश्वास हो जाए जीत किसकी होने वाली है. फिर मतदाता उसी अनुसार अपने मत को देने का विचार करने लगते हैं. वैसे भी बिहार की राजनीतिक बिसात पर सारे मोहरे बिठा दिए गए हैं जहां कोई दल साथ होकर भी साथ नहीं है और कोई दल अकेले होकर भी साथ चुनाव लड़ रहा है.
लोगों की भीड़ बिहार की राजनीति का आइना हो सकती है. लेकिन इस से इतर जमीनी हकीकत जानने के लिए चुनाव में कुछ एजेंसियां सर्वे करती है और लोगों से सीधे बातचीत के आधार पर चुनाव बाद की स्थिति की तस्वीर तैयार करने की कोशिश करती है. ऐसी तीन एजेंसियों ने आगामी चुनाव को लेकर अपना अपना सर्वे जारी किया है, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार और राजद नेता तेजस्वी यादव से कड़ी टक्कर मिल रही है. सर्वे के मुताबिक बिहार में 4 से 5 फीसदी वोटर यह तय कर सकते हैं कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा.
फिलहाल बिहार के चुनावी मैदान में सारे दिग्गज उतार दिए गए हैं. बीजेपी की ओर से जनसभाओं के लिए 20-20 हेलिकॉप्टर लगाए गए हैं. इसका जिक्र तेजस्वी यादव अपनी बातचीत में जरूर करते हैं. उमड़ती भीड़ पर तेजस्वी यह कहने से नहीं चुकते हैं कि ये लोग सिर्फ चेहरा देखने नहीं आते हैं. ये सभी डबल इंजन वाली सरकार से नाराज हैं. साथ ही इस बार चुनाव में मुद्दों की बात हो रही है. लोग बेरोजगारी, पलायन, बीमारी, कारखाने जैसे मुद्दों पर बात कर रहे हैं. तेजस्वी यादव ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं, एक दिन में 20-20 रैली. उनकी चुनावी रैलियों में जनसैलाब उमड़ रहा है. इससे वो खासे उत्साहित भी है.
See the Exuberance, Enthusiasm and Cheers of my fellow Bihari’s
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 21, 2020
Take a bow- The Youth of Bihar pic.twitter.com/eIbNLXR2GA
नीतीश कुमार की रैली में भीड़ की तस्वीर सोशल मीडिया पर कही दिखती नहीं है. उनकी कोई भी वीडियो सिर्फ और सिर्फ मंच पर केंद्रित दिख रही है. कई सभाओं में तो उनके खिलाफ लोगों ने नारे भी लगाए. मंच से नीतीश कुमार की नाराजगी भी दिखी. एक वीडियो जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है उसमें उनकी झुंझलाहट साफ दिख रही है. साफ साफ कहते नजर आ रहे हैं कि वोट नहीं देना है तो मत दो लेकिन यहां हल्ला मत करो. नीतीश कुमार के कई मंत्रियों को भी क्षेत्र में विरोध का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में लोगों का मिजाज समझा जा सकता है कि मतदाता किस प्रकार अपनी बातों को रख रहे हैं और व्यवहार कर रहे हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री चुनाव से पहले ही हताश और निराश नजर आ रहे हैं। झुंझलाहट में सार्वजनिक मंच से अनाप-शनाप बातें कर रहे हैं। pic.twitter.com/wsmDeEHY2e
— Youth Congress (@IYC) October 22, 2020
फिलहाल बिहार में चुनाव का पहला चरण 28 अक्टूबर को होना है. सर्वे में जो 4 से 5 प्रतिशत वोटर का खेल बताया गया है दरअसल यही खेल है सर्वे एजेंसियों की. सर्वे एजेंसियों पर लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं और अभी भी उठाए जाएंगे. यह स्वभाविक भी लगता है. बिहार की स्थिति क्या है, वहां वोट देने वाले लोग कौन है, किस परिस्थिति में रहते हैं और क्या इस सर्वे में उस तबके के लोगों को शामिल किया गया है? ऐसे ढेरों सवाल हैं जिसे लेकर इन एजेंसियों पर हरदम शक बना रहता है आगे भी बना रहेगा.
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